ग्राम पंचायत सचिव व प्रधान ने संविधान में कर दिया फेरबदल
ग्राम पंचायत सचिव व प्रधान ने संविधान में कर दिया फेरबदल
पीएम आवास लाभार्थी सूची में सामान्य जाति के लोगों को किया शेड्यूल कास्ट
एके गंगवार
पीलीभीत। पीलीभीत में विकास खंड ललौरीखेड़ा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बरहा के ग्राम सचिव इबरार व प्रधान लोग श्री ने मिलकर एक अनोखा खेल कर डाला। दोनों ने मिलकर नया आरक्षण ही गढ़ दिया। ग्राम पंचायत में बने हुए ग्राम सचिवालय की दीवार पर प्रधानमंत्री आवास लाभार्थियों की सूची अंकित है। इसमें नए आरक्षण की व्यबस्था दी गई है जो इस बात का जीवित प्रमाण है कि सचिब और प्रधान की दृष्टि में जातियों का आरक्षण कुछ इस तरह से है जिसमें कई सामान्य जाति के लोगों को एसटी अंकित कर उनका नाम सूची में लिख दिया गया। यह एक बड़ी त्रुटि का प्रमाण है या फिर जानबूझकर किया गया है, यह तो एक अलग विषय है किंतु बड़ा सवाल यह है कि जिस ग्राम सचिवालय में रोजाना दर्जनों लोग आते हैं जहां ग्राम पंचायत सहायक दिन भर बैठकर अपना कार्य करता है, वहां इतनी बड़ी गलती पर किसी की नजर क्यो नहीं गई।
दीवार पर लिखे हुए नाम ग्राम सचिव इबरार से जब बात करी गई तो उन्होंने कहा कि जून के बाद उनकी वहां पर तैनाती नहीं है। उनकी पंचायत बदल दी गई थी, इसलिए उनको इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। वहीं प्रधानपति ने बताया कि दीवार पर लाभार्थियों की सूची ग्राम सचिव इबरार द्वारा लिखवाई गई थी। दोनों के विरोधाभासी वक्तब्यो से स्पष्ट है कि यह काम मिलीभगत से हुआ है। इसके दोषी सचिब और प्रधान दोनों ही है।
सूत्रों के नुसार जब तेजस टूडे की टीम मौके पर पहुंची तो ग्राम सचिवालय में बारात का खाना बन रहा था। बड़े-बड़े बर्तनों में तरह तरह के पकवान पकाए जा रहे थे। मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम कि ज्यादातर बारात यहीं आकर रूकती है। बताते चलें कि ग्राम पंचायत में ग्राम पंचायत सहायक के कार्य करने के लिए वह बैठने की व्यवस्था आदि के लिए कंप्यूटर इनवर्टर बैटरी व अन्य फर्नीचर इत्यादि सामान रखा रहता है। अब अगर बारात वहां रुक रही है तो उस सामान की जिम्मेदारी किस पर रहती है?
आप सभी इस बाते से परिचित तो होंगे ही कि भारत में विभिन्न जाती या धर्म के लोग बसते हैं। एक उचित व्यबस्था देने और दलितों व पिछड़ों के उत्थान के लिए संविधान में आरक्षण की व्यबस्था दी गई है। केंद्र व राज्य सरकारों ने समय समय पर इसमें संशोधन भी किया। आवश्यकता के अनुरूप जातियों को अलग-अलग वर्गों में रखा गया है जिसके आधार पर सरकारी नौकरी और अन्य सुविधाओं में केटेगरी के आधार पर भी छूट मिलती है। जातियों के अलावा अल्पसंख्यक को भी इन श्रेणियों में रखा गया है। जैसे मुस्लिम धर्म के लोग ओबीसी में आते है, वहीं सवर्ण समाज के मिश्रा, शुक्ला को सामान्य मे रखा गया हैं।
सचिब इबरार और प्रधान लौंग श्री की नई व्यबस्था के अनुरूप सामान्य जाति को भी प्रधानमंत्री आवास के लिए आरक्षण की सूची में रखकर नए आरक्षण की व्यबस्था लागू कर दी गई है। बिडंबना ये कि किसी भी अधिकारी या लोकतंत्र के प्रहरी राजनेताओं की दृष्टि अभी तक इस पर नही गई। यह अव्यबयस्था के प्रति जागरूकता का प्रमाण आपके सामने है।आधुनिक तकनीक से करायें प्रचार, बिजनेस बढ़ाने पर करें विचार
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