खण्डहर में तब्दील हो रहे शासन द्वारा बनवाए गए शौचालय
खण्डहर में तब्दील हो रहे शासन द्वारा बनवाए गए शौचालय
अनिल कश्यप
हापुड़। स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत दो अक्टूबर 2014 को की गई थी जिसका उद्देश्य 2019 तक ग्रामीण क्षेत्र को खुले में शौच मुक्त करना था। जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्र में शौचालय निर्माण करवाए गए। लेकिन लापरवाह कार्यप्रणाली के चलते सरकार का यह सपना सिर्फ सपना बनकर रह गया।
जिसका जीता जागता उदाहरण ग्रामीण क्षेत्रों में खंडहर हो रहे शौचालय है, जिनका ठेकेदारी प्रथा के आधार पर निर्माण होने की वजह से गुणवत्ताहीन निर्माण किया गया। यही कारण है कि गांवों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने शौचालय उपयोग के लायक ही नहीं रहे। ऐसा ही एक दृश्य हापुड़ विकासखंड के ग्राम पंचायत पटना में देखने को मिला है जहां पर शौचालय तो बना लेकिन वर्तमान में उसकी हालत इस कदर बनी हुई है कि उसका इस्तेमाल करना तो दूर उसके अंदर जाने से भी डर लगने लगा है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि जनपद अंतर्गत आने वाली लगभग सभी पंचायतों में यह कार्य कागजों में ही सिमट कर रह गया है पंचायतों में बने शौचालय इतने घटिया है कि उपयोग करने योग्य नहीं है और जर्जर हालत में पहुंचते जा रहे हैं। दरअसल इसके घटिया निर्माण की वजह से यह मजबूती प्रदान नहीं कर पाए। ग्राम पंचायतों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत सामुदायिक स्वच्छता परिसरों का भी निर्माण किया गया निर्माण के लिए शासन द्वारा लाखों की राशि का भुगतान किया गया लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत एवं सरपंच, सचिव की भ्रष्टाचार की मंशा के चलते सामुदायिक स्वच्छता परिसर भी गुणवत्ता हीन निर्माण कराया गया है। किसी भी पंचायत में देखा जाए तो वह उपयोगी नहीं मिलेंगे।
ग्राम पंचायत पटना में भारत मिशन के तहत सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया गया है जिसमें हमेशा ताला लटका रहता है पानी की कोई व्यवस्था नहीं है हालांकि ऊपर टंकी रख दी गई है। इस संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि शौचालय के नाम पर सिर्फ एक डिब्बे की भांति दीवारें खड़ी कर दी गई है।
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