जिला जेल में गैंगरेप के आरोपी ने फांसी लगाकर किया आत्महत्या

जिला जेल में गैंगरेप के आरोपी ने फांसी लगाकर किया आत्महत्या

आगरा (पीएमए)। जिला जेल में सोमवार रात झरना नाला गैंगरेप के आरोप में बंद योगेश कुमार ने खुदकुशी कर ली। बंदी डबल स्टोरी बैरक की सीढ़ियों की कुंडी में गमछा का फंदा बनाकर फंदे पर लटक गया। बैरक का दरवाजा चेक करने पहुंचे बंदीरक्षक ने उसे फंदे पर लटका देख अधिकारियों को सूचना दी।
इससे जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया। हालांकि बंदी के खुदकुशी करने के कारण का अभी पता नहीं चल सका है। जेल प्रशासन का कहना है कि बंदी के परिजनों को सूचना दी गई है। बंदी अवसाद में तो नहीं था, इसके लिए प्रभारी डीआईजी जेल वीके सिंह ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। मंगलवार को डीआईजी घटनास्थल का मुआयना कर मामले की जांच करेंगे।

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29 मार्च 2021 को झरना नाला के रास्ते से विवाहिता अपने पति के साथ बाइक से मायके जा रही थी। एत्मादपुर हाईवे पर झरना नाला के जंगल के पास बाइक सवार तीन युवकों ने दंपत्ति को रोक लिया था। धमकी देकर जंगल में ले गए और वहां पति को बंधक बना विवाहिता से गैंगरेप किया था। मामले में पीड़िता ने शाहदरा निवासी गौरीशंकर उर्फ गौरी, मोनू और योगेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
वहीं जिला जेल अधीक्षक पीडी सलोनिया ने बताया कि शाहदरा एत्मादुद्दौला निवासी योगेश कुमार (25) पुत्र विजय कुमार को थाना एत्मादपुर पुलिस ने गैंगरेप के आरोप में गिरफ्तार करके दो अप्रैल 2021 को जिला जेल भेजा था। आरोपित डबल स्टोरी बैरक नंबर आठ में बंद था।

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सोमवार रात बंदी योगेश कुमार ने बैरक की छत पर जाने वाले सीढ़ियों के गेट की कुंडी से गमछा बांधकर फांसी लगा ली। अधीक्षक ने बताया कि मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। जेलकर्मियों की सूचना पर पुलिस और प्रशासन अधिकारी पहुंचे। जेल अधिकारियों ने पड़ताल की।
घटना को गंभीरता से लिया गया है। घटना की न्यायिक जांच कराई जाएगी। जो भी जेलकर्मी दोषी होगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

—वीके सिंह प्रभारी डीआईजी जेल
बैरक में भेजने से पहले होती है बंदियों की गिनती
बंदियों को बैरक में भेजने से पहले गिनती की जाती है। बैरक में बंदियों को किस समय भेजा गया था। यदि उनकी गिनती की गई थी तो योगेश उस समय वहां मौजूद था या नहीं। ऐसे कई सवाल है। जिनका जवाब जानने का प्रयास पुलिस कर रही है। ड्यूटी पर तैनात बंदीरक्षक कहां था। मामले की जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि किसकी लापरवाही रही है।

पहले भी हो चुकी हैं घटनाएं
11 जुलाई 2018 को सेंट्रल जेल में बंद बंदी अशोक निवासी मेरठ ने हॉस्पिटल वार्ड में बने शौचालय में फांसी लगाई थी।
12 सितंबर 2019 को जिला जेल में बंदी ओमकार झा ने जेल अस्पताल के पीछे पेड़ पर गमछे से फंदा बनाकर जान दे दी थी।
पांच दिसंबर 2019 को जिला जेल में बंद बंदी बल्देव ने शौचालय के पीछे छज्जे के छेद में गमछे से फंदा बनाकर जान दे दी थी। घटना में लापरवाही बरतने पर बंदीरक्षक पर कार्रवाई हुई थी।
26 दिसंबर 2019 को सेंट्रल जेल में बंद बंदी आलोक कुमार गुप्ता ने सर्किल दो में बनी कोठरी में फांसी के फंदे पर लटका मिला था। मामले की जांच में कार्रवाई हुई थी।

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