डीएम से लेकर ग्राम प्रधान तक का ध्यान चुनाव में, पानी की एक—एक बूंद को तरस रहे पशु—पक्षी
राघवेन्द्र पाण्डेय
अमेठी। बैशाख और जेठ के महीने में तपती धूप से जहां आम जनमानस कार्यों की अधिकता से धूप को सहने को मजबूर हैं। वहीं पर छुट्टा जानवर तथा पशु पक्षी भी पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं लेकिन जिलाधिकारी से लेकर ग्राम प्रधान तक सबका लक्ष्य केवल चुनाव को सकुशल संपन्न करना है जबकि इस तपती धूप में शासन—प्रशासन से लेकर राजनेता तक किसी का भी ध्यान आम जनमानस तथा पशु पक्षियों की तरफ न होकर केवल चुनावी माहौल बनाने में लगा हुआ है।
वैसे तो शासन द्वारा कई महत्वाकांक्षी योजनाएं जिसमें सर्वप्रथम अमृत सरोवर जैसी योजनाएं जिसकी लागत कम से कम 25 लाख रुपए लगभग प्रत्येक ग्रामसभा में शासन द्वारा योजित की गई है। अब अमेठी जिले की ही बात की जाए तो अमेठी में लगभग 13 ब्लॉक हैं। प्रत्येक ब्लॉक में 50 के ऊपर ग्रामसभाएं हैं। इस तरह से 650 ग्राम पंचायत लगभग अमेठी जिले में है। 650 ग्राम पंचायत के अंतर्गत लगभग इतने ही अमृत सरोवर का निर्माण शासन द्वारा होना है। अगर इसकी लागत जोड़ी जाए तो लगभग 16 करोड़ 25 लाख के लगभग सरकार द्वारा इतना धन ग्राम पंचायत को अमृत सरोवर निर्माण के लिए दिया जा चुका है लेकिन फिर भी जैसा नाम है। अमृतसर और उसके ठीक विपरीत पानी की एक भी बूंद कहीं नजर नहीं आती है।
आखिर सरकार द्वारा इतने बड़े पैमाने पर इतनी धनराशि का खर्च किया जाना निरर्थक ही साबित हो रहा है। जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, खंड विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत/विकास अधिकारी, प्रधान, वर्तमान सांसद सहित सभी का लक्ष्य केवल चुनाव को सकुशल संपन्न करना है। आखिर शासन तथा राजनेता द्वारा जनता तथा पशु पक्षी एवं प्राणियों की तरफ इतनी उदासीनता क्यों? कहीं न कहीं अधिकारियों तथा राजनेताओं द्वारा पशु पक्षियों तथा आम जनमानस के प्रति मानवता की कमी प्रतीत हो रही है। फिलहाल ग्रामवासियों तथा सामान्य जनमानस द्वारा यह उम्मीद है कि हो सकता है कि सरकार का ध्यान सरोवर तथा सूखे पड़े हुए तालाबों की तरफ प्रचार के दौरान पड़ ही जाय।
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