आंखें है अनमोल, इनका रखें विशेष ख्याल: डा. संजीव कुमार

आंखें है अनमोल, इनका रखें विशेष ख्याल: डा. संजीव कुमार

अब्दुल शाहिद
बहराइच। आंखे अनमोल है। इन्हें बचाने के लिए हमेशा सजग रहना चाहिए। हमारी आंखें दुनिया की खूबसूरत नजारे को दिखाने वाली एक विंडो की तरह होती हैं। आंखें शरीर के सबसे नाजुक अंगों में से एक हैं। इसे ईश्वर के विशिष्ट उपहार के रूप में भी जाना जाता है जिसकी मदद से हम दुनिया की खूबसूरती का आनंद ले पाते हैं। आंखों को स्वस्थ रखने के लिए इसके विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसमें होने वाली छोटी से भी समस्या बड़ी मुसीबतों का कारण बन सकती है।आंखों की देखभाल करने की दिशा में पहला कदम इसके जोखिम और आने वाली समस्याओं के संकेतों से अवगत होना है।

पिछले कुछ समय में जीवनशैली और आहार से संबंधित समस्याओं के कारण आंखों से संबंधित कई तरह की बीमारियों का जोखिम बढ़ गया है। इसके शुरुआती लक्षणों की पहचान कर रोग को गंभीर रूप लेने से बचाया जा सकता है। एक साक्षात्कार के दौरान नेत्र रोग सर्जन डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि आंखों में होने वाली किसी भी तरह की समस्या को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। अगर समय रहते समस्या का निदान हो जाए तो न सिर्फ आंखों को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। साथ ही लंबे समय तक रोशनी को बनाए रखना भी आसान हो जाता है। उन्होंने बताया कि मोतियाबिंद से ज्यादा मरीज इस समय कार्नियल अल्सर के उनके पास आ रहे है।

कॉर्नियल अल्सर अधिकतर एक जीवाणु संक्रमण के कारण होते हैं जो कॉर्निया में अक्सर फंगल अल्सर, आंख की चोट, आघात या अन्य क्षति के बाद घुसपैठ करता है। कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वाले लोग आंखों में जलन व खुजली के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं जो बढ़कर कॉर्नियल अल्सर का रूप ले सकती है। ऐसा संभव है कि कॉन्टैक्ट लेंस आंंख की सतह से रगड़ खाकर एपिथिलियम को थोड़ी क्षति पहुंचा दे जिससे जीवाणु को आंख में घुसने का मार्ग मिल जाए। उन्होंने बताया कि काम करते समय 20 मिनट के अंतराल पर 20 सेकंड्स तक 20 बार पलक को खोलना बन्द करना चाहिए जिससे आंखों में आंसू की पर्याप्त मात्रा बनी रहे। उन्होंने बताया कि मोतियाबिंद रोग उम्र वाला कम हो रहा जबकि दवाओं के प्रभाव के कारण ज्यादा हो रहा है।

उन्होंने स्टरॉइड दवा के सेवन से दूर रहने के लिए बताया। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा बच्चों को आंखों में समस्यायें आ रही है जिसका मुख्य कारण मोबाइल है। डॉ. संजीव ने बताया कि जनपद में शीघ्र कार्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी जिससे गम्भीर मरीजो को बाहर नही जाना पड़ेगा। उल्लेखनीय हो कि नेत्र सर्जन डॉ. संजीव कुमार के शहर स्थित बंजारी मोड़ पर शिवम नेत्रालय में बच्चों की आंखो से संबंधित सर्जरी सुविधा से लेकर अन्य सुविधाएं उपलब्ध है।

नेत्र रोग सर्जन ने आंखों की विशेष देखभाल के लिए टिप्स बताये— ड्रायनेस की समस्या न हो, इसके लिए एसी के फ्लो को सीधे आंखों में नहीं पड़ने दें, कूलर की हवा भी सीधे आंखों में नहीं पड़ने दें। आंखों को काम करते-करते कम से कम 10 मिनट रेस्ट जरूर देना चाहिए।बच्चों को ऐसे खिलौने न दें जो नुकीले हों, इससे बच्चों की आंखों में चोट लग सकती है और आंखों की काली पुतली फट भी सकती है। आंखों को बार-बार रगड़ना नहीं चाहिए। आंखों की किसी भी प्रकार की समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें, खुद इलाज करने की कोशिश न करें।
मोबाइल/कम्प्यूटर का प्रयोग कम से कम करें। मोबाइल का प्रयोग करते समय कमरें की लाइट ऑन रखें। कंप्यूटर/लैपटॉप का मॉनीटर आंखों से नीचे लेवल पर होना चाहिए।

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