अत्यन्त दुर्लभ मकर संक्रांति और उसका प्रभाव | #TejasToday

सर्वाधिक पढ़ा जानें वाला जौनपुर का न. 1 न्यूज पोर्टल

अत्यन्त दुर्लभ मकर संक्रांति और उसका प्रभाव | #TejasTodayअत्यन्त दुर्लभ मकर संक्रांति और उसका प्रभाव | #TejasToday

डा. दिलीप सिंह एडवोकेट
इस वर्ष पृथ्वी और सूर्य के परिक्रमण और परिभ्रमण तथा ग्रहों की चाल के अनुसार बहुत दिनों के बाद 14 जनवरी दिन बृहस्पतिवार को मकर संक्रांति का पर्व पूरे भारत में 1 वर्ष मनाया जाएगा जबकि इसके पिछले वर्षों में इस में काफी मतभेद रहता था भारत के सभी औरतों पर्व त्यौहार उत्सव मांगलिक और शुभ कार्य पूरी तरह प्रकृति विज्ञान पर्यावरण ग्रह नक्षत्रों की चाल और मौसम परिवर्तन पर आधारित होते हैं।
मकर संक्रांति के पर्व को ग्रहों के अधिपति सूर्य का पर्व माना जाता है इसी समय से दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं। मकर संक्रांति को कई नामों से जाना जाता है जिसमें खिचड़ी पोंगल बिहू उत्तरायण संक्रांति माघी इत्यादि नाम दिए जाते हैं। पाश्चात्य सभ्यता और विज्ञान भले ही 22 दिसंबर से सूर्य उत्तरायण और 25 दिसंबर को बड़ा दिन मानती है।
यह अटल ध्रुव सत्य है कि 22 दिसंबर से 13 जनवरी तक सूर्य का उदय और अस्त होने का मान लगभग स्थिर रहता है इस हिसाब से रोट से दिन छोट और खिचड़ी से दिन बड़ा वाली बात पूर्णता सत्य और विज्ञान के अनुसार हैं इस वर्ष बृहस्पतिवार के दिन विक्रम संवत 2077 और ईस्वी सन् 2021 में ग्रहों के राजा सूर्य सुबह 8.15 के लगभग मकर राशि में प्रवेश करेंगे बृहस्पतिवार का दिन होने से इसको नंदा और महोदय संक्रांति भी कहा जाएगा।
इसका पुण्य काल लगभग 6 घंटे 25 मिनट पहले से प्रारंभ हो जाता है इसलिए लोग ब्रह्म मुहूर्त में 3.50 भोर से स्नान दान पूजा पाठ शुरू कर सकते हैं इसका सबसे अधिक पुण्य काल सुबह 3.50 से 2.39 के बीच रहेगा और इस काल में किए गए कार्य अधिक फलदायक और प्रभावी होंगे।
स्नान करके तिल, चावल, मिष्ठान, आलू इत्यादि स्पर्श करने का अपना अलग वैज्ञानिक महत्व है और इन सभी की महत्ता विज्ञान द्वारा सिद्ध है। वर्तमान समय में मकर संक्रांति को पतंगबाजी से भी जोड़ दिया गया है।
भारत में मकर संक्रांति प्रामाणिक रूप से महाभारत से प्राप्त होती है महाभारत काल में यह दिसंबर के प्रथम सप्ताह में मनाया जाता था तदनुसार अगहन का महीना होता था जबकि सम्राट हर्ष के समय में 24 और 25 दिसंबर के आस-पास तथा महाराणा प्रताप के काल में इसे लगभग 10 जनवरी 11 जनवरी को मनाया जाता था जबकि शिवाजी के समय इसे 11 और 12 जनवरी को मराठा काल में मानते थे।
स्वामी विवेकानंद मकर संक्रांति 12 जनवरी को पैदा हुए थे। इससे भी इसके लगातार बदलते जाने से समझा जा सकता है। इधर कई वर्षों से 15 जनवरी को पड़ता चला आया है लेकिन समय बढ़ने के साथ यह जनवरी के अंत में और फिर फरवरी में चला जाएगा। आज से 5000 वर्ष के बाद इस पर्व को मार्ग के अंतिम समय में अर्थात फरवरी महीने में मनाया जाएंगे।
इसका कारण है कि सूर्य हर वर्ष 20 से 21 सेकंड तक तेज चलता है। इस वर्ष सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करेगा तो ग्रहों के गुरु बृहस्पति नक्षत्रों के स्वामी चंद्रमा और युवराज कहे जाने वाले ग्रह बुध एक साथ होंगे। इससे इसकी महत्ता बहुत अधिक बढ़ जाती है।
सूर्य के धनु राशि में आते ही खरमास समाप्त हो जाएगा लेकिन 3 दिन के बाद ही बृहस्पति का अस्त होना है, इसलिए 18 जनवरी की एकमात्र लग्न को छोड़कर कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य तथा विवाह नहीं होंगे।
मकर संक्रांति में सूर्य संक्रांति के देश-विदेश और जनता पर पड़ने वाले प्रभाव का विवेचन भी अति आवश्यक है। इस वर्ष मकर संक्रांति विद्वान लोगों नैतिक, सदाचारी लोगों सन्यासी और गुरुजन तथा विद्वान ब्राह्मणों मेधावी छात्रों और कवि लेखकों के लिए तथा वास्तव में अच्छे और सदाचारी राजनेताओं के लिए बहुत अच्छा रहेगा जबकि बाकी लोगों के लिए यह बेहद उग्र और भयंकर तथा विनाशकारी होगा। सिंह पर सवार होकर सूर्य के आने से आतंकवादियों चोर डकैतों सफेदपोश अपराधियों तथा यौन दुष्कर्मियों के लिए और दुराचारी तथा अनैतिक नेताओं शासकों के लिए भयंकर सिद्ध होगा भारत के कुछ राज्यों में भयंकर उथल-पुथल और सत्ता परिवर्तन तथा दंगे फसाद की स्थितियां हो सकती हैं जिस पर शीघ्र ही प्रभावी नियंत्रण हो जाएगा।
ऋतु संक्रांति के कारण विनाशकारी और भयानक तथा परिवर्तनशील रहेगी आंधी व तूफान झंझावात भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट तथा समुद्री लहरों से विनाश होगा। भारत में कोरोना पूरी तरह लगभग समाप्त हो जाएगा लेकिन यूरोप अमेरिका सहित कुछ अन्य देशों में अभी 6 महीने तक बढ़ता जाएगा। बर्ड फ्लू जैसे कुछ और रोग जीवाणु विषाणु कीटाणु और रोगाणु द्वारा पैदा होंगे। मलेरिया, हृदय रोग, मधुमेह, त्वचा हड्डी रोग में वृद्धि होगी। अनेक कल्पना से परे की स्थितियां और कई विदेशी राज्यों में सैन्य विद्रोह तथा कई को जेल होगा।

अब आप भी tejastoday.com Apps इंस्टॉल कर अपने क्षेत्र की खबरों को tejastoday.com पर कर सकते है पोस्ट

सर्वाधिक पढ़ा जानें वाला जौनपुर का नं. 1 न्यूज पोर्टल केराकत के मनबढ़ दरोगा से निषाद बस्ती के लोग परेशान | #TejasToday केराकत, जौनपुर। स्थानीय थाना क्षेत्र में बीती शाम कोतवाली के मनबढ़ दरोगा सुदर्शन यादव द्वारा निषाद बस्ती में जाकर गालियां देते हुए फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी भी दी गयी। उक्त गांव निवासी प्रभाकर निषाद ने आरोप लगाते हुए बताया कि हमारे सगे भाई गांव के कई लोगों से पैसा जमा कराकर देने से इंकार कर रहे हैं। बता रहे हैं कि कंपनी भाग गई है, इसलिये अब पैसा नहीं मिलेगा। इसके बाबत प्रार्थना पत्र देने के बावजूद कोई कार्रवाई न होने से प्रभाकर ने अपने भाई का खेत जाने वाले रास्ते को अवरूद्ध कर दिया। इस पर भाई द्वारा कोतवाली में मेरी शिकायत की गयी जिस पर उक्त मनबढ़ दरोगा मेरी अनुपस्थिति में परिवार के सदस्यों को गाली देते हुये मुझे सहित परिवार के सभी लोगों को फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी दिये। उक्त दरोगा की इस हरकत से जहां पीड़ित और परेशान हो गया, वहीं गांव के अन्य लोग दरोगा से परेशान होकर जिला व पुलिस प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराये।

पारिवारिक कलह से क्षुब्ध होकर युवक ने ​खाया जहरीला पदार्थ | #TEJASTODAY चंदन अग्रहरि शाहगंज, जौनपुर। क्षेत्र के पारा कमाल गांव में पारिवारिक कलह से क्षुब्ध होकर बुधवार की शाम युवक ने किटनाशक पदार्थ का सेवन कर लिया। आनन फानन में परिजनों ने उपचार के लिए पुरुष चिकित्सालय लाया गया। जहां पर चिकित्सकों ने हालत गंभीर देखते हुए जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया। क्षेत्र के पारा कमाल गांव निवासी पिंटू राजभर 22 पुत्र संतलाल बुधवार की शाम पारिवारिक कलह से क्षुब्ध होकर घर में रखा किटनाशक पदार्थ का सेवन कर लिया। हालत गंभीर होने पर परिजन उपचार के लिए पुरुष चिकित्सालय लाया गया। जहां पर हालत गंभीर देखते हुए चिकित्सकों बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल रेफर कर दिया।

Millions of tires and batteries stolen on the highway. #TejasToday

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Read More

Recent