टिकट को लेकर प्रत्याशियों में शुरू हुई जोर आजमाइश
गोविन्द वर्मा
निन्दूरा, बाराबंकी। चुनाव की घोषणा होने के बाद से राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों में टिकट को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। क्षेत्र की जनता अपना प्रतिनिधित्व किसको सौंपती है यह भविष्य ही बतायेगा। आजादी के बाद से केवल हरदेव रावत को छोड़कर क्षेत्र की जनता ने किसी को दुबारा विधानसभा नहीं पहुँचाया है। वर्ष 2011 में हुए परिसीमन के बाद फतेहपुर विधानसभा का परिवर्तन कर उसे कुर्सी विधानसभा का नाम दिया गया है। उसके पहले फतेहपुर विधानसभा के नाम से जानी जाती थी। कुर्सी विधानसभा में वोटरों की संख्या 380000 के आसपास है। इतिहास में इस विधानसभा ने पूर्व विधायक स्व. हरदेव रावत के बाद आज तक जनता ने दोबारा किसी को जनप्रतिनिधि नहीं चुना है।
वर्ष1987 से लगातार समाजवादी पार्टी से विधायक हरदेव रावत जीते लेकिन जनता द्वारा 2002 में परिवर्तन करते हुए भारतीय जनता पार्टी से राजरानी रावत विधायक को विधानसभा पहुँचाया गया। वर्ष 2007 में बहुजन समाज पार्टी से मीता गौतम विधायक बनी तो अगले चुनाव वर्ष 2012 में समाजवादी पार्टी से हाजी फरीद महफूज किदवई विधायक बने। 5 साल बाद फिर से जनता का मूड बदला और वर्ष 2017 में भारतीय जनता पार्टी का कमल खिलाते हुए साकेंद्र प्रताप वर्मा को विधानसभा सभा भेजा गया। वर्तमान समय में चुनाव की घोषणा के बाद से फिर क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधियों से हलचल मची हुई है।
अब 2022 में कुर्सी विधानसभा की जनता किसको अपना जनप्रतिनिधि चुनेगी इसका अंदाजा लगाना काफी मुश्किल है। वर्षों से इतिहास है पूर्व विधायक स्व. हरदेव रावत के बाद आज तक कुर्सी विधानसभा की जनता द्वारा दोबारा किसी को जनप्रतिनिधि के रूप में नहीं चुना गया है। क्षेत्र की जनता जितनी आसानी से जनप्रतिनिधि को कुर्सी पर बैठाती है। उतनी ही जल्दी कुर्सी से उतार भी देती है। वर्तमान में कई लोग इस विधानसभा से अपनी किस्मत आजमाने के प्रयास में लगे हुए हैं।
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