सरकार की स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखा रहा दुर्वासा मुक्ति धाम
सरकार की स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखा रहा दुर्वासा मुक्ति धाम
शवदाह करने के पश्चात नहीं होती है सफाई
अधजली लकड़ियों से पटती जा रही नदी
देवी प्रसाद शर्मा
आजमगढ़। दुर्वासा धाम के पवित्र तट पर प्रतिदिन क्षेत्रीय लोगों से लेकर दूर-दराज तक के लोगों द्वारा परिजनों के शव को मुक्तिधाम क्षेत्र में जलाया जाता है। वहां पर पंचम चौधरी खानदानी पेशे से खुद शव को जलाने का काम करते हैं। लगभग 20 किलोमीटर दूर-दूर तक के लोग इस पवित्र स्थल पर दाह संस्कार कर पूण्य के भागी बनते हैं।
यहां पर आने जाने वाले लोग इस पवित्र स्थल पर परिजनों के शव को दुर्वासा के पवित्र तट पर दाह संस्कार करने के पश्चात राहत की सांस लेते हैं। शवदाह प्रमाण पत्र भी यहीं से दिया जाता है लेकिन यहां आने के पश्चात सरकार की कथनी और करनी में कितना अंतर देखने को भी मिल जाता है। वह व्यवस्था देखने के पश्चात इसी जगह से पता चल जाता है। प्रतिदिन इस जगह पर एक अनुमान के हिसाब से लगभग 2 दर्जन के आस-पास शवों का दाह संस्कार किया जाता है जिसमें बड़े पैमाने पर शव के साथ आने वाले परिजनों से पैसा वसूला जाता है लेकिन सफाई के नाम पर उतनी ही ज्यादा लापरवाही की जाती है, वहां पर बैठने के लिए कोई स्थान नहीं है। टीनसेड, धर्मशाला जैसे महत्वपूर्ण आवास की सुविधा तो जैसे-तैसे देखने को मिल जा रही है लेकिन अभी तक सरकारी नुमाइंदों ने कोई कार्यवाही इस सफाई अभियान के प्रति नहीं की है जहां पर जो होना चाहिए, वहां पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। यहीं पर ग्राम पंचायत दुर्वासा भी है लेकिन वहां के प्रधान भी इस व्यवस्था को पूर्ण रूप से देने में सफल साबित नहीं हो रहे हैं। आए हुए लोग यह सोचते हैं कि कुछ ही घंटों की तो बात है। जल्दी से जल्दी दाह संस्कार हो जाय, फिर अपने घर चले जाएंगे यहां के हालात के बारे में कौन सुनता है और देखता भी कौन है।
कहने के लिए समय-समय पर जिलाधिकारी आजमगढ़, उप जिला मजिस्ट्रेट निजामाबाद, उप जिला मजिस्ट्रेट फूलपुर, विकास खंड अधिकारी फूलपुर, विकास खंड अधिकारी मिर्जापुर, विकास खंड अधिकारी अहिरौला के साथ जिम्मेदार अधिकारी भी इस जगह पर कई बार आवश्यक निरीक्षण कर जिम्मेदार अधिकारियों को कई तरह की हिदायतें। दिशा निर्देश तो देते रहते हैं लेकिन सकारात्मक पहल आज तक वहां पर कोई दिखाई नहीं देती है। यहां पर व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए कहीं पर कोई सक्रिय भूमिका दिखाई नहीं देती है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में जाने पर किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने सफाई के प्रति सक्रिय भूमिका नहीं दिखाई है जिससे ऐसा लगे कि जिम्मेदार अधिकारियों ने साफ सफाई अभियान के तहत एहतियात के तौर पर कोई कार्यवाही की हो। आज के दौर में राजनीति करने वालों की लंबी लाइन तो देखी जा सकती है लेकिन यहां पर सौदा स्थल तक जाने के लिए रास्ते का भी अभाव है। आज भी नदी के किनारे जले हुए शव के बाद अधजली लकड़ियां, बांस कोयलेेेे, राख, भारी मात्रा में बिखरे पड़े हुए हैं। यह सभी सफाई अभियान को पूरी तरह से ध्वस्त करती जा रही है। वहीं आज के छुटभैय्यै नेता सरकार की कमियों को खूब जी भरकर कोसते तो हैं लेकिन यहां पर भी उनका ध्यान कुछ जाता नहीं है। यहां पर जिम्मेदार पंचम चौधरी जो लाश को दाह संस्कार करने में काफी सक्रिय भूमिका निभाते हैं लेकिन सफाई अभियान में उनका कोई हाथ नहीं रहता है जिससे हालत बद से बदतर यहां पर देखी जा सकती है। नदियों की हालत वैसे भी ठीक नहीं है। ऐसे में लगातार बदतर स्थिति में चल रही दुर्वासा मुक्ति धाम इस पर सरकारी नुमाइंदों का धाम कब जाएगा। अभी भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है।
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