एनटीपीसी अधिकारी की उदासीनता से भूखमरी के कगार पर पहुंचे श्रमिक, लेंगे जल समाधि
एनटीपीसी अधिकारी की उदासीनता से भूखमरी के कगार पर पहुंचे श्रमिक, लेंगे जल समाधि
आखिर एनटीपीसी क्यों बनी है दर्जनों श्रमिकों के जान की दुश्मन?
सचिन चौरसिया
ऊंचाहार, रायबरेली। एनटीपीसी राख उपयोगिता विभाग के अधिकारी की उदासीनता के चलते बीते दिनों दर्जनों संविदा कर्मचारी के पद पर तैनात श्रमिको को अकारण वश कार्य से हटा दिया गया जिससे दर्जनों से अधिक कर्मचारियों के सामने करो या मरो की स्थिति बनी है। अकारणवश हटाए गए श्रमिको ने अपना जीवन दांव पर लगाने तक की घोषणा कर दी और एनटीपीसी के संचालक से लेकर उच्च अधिकारियों तक के कान में जूं तक नहीं रेंगी।
जिलाधिकारी को दी गई अपनी आखिरी गुहार में कर्मचारियों ने 14 जुलाई को तहसील क्षेत्र के गोकना घाट पर जल समाधि का निर्णय लिया है। दरअसल पूरा मामला एनटीपीसी के राख उपयोगिता विभाग का है जहां 13 वर्षों से काम कर रहे एक दर्जन से अधिक कर्मचारियों को प्रबंधन ने बिना कुछ बताए नौकरी पर आने के लिए मना कर दिया। तब से सभी श्रमिक बेरोजगार हो गए है । इसके बाद कर्मचारियों ने महीनो एनटीपीसी के उच्चाधिकारियों समेत श्रमायुक्त विभाग, जिलाधिकारी, सीएम, पीएम, समेत तमाम अफसरों के यहां तसरीफ दी और न्याय की गुहार लगाई लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ भी हासिल नहीं हुआ है।
पीड़ित कर्मचारी में व्याप्त आक्रोश ने सुनाया अंतिम निर्णय
कर्मचारी राजेश सिंह, दुर्गेश बाजपेई, राजेंद्र दीक्षित, विपिन शुक्ला, वीरेंद्र कुमार, अमित दुबे, इमरान, दिलीप इत्यादि श्रमिकों ने बताया कि एनटीपीसी की हठधर्मिता के चलते उन्हें निकाला गया है जबकि केंद्रीय श्रमायुक्त के आदेशों के बाद भी एनटीपीसी प्रबंधन काम पर नहीं रख रहा है। बेरोजगारी के चलते परिवार भुखमरी के कगार पर है। इससे क्षुब्ध सभी बेरोजगार हो चुके श्रमिकों ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर 14 जुलाई को गोकना घाट पर मां गंगा के आचरण में परिवार समेत विलीन होने का अंतिम फैसला सुनाया है।
आधुनिक तकनीक से करायें प्रचार, बिजनेस बढ़ाने पर करें विचार
हमारे न्यूज पोर्टल पर करायें सस्ते दर पर प्रचार प्रसार।