मुख्य न्यायाधीशों का सम्मेलन ‘विश्व एकता’ के लिये वरदान: नन्द गोपाल

मुख्य न्यायाधीशों का सम्मेलन ‘विश्व एकता’ के लिये वरदान: नन्द गोपाल

सीएमएस के अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन का चौथा दिन
आरएल पाण्डेय
लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल कानपुर रोड ऑडिटोरियम में आयोजित हो रहे ’23वें अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के चौथे दिन का उद्घाटन करते हुए प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल ‘नंदी’ ने कहा कि यह सम्मेलन बच्चों के भविष्य व उनकी भलाई को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया जा रहा है, मुझे विश्वास है कि विश्व एकता व विश्व शान्ति के लिए यह सम्मेलन वरदान साबित होगा। उन्होंने आगे कहा कि सभी के सहयोग व प्रयास से एकता, शान्ति व सौहार्द का वातावरण बनेगा और आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ वातावरण. शान्तिपूर्ण विश्व व्यवस्था एवं सुरक्षित भविष्य का अधिकार अवश्य मिलेगा।

विदित हो कि सी.एम.एस. के तत्वावधान में 18 से 22 नवम्बर तक आयोजित पाँच दिवसीय विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 23वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ में विभिन्न देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, पार्लियामेन्ट के स्पीकर, न्यायमंत्री, इण्टरनेशनल कोर्ट के न्यायाधीश समेत 57 देशों के 250 से अधिक मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश व कानूनविद् प्रतिभाग कर रहे हैं।

प्रातःकालीन सत्र के प्लेनरी सेशन में बोलते हुए मेडागास्कर सुप्रीम कोर्ट की सीनियर जज न्यायमूर्ति सुश्री राबेटोकोटनी ताहिना ने कहा कि विश्व के सभी बच्चों की जरूरतें समान होती हैं जैसे कि. शिक्षा, सुरक्षा इत्यादि । यदि समाज विघटित होता है, तो बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते है। कैमरून कान्स्टीट्यूशनल काउन्सिल के जज, न्यायमूर्ति श्री जीन बैप्टिस्ट बास्कोडा ने कहा कि विश्व संसद सम्भव है लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय कानून के नियमों को सामाजिक मानदण्डों के रूप में परिवर्तित किया जाना चाहिए जो सामाजिक राज्य बनाने वाले सभी राज्यों, व्यक्तियों और कानूनी संगठनों पर लागू हो। कोस्टारिकन एसोसिएशन ऑफ जजेज के प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति एड्रियाना ओरोकू चावरिया ने कहा कि बच्चों का हित सभी संस्थाओं का मुख्य मुद्दा होना चाहिए, क्योंकि धरती की भलाई उन्ही के सुरक्षित भविष्य द्वारा सुनिश्चित की जा सकती है।

कोस्टारिका सुप्रीम कोर्ट के जज, न्यायमूर्ति श्री मिगुएल फर्नांडीज ने कहा कि ‘अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था लागू करना समय की मांग है, क्योंकि इसी व्यवस्था के जरिए विश्वव्यापी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। मोरक्को के कट ऑफ कॉशेसन के वाइस प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति मोहम्मद नमिरी ने कहा कि एकता व शान्ति स्थापना के लिए सबसे जरूरी है कि मानव अधिकारों का पूरा सम्मान हो। तंजानिया के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति खामिस रमजानी ने कहा कि शिक्षा का अधिकार सभी बच्चों को मिलना ही चाहिए। सुरक्षित एवं सुखद वातावरण प्रदान करना हम वयस्क लोगों का कर्तव्य है, ये वो स्वयं से नहीं पा सकते।
इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के अन्तिम दिन आज विभिन्न देशों से पधारे न्यायविदों, कानूनविदों व प्रख्यात हस्तियों में अलग-अलग पैरालल सेशन्स जैसे ‘क्रिएटिंग कल्चर फॉर यूनिटी एण्ड पीस’, ‘इस्टेब्लिसिंग रूल ऑफ लॉ’, ‘हयूमन राइट्स’, ‘ग्लोबल गवर्नेन्स स्ट्रक्चर’, ‘टैकलिंग ग्लोबल इश्यूज एवं ”सस्टेनबल आदि विषयों पर विचार-विमर्श का दौर चला। ‘हयूमन राइट्स’ थीम के अन्तर्गत क्रिएटिंग अवेयरनेस फॉर एण्ड प्रोटेक्शन ऑफ फण्डामेन्टल ह्यूमन राइट्स, वायलेन्स इन एण्ड अगेन्स्ट चिल्ड्रेन, राइट्स ऑफ चिल्ड्रेन एवं राइट्स ऑफ वोमेन एण्ड जेण्डर इक्वलिटी विषयों पर विचार-विमर्श हुआ। इसी प्रकार ‘ग्लोबल गवर्नेन्स स्ट्रक्चर’ थीम पर आयोजित पैरालल सेशन में यू.एन. रिफार्म -रिव्यू ऑफ द यू.एन. चार्टर, नीड फॉर ए न्यू वर्ल्ड आर्डर आन डेमोक्रेटिक लाइन्स, रिफार्म ऑफ ग्लोबलगवर्नेन्स स्ट्रक्चर आदि विषयों पर व्यापक चर्चा-परिचर्चा हुई तो वहीं दूसरी ओर ‘टैकलिंग ग्लोबल इश्यूज’ थीम के अन्तर्गत रीजनल एण्ड इण्टरनेशनल टेरोरिज्म, एथनिक एण्ड सिविल वार, न्यूक्लियर डिसआर्मामेन्ट एवं जेण्डर इक्वलिटी एण्ड इम्पावर्मेन्ट ऑफ वोमेन आदि विषयों पर चर्चा हुई।
एक प्रेस कान्फ्रेन्स में मुख्य न्यायाधीशों के विचारों का निचोड़ पत्रकारों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए सम्मेलन के संयोजक डा. जगदीश गाँधी, प्रख्यात शिक्षाविद् व संस्थापक, सी.एम.एस. ने बताया कि लगभग सभी मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाशीशों व कानूनविदों की आम राय रही कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51 (सी) विश्व की समस्याओं का एक मात्र समाधान है। भारतीय संविधान विश्व के अकेला ऐसा संविधान है जो पूरे विश्व को एकता के सूत्र में जोड़ने की बात कहता है। उन्होंने बताया कि सभी मुख्य न्यायाधीशों ने इस बात को माना कि वे मानवता की आवाज और बुलन्द कर सकते हैं परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय कानून तभी प्रभावशाली रूप से लागू किया जा सकता है जब राजनीति से जुड़े लोग भी हमारे साथ मिलकर एक विश्व संसद बनाने का समर्थन दें।

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