शहर को 20 साल बाद मिलेगा नया विधायक
2002 से डा. राधामोहन दास थे विधायक, 1989 से है भाजपा का कब्जा
अजय जायसवाल
गोरखपुर। जिले की शहर विधानसभा सीट को 20 साल बाद नया विधायक मिलेगा। अब नया विधायक बीजेपी का होगा या किसी अन्य पार्टी का, यह तो 10 मार्च को ही पता चलेगा। दरअसल गोरखपुर शहर सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद चुनाव लड़ रहे हैं। इस वजह से इस विधानसभा को हॉट सीट माना जा रही है। प्रदेश भर की निगाहें इस सीट पर हैं। यहां जितने भी प्रत्याशियों ने चुनाव में ताल ठोंकी है, ये सभी उम्मीद्वार पहली बार विधानसभा चुनाव में दावेदारी कर रहे हैं।
चाहे वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हों या फिर भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर आजाद हों, ये सभी बड़े नेता पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि इस सीट पर योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अगर कोई अन्य बड़ा चेहरा है तो वह है चंद्रशेखर आजाद।
33 साल से शहर सीट पर है भाजपा का कब्जा
साल 2002 से ही लगातार गोरखपुर शहर सीट पर भाजपा के विधायक डा. राधा मोहन अग्रवाल का कब्जा रहा है। साल 2022 चुनाव में सीएम योगी आदित्यनाथ के आने की वजह से विधायक डा. राधा मोहन को ये सीट छोड़नी पड़ी। वर्तमान विधायक डा. राधा मोहन इस समय सीएम योगी आदित्यनाथ का प्रचार प्रसार कर रहे हैं जबकि इससे पहले साल 1989 से यह सीट बीजेपी के कब्जे में है। राधामोहन दास अग्रवाल से पहले 1989 से 2002 तक इस सीट से भाजपा के शिव प्रताप शुक्ल विधायक रहे। अब इस बार भी बीजेपी के सबसे मजबूत दावेदार योगी आदित्यनाथ इस शहर सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं।
इस बार शहर सीट पर नये हैं सभी प्रत्याशी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इससे पहले कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़े हैं। साल 2017 में सीएम बनने के बाद सांसदी के पद से योगी ने इस्तीफा दे दिया था। वे एमएलसी के पद पर मनोनीत कर दिए गए। वहीं भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर आजाद भी अपने राजनीतिक कॅरियर में पहली बार चुनाव मैदान में हैं। बसपा के प्रत्याशी ख्वाजा शमसुद्दीन का भी ये पहला चुनाव है। वहीं सपा उम्मीदवार स्व. उपेन्द्र शुक्ला की पत्नी शुभावती शुक्ला पहली बार राजनीति में आई हैं। इससे पहले उन्होंने भी चुनाव नहीं लड़ा है। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी विजय श्रीवास्तव भी पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। गोरखपुर शहर सीट पर 20 साल बाद 2022 में ऐसा होगा कि कोई नया चेहरा यहां से विधान सभा पहुंचेगा।
गोरखपुर सदर सीट का इतिहास
यूपी की 403 विधानसभा में एक गोरखपुर सदर विधानसभा 322 नंबर से जानी जाती है। 1951 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुआ था। तब कांग्रेस के इस्तिफा हुसैन पहली बार विधायक बने थे। 1962 में कांग्रेस के नेमतुल्लाह अंसारी विधायक चुने गए। 1967 में यह सीट भारतीय जनसंघ के पास चली गई और उदय प्रताप दुबे विधायक बने। 1969 में कांग्रेस के राम लाल भाई जबकि 1974 से 1977 तक वरिष्ठ अधिवक्ता अवधेश कुमार श्रीवास्तव जनसंघ से विधायक चुने गए। 3 बार जनसंघ का विधायक होने के बाद 1984 में यह सीट कांग्रेस के सुनील शास्त्री ने जनसंघ से छीन ली परंतु 1989 में यह सीट फिर भाजपा ने शिव प्रताप शुक्ला ने कांग्रेस से छीन ली। तब से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है।