अयोध्या में जाम का कारण बना ई-रिक्शा का अव्यवस्थित संचालन
तीन हजार से अधिक ई-रिक्शा परिवहन विभाग में हैं पंजीकृत
चालकों के पास नहीं है संचालन का प्रशिक्षण प्रमाण पत्र
राजेश श्रीवास्तव
अयोध्या। राम नगरी में नगर ही नहीं, बल्कि फैजाबाद शहर में भी ई रिक्शा का संचालन जाम की सबसे बड़ी वजह बन गया है। अनट्रेंड ई रिक्शा चालकों के अव्यवस्थित संचालन से यातायात व्यवस्था सुदृढ़ होने की जगह समस्या का सबसे बढ़ा कारण बन गई है।
कुछ माह पूर्व परिवहन विभाग ने ई रिक्शा का पंजीकरण बगैर प्रशिक्षण प्रमाणपत्र के बंद कर दिया था लेकिन यह व्यवस्था भी चंद दिनों बाद ही औंधे मुंह गिर गई। विभाग गाइड लाइन का पालन नहीं करा सका और फिर से ई रिक्शा का रजिस्ट्रेशन पूर्व की भांति किया जाने लगा। अब हाल यह है कि जिले में मौजूद तीन हजार से अधिक ई रिक्शा शहर की सड़कों पर ही नहीं हाईवे पर भी बेखौफ संचालित हो रहे हैं। जिले में ई रिक्शा के व्यवस्थित संचालन की कई बार योजनाएं बनी लेकिन वह फाइलों तक ही सीमित हो कर रह गईं। इनके संचालन को नया रूट बनाया जाना था।
यह तय हुआ था कि इनके लिए उस रूट का चयन किया जाएगा जिस पर अन्य सवारी वाहन नहीं संचालित होंगे। यातायात संबंधी कई बैठकों में इसका जिक्र हुआ। खाका खींचा गया लेकिन उसे धरातल पर नहीं उतारा जा सका। समय के साथ इस योजना से प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान हट गया। अब आलम यह है कि अयोध्या नगर और शहर के सभी मुख्य मार्ग पर आटो, टैम्पो के साथ ई रिक्शा का भी संचालन हो रहा है। उस पर निजी वाहनों की अत्यधिक संख्या जाम का कारण बन रही है। व्यवस्थित संचालन पर नहीं है कोई जोर
ई-रिक्शा भले ही पर्यावरण के लिहाज से बेहतर माना जाता है और सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को परमिट से मुक्त कर रखा है, फिर भी इसके व्यवस्थित संचालन पर जोर दिया आवश्यक माना जा रहा है। अब तक प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस प्रयास धरातल पर नहीं उतरा जिससे शहर में जाम की समस्या से लोगों को निजात मिल सके और यात्रियों को भी सहूलियत हो। कराह रही है रामनगरी
इससे कोई इंकार नहीं कर सकता है कि रामनगरी में मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद से बाहरी श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है। बावजूद इसके सवारी वाहनों के संचालन की रूपरेखा नहीं तय की जा सकी। बाहर से आने वाले यात्रियों के वाहनों के अलावा स्थानीय लोगों के वाहन से अयोध्या नगर कराहता रहता है। इसका असर स्थानीय व्यवसाय पर भी पड़ता है। क्या कहते हैं जिम्मेदार?
डीजल-पेट्रोल चलित आटो व टेंपो का परिवहन विभाग में पंजीकरण बंद कर दिया गया है जहां तक रूट निर्धारण की बात है तो यह अधिकार संभागीय परिवहन प्राधिकरण को है और शहरी स्तर पर यातायात की सुगमता के मद्देनजर पुलिस कर सकती है। शासन की मंशा के अनुरूप पर्यावरण के लिहाज से इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। आरपी सिंह एआरटीओ (प्रशासन)।
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