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प्रदीप दूबे
सुइथाकला, जौनपुर। प्रदेश में फर्जी शैक्षिक अभिलेखों के आधार पर प्राथमिक विद्यालयों में नौकरी कर रहे शिक्षकों पर शासन ने कड़ा रूख अख्तियार करते हुए सभी शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रदेश में चल रही जांच प्रक्रिया के क्रम कई शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर उनके खिलाफ विधिक कार्यवाही भी की गई है। विकासखण्ड सुइथाकला में फर्जी शैक्षिक अभिलेखों के आधार पर परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत तीन सहायक अध्यापकों के शैक्षिक अभिलेखों की जांचोपरान्त 5 अप्रैल 019 को उनकी सेवा समाप्त कर दी गई थी।
जिनमें प्राथमिक विद्यालय जमदरा में कार्यरत शिक्षक राजा राम सिंह पुत्र रंजीत सिंह व प्राथमिक विद्यालय बाल्मीकपुर में नियुक्त शिक्षक सदाबृज यादव पुत्र इन्द्र देव यादव तथा प्राथमिक विद्यालय पूरा असालतखां में तैनात नरसिंह यादव पुत्र शिव मूरत यादव शामिल है। उक्त तीनों शिक्षक परिषदीय विद्यालयों में बतौर उर्दू शिक्षक के पद पर कार्यरत थे। शैक्षिक अभिलेखों के सत्यापन में तीनों शिक्षकों की मुअल्लिम ए उर्दू तथा अध्यापक पात्रता परीक्षा के अभिलेखों में भिन्नता पायी गई थी, जिसके सम्बन्ध में अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व द्वारा उक्त शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, लेकिन आरोपी शिक्षकों द्वारा कोई स्पष्टीकरण न दिए जाने के फलस्वरूप तीनो शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी गयी।
प्रकरण में अपर मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश के आदेश के अनुक्रम में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी द्वारा 03 जुलाई को तीनों शिक्षकों के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने का निर्देश दिया गया। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के आदेश के क्रम में खण्ड शिक्षा अधिकारी राज नारायण पाठक ने प्रकरण के सम्बन्ध में स्थानीय थाने पर लिखित तहरीर दी। प्रकरण में पुलिस उक्त तीनों शिक्षकों के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 419, 420, 467, 467, 468, 471 के तहत मुकदमा पंजीकृत कर आवश्यक कार्यवाही कर रही है।
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