कोई तो दे जवाब? छैल बिहारी टीए या ठेकेदार
कोई तो दे जवाब? छैल बिहारी टीए या ठेकेदार
विशाल रस्तोगी
सीतापुर। सकरन में तैनात टीए छैल बिहारी वैसे तो सरकारी कर्मचारी बताए जाते हैं लेकिन यदि सूत्रों और क्षेत्र में चल रही चर्चाओं की बात की जाए तो टीए छैल बिहारी टीए पद से ज्यादा ठेकेदार के रूप में जाने जाते हैंजिसके पीछे का कारण तो चौंकाने वाला है। छैल बिहारी सकरन में बतौर टीए के पद पर तैनात हैं। साथ ही वे ठेकेदारी का कार्य भी देखते हैं कोई तो बताए कि क्या एक सरकारी कर्मचारी ठेकेदार हो सकता है?
सूत्रों के दावों और चर्चाओं के अनुसार छैल बिहारी सरकारी पद पर रहते हुए ठेकेदार का कार्य भी कर रहे हैं। ग्रामसभा में होने वाले विकास कार्यों में छैल बिहारी ही एक ऐसी शख्सियत है जो घोटालों की दीमक को बढ़ाने का कारण कर रहे हैं। ग्रामसभा में होने वाले विकास कार्यों में छैल बिहारी प्रधान व सचिव से सामंजस्य बिठाकर विकास कार्य को ठेकेदारी प्रथा पर कार्यरत करने की सलाह देते हैं और उसके बाद स्वयं ही होने वाले विकास कार्यों का दारोमदार अपने सर लेकर कार्य को पूर्ण करवाते हैं। सरकार द्वारा ग्रामसभा स्तर पर ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने के लिए विभिन्न योजनाएं लाई गई लेकिन इन सभी योजनाओं को ताख पर रखकर छैल बिहारी अपने टीए के पद का फायदा उठाते हुए ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दे रहे हैं और विकास कार्यों में दीमक लगाने का कार्य कर रहे हैं।
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