प्रेयसी!
तू ना होती तो क्या होता?
सांसे आती ना दिल धड़कता।।
तेरी गोरी गोरी काया में,
आंखों का है जो चंचलपन।।
तेरी सुनहरी जुल्फों में,
मेरा दूर होता अकेलापन।।
हर शाम तू याद आती है,
मेरी रातें ठहर जाती हैं।।
आलम ना पूछो सुबहो का,
तेरी छुअन मुझे सिहराती है।।
तू ना होती तो क्या होता?
मन की लहरें इठलाती हैं,
अधरो पर सिमट जाती हैं।।
मेरे अंतर्मन एहसासों में,
मधु चांदनी उजालों में।।
तेरे प्यार को श्रृंगार दूं,
इसे चुंबनी आधार दू।।
मेरे रोम रोम में तू ही है,
मेरे हर जन्मों में तू ही है।।
तू ना होती तो क्या होता?
तू इतना प्यार जो करती है,
मेरे सारे दर्द जो सहती है।।
मेरी जीत में, मेरी हार में,
कभी धूप में, कभी छांव में।।
कांटों से भरी मेरी राह में,
तू सदा रही मेरे साथ में,
तू ना होती तो क्या होता?
मुझे याद तेरी जब आती है,
आंखें मेरी भर जाती है।।
तेरे गीत जो मैं सुनाता हूं,
जग को प्रीत सिखाता हूं।।
तू भी तो इसे सुनती होगी,
कोई ख्वाब नया बुनती होगी।।
मैं तुझे सोचकर जीता हूं,
मैं तुझे सोचकर मरता हूं ।।
तू ना होती तो क्या होता?
सांसे आती ना दिल धड़कता।।
तू ना होती तो क्या होता?
आलोक कुमार
656/5/043 आलोक नगर
रिंग रोड, कल्याणपुर, लखनऊ।
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