मोदी सरकार में खत्म किया जा रहा अम्बेडकर के सपनों का भारत
मोदी सरकार में खत्म किया जा रहा अम्बेडकर के सपनों का भारत
भारत को आजादी के कितने साल हो गये है,लेकिन आज एक बार फिर भारत कुछ तानाशाही विचारों में जकड़ी जा रही है।भारत के स्वतंत्र होने के बाद भारत के महान विभूति डां.अम्बेडकर ने अपने समस्त देशवासियों के बेहतर जीवन के लिए दस्तावेज दिए जिसमें सबके अधिकारों को संरक्षित किया गया था।जिसे भारत का संविधान कहां गया। डां. अम्बेडकर ने इस दस्तावेज में जहां समाजिक कल्याण की भावना की निहित किए वहीं आज वर्तमान तानाशाही मोदी सरकार लगातार नागरिकों के अधिकारों का हनन कर रहा है। इससे यह साबित हो रहा है कि आने वाला भारत का भविष्य बहुत ही भयावह होगी।जिस प्रकार मोदी सरकार समाजिक कल्याण की भावना से हटकर दलितों, वंचितों, शोषितो, पिछड़ों का शोषण कर रही है इससे यह स्पष्ट है कि अम्बेडकर के सोच का भारत जिसमें भारत का समस्त नागरिक भाई -चारे के साथ भारत के विकास में अपना योगदान करेगा वो असम्भव सा प्रतीत हो रहा है।और वो सपने भी अधूरे रह जायेंगे। भारत को युवाओं का देश कहां जाता लेकिन वर्तमान सरकार युवाओं पर लाठियां और गोलियां चलवा रही है। क्या ऐसे में अब भारत का युवा परिवर्तन चाहेगा।आज यूपी जैसे राज्यों में गरीबों वंचितों के घरों पर बुलडोजर चलवाई जा रही है। दरअसल वो वुल्डोजर चुनाव में सत्ताधारी सरकार को वोट न करने का परिणाम है। आज यूपी में महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही एक तरफ सरकार के नेता तो दूसरी तरफ शासक पूरे देश में आतंक जैसे माहौल को बनाकर रख दिए हैं। आखिर ऐसा लगता है कि आने वाला भारत ऐसा होगा जहां समस्त नागरिक धर्म,जाति, सम्प्रदाय के नाम पर आपस में लड़ते रहेंगे और सत्ता में बैठे पूंजीवादी सरकार लोग अंडे के साथ रोटियां खाते नजर आयेगे।अब स्थिति ऐसी प्रतीत हो रहा है कि अम्बेडकर, गांधी तथा ज्योतिबा के सपनों भारत अब अधूरा ही रह जायेगा।अगर इससे मुक्ति पाना है तो दलितों, वंचितों, शोषितो, पीछडों को एक जुट होकर लड़ाई लड़ने की जरूरत है और यह तभी सम्भव होगा जब हम अपने अधिकारों को समझेंगे।इसके लिए शिक्षा मात्र एक साधन इसलिए डां.भीमराव अम्बेडकर ने अपने दस्तावेज में शिक्षा को एक अनिवार्य विषय के रूप रखें औश्र उन्होनें कहा की “शिक्षा वो शेरनी की दूध है,जो जितना पीयेगा उतना ही दहाडेगा”।
अगर हम आज हो रहे इस अन्याय के खिलाफ आवाज नहीं उठायेंगे तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेगी।तो आईए एक कसम लेते हैं कि ऐसे विचार रखने वाले मोदी सरकार के मंसूबों पर पानी फेरने का काम करते है। उसके लिए जेल की रोटियां खाना पड़े तो कबूल है आओं मिलकर लड़ते हैं और भारत के आजादी के आवाज को बुलंद करते है। एक ऐसे भारत का निर्माण किया जाए जहां ऊंच-नीच,गरीब-अमीर का भाव खत्म करके भाई- चारे के साथ बेहतर जीवन जीने का शुरूआत करते है।
ज्योति प्रकाश यादव
सिविल शोधार्थी, सामाजिक चिंतक
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