प्रयागराज—लखनऊ राजमार्ग पर करोड़ों बेशकीमती ज़मीन का कूटरचित अभिलेखों के सहारे एग्रीमेंट
प्रयागराज—लखनऊ राजमार्ग पर करोड़ों बेशकीमती ज़मीन का कूटरचित अभिलेखों के सहारे एग्रीमेंट
ज़मीन पर कब्जेदारी को लेकर पीड़ित ने राजस्व अधिकारियों से गुहार लगाने के बाद हुआ एग्रीमेंट
सीएम की बेदाग कार्यशैली पर धब्बा लगाने से बाज नहीं आये पूर्व न्यायिक मजिस्ट्रेट जीत लाल सैनी व और लेखपाल जितेन्द्र सिंह
सरकारी जमीनों पर काबिज भू—माफियाओं में मचा हड़कम्प
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दागियों के खिलाफ कार्यवाही की चर्चा हर आमो खास की जुबान पर है। बेदाग और साफ सुथरी छवि के चलते योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली पर धब्बा लगाने में सदर तहसील में तैनात रहे पूर्व न्यायिक मजिस्ट्रेट जीत लाल सैनी और लेखपाल जितेन्द्र सिंह बाज नहीं आये। उल्लेखनीय है कि भांव सर्किल में तैनात लेखपाल जितेन्द्र सिंह की मिलीभगत से जीतलाल सैनी ने प्रयागराज लखनऊ राजमार्ग पर स्थित करोडो की बेशकीमती ज़मीन का एग्रीमेंट अपने पुत्रों के नाम करा लिया।
सबसे विचारणीय है कि जिस ज़मीन पर कब्जेदारी को लेकर पीड़ित ने राजस्व के अधिकारियों से गुहार लगाई। उसी ज़मीन का एग्रीमेंट वहीं पर पूर्व में एसडीएम और वर्तमान में न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात रहे जीतलाल सैनी और लेखपाल जितेन्द्र सिंह ने आपसी सांठ-गांठ करके विवादित भूखंड का एग्रीमेंट बीती जुलाई को अनुपम सैनी और अनुराग सैनी पुत्र गण जीत लाल सैनी के नाम करा दिया। इस मामले के उजागर होते ही सम्पूर्ण तहसील क्षेत्र में सरकारी जमीनो पर काबिज भूमाफियाओं में हड़कम्प मच गया। सूत्रों की मानें तो भ्रष्टाचार के आकंठ में पूरी तरह से डूब चुके इन दोनों के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं किये जाने से इनके हौसलें सातवें आसमान पर है।
जीत लाल सैनी और जितेंद्र सिंह के ऊपर पूर्व में तैनाती क्षेत्रो में भ्रष्टाचार के आरोप लगातार लगते रहे हैं लेकिन उच्च अधिकारियों को गुमराह करके लगातार लगने वाले आरोपों से साफ बच जाने से ये पाक-साफ होने की दुहाई देते रहे है। जितेन्द्र सिंह की चर्चा उस समय सबसे अधिक फैली जब घर में काम करने वाली नौकरानी ने ही अवैध संबंध को लेकर सिविल कोर्ट में जितेंद्र सिंह और इनके पुत्र में खिलाफ वाद दाखिल किया जो वर्तमान में विचाराधीन है।
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