एसपी के आदेश पर ढाई साल बाद दर्ज हुआ छात्रा की मौत का मामला

एसपी के आदेश पर ढाई साल बाद दर्ज हुआ छात्रा की मौत का मामला

जयेश बादल
ललितपुर। करीब ढाई बर्ष पूर्व 4 जनवरी 2020 को अपने घर से ट्यूशन पढ़ने के लिए जाने की कहकर निकली सदर कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत मुहल्ला बड़ापुरा निवासी कक्षा 12वीं की छात्रा मुस्कान का शव बांध के पानी में तैरता हुआ मिलने से क्षेत्र में सनसनी फैल गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने छात्रा के शव को पानी से निकलवा कर पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया। पोस्टमार्टम के बाद परिजनों ने घंटाघर पर शव रखकर जोरदार प्रदर्शन किया और अपनी पुत्री की हत्या का अज्ञात पर आरोप भी लगाया। बताया गया था कि उक्त छात्रा कक्षा बारहवीं में पढ़ती थी और सुबह 7 बजे अपने घर सदर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला बड़ापुरा से पास के ही मोहल्ला अजीतापुरा में अख्तर सर के यहां ट्यूशन पढ़ने की कहकर निकली थी।

इसके बाद लगभग सुबह 9 बजे पुलिस को सूचना मिली कि किसी छात्रा का शव बांध के पानी में पड़ा हुआ है। पुलिस ने मौके पर जाकर स्थानीय लोगों की मदद से छात्रा का शव निकलवाया और उसके बैग की तलाशी ली तो आई कार्ड से छात्रा की पहचान मुस्कान पुत्री किरन रजक निवासी बड़ापुरा के रूप में हुई। जिस पर पुलिस ने छात्रा के परिजनों को सूचना दी। छात्रा की मौत की सूचना पाकर परिवार में कोहराम की स्थिति उत्पन्न हो गई। छात्रा का पोस्टमार्टम दो डॉक्टरों की मौजूदगी में हुआ जिसके बाद परिजनों ने शहर के मुख्य चौराहे घंटा घर पर छात्रा का शव रखकर जोरदार प्रदर्शन किया एवं अज्ञात लोगों पर छात्रा की हत्या कर शव फेंकने का आरोप लगाया था। इसके बाद परिजन करीब ढाई साल तक न्याय पाने के लिए भटकते रहे लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं की गई। इसके बाद जब परिजनों ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर पुलिस और शाशन के खिलाफ नाराजगी याचिका पुलिस को सौंपी तक पुलिस तत्काल हरकत में आई और अपना पक्ष बचाने के लिए तत्काल मामला आरोपी समय नामदेव, नितिन गुप्ता, बृजेंद्र कुशवाहा और शिवम ताम्रकार के खिलाफ 302 201 धाराओं में दर्ज कराया।

मृतिका छात्रा के पिता किरन कुमार पुत्र द्वारिका प्रसाद एसपी निखिल पाठक को दी गई नाराजगी याचिका में अवगत कराया गया है कि उसकी 18 वर्षीय पुत्री कुमारी मुस्कान इंटरमीडिएट की छात्रा थी जो शहरी क्षेत्र के बाहरी इलाके में संचालित एबीएम विद्यालय सुनारी बाग में अध्ययनरत थी वह सुबह 7 बजे से लेकर 8 बजे तक मोहल्ला घुसियाना मैं अख्तर सर के यहां अंग्रेजी की कोचिंग पढ़ती थी दिनांक 4 जनवरी 2020 को अर्धवार्षिक परीक्षा के अंतर्गत गणित का पेपर था और वह 7 बजे घर से कोचिंग के लिए निकली थी लेकिन जब वह 8:30 बजे तक घर वापस नहीं लौटी तब उसके मोबाइल नंबर 830368 2771 पर फोन लगाया गया तो फोन स्विच ऑफ आया जिसके बाद जब अख्तर सर के यहां जानकारी की तो पता चला कि वह कोचिंग आई ही नहीं थी इसी बीच करीब 9:30 बजे उसके विद्यालय से फोन आया कि उसकी पुत्री गोविंद सागर बांध के पास बेहोशी की हालत में पड़ी हुई है और उसी के लगभग 6 मिनट बाद एक महिला कांस्टेबल का भी फोन आया कि उनकी पुत्री मृत अवस्था में बांध के नजदीक पड़ी हुई है जिसके बाद जब वह वहां पहुंचा तो देखा कि मुस्कान का स्कूल बैग उसके कंधों पर टंगा हुआ है परंतु मुस्कान का मोबाइल एवं गले का मफलर आदि मौके पर दिखाई नहीं दिए पहुंचने के बाद यह भी देखा कि पुलिस वाले एक टैक्सी में मुस्कान को उसी अवस्था में रखकर जिला चिकित्सालय ले गए जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था पर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया था। पोस्टपार्टम में बताया गया था कि उसकी पुत्री की मौत पानी में डूबने की वजह से हुई थी लेकिन पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर की लापरवाही इसी से स्पष्ट होती है कि उन्होंने मृतका का पोस्टमार्टम 4 जनवरी 2020 को किया और मृतका का अस्पताल में ले जाने का समय 24 जनवरी 2020 सुबह 11 बजे बताया गया जो संभव नहीं है इसी तरह मृतका की आंखें और मुंह खुले हुए पाए गए थे और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में होने बंद दिखाया गया था। इसके साथ ही मृतका का शरीर ढीला दिखाया गया है परंतु इस बात पर गौर नहीं फरमाया गया कि इतने कम पानी में वह कैसे डूब गई तथा कैसे लाशों पर उतर आने लगी इसका कोई कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नहीं है जिससे समस्त कार्यवाही शंका के घेरे में है जबकि पुलिस द्वारा ऐसी हत्या को पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के आधार पर उसे आत्महत्या बताया जा रहा है जबकि कुमारी मुस्कान की मृत्यु मैं परिस्थितियों से स्पष्ट होता है कि वह से आत्महत्या नहीं की बल्कि उसकी हत्या की गई थी कि यदि इस मामले की उच्चस्तरीय सीबीआई जांच कराई जाए तो उसकी पुत्री के हत्यारों का तो पता चलेगा ही साथ में हत्या के षड्यंत्र का भी पता चलेगा इसके साथ ही हो सकता है पुलिस के कई कर्मचारियों के चेहरे भी बेनकाब हो सकें।

मृतका के पिता द्वारा जैसे ही सीबीआई जांच की मांग के लिए एसपी निखिल पाठक को नाराजगी याचिका सौंपी गई, वैसे ही उन्होंने तत्काल कोतवाल को आदेश देकर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ 302 201 धाराओं में मामला पंजीकृत कर विवेचना भी नियुक्त कर दिया जिससे यह मामला यहीं थम जाए और पुलिस विभाग पर कोई आंच ना आए। ढाई साल का समय बीतने के बाद यह कार्रवाई की जा रही है जबकि यह कार्यवाही उसी समय की जाती तो आज किशोरी के हत्यारे सलाखों के पीछे होते।
इस मामले में पुलिस अधीक्षक निखिल पाठक का कहना है कि मामले की तहरीर आते ही मामले को पंजीकृत करा दिया गया है और उसकी विवेचना भी शुरू करवा दी गई है। जैसे ही तथ्य प्रकाश में आएंगे तो आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। पीड़ित परिवार ने सीबीआई जांच की मांग की है जो हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है।

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