आखिर किस मोह में दीवान एवं उपनिरीक्षक ने फिर से सदर सर्किल में जमाये पैर?
आखिर किस मोह में दीवान एवं उपनिरीक्षक ने फिर से सदर सर्किल में जमाये पैर?
दीवान की उसी सर्किल में और उपनिरीक्षक की उसी थाने में वापसी बना चर्चा का विषय
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। अवैध कार्यों को संरक्षण देने वाले दीवान को आखिर जिले से इतना मोह क्यों है कि उसने दोबारा वापसी ही नहीं कराई, बल्कि जिस सर्किल के थाने में तैनात था उसी सर्किल में पुनः आमद कराये जाने में भी सफल रहा है।
विभागीय सूत्रों की मानें तो जुलाई वर्ष 2017 में मिल एरिया में नकली शराब कांड के मामले में इस दीवान की संलिप्तता पकड़ में आने के बाद लखीमपुर खीरी भेजा गया। शायद दीवान का शरीर तो खीरी चला गया लेकिन मन अनैतिक कमाई में ही लगा रहा और कुछ वर्ष बाद ही पुनः रायबरेली वापस आ गया।
यहां आने के बाद सदर सर्किल के भदोखर थाने में तैनाती लेकर पुनः उसी कार्य में संलिप्त है। जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सख्त निर्देश है कि भ्रष्टाचार में लिप्त दागियों के ऊपर कड़ी कार्यवाही की जाय, वहीं पुलिस विभाग के जिम्मेदार ऐसे दागदार को तैनात कर रहे हैं जो समूचे विभाग को कटघरे में खड़ा कर रहा है। साथ ही बीजेपी की सरकार में जीरो टालरेन्स की नीति को ठेंगा दिखा रहा है।
विभाग के जानकार लोगों में चर्चा है कि जब दीवान के खिलाफ कार्यवाही के लिए शासन को कॉन्फीडेंसल रिपोर्ट भी भेज दी गई थी तो उसके बाद कैसे वह वापस आ गया। साथ ही एक उपनिरीक्षक को भदोखर में अवैध वसूली का ऐसा चस्का लगा कि उसका मोहभंग नही हो पाया और स्थानांतरण के बाद पुनः लौट आया।
इतना ही नहीं, पहली तैनाती में उसको मुंशीगंज चौकी का प्रभार मिला था तो दोबारा में उसने समीप ही स्थित एम्स चौकी का प्रभार हासिल कर लिया। इस उपनिरीक्षक के बारे में दबी जुबान खूब चर्चा है कि एम्स के सामने डलमऊ रोड पर लगने वाले ठेलों और खोमचों वाले तक से वसूली कर लेता है। साथ ही तय कीमत लेकर यहां के आस—पास की विवादित जमीनों पर कब्जा दिलाये जाने का भी ठेका लेता है। अवैध खनन के साथ ही हरे पेड़ो की कटान कराये जाने के लिए भी प्रसिद्ध है। बीते दिनों लेखपाल के ऊपर जानलेवा हमला कराये जाने में इसकी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।
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