आखिर अवैध अजंता हास्पिटल के झोला छाप डॉक्टर कब तक मरीजों की जिन्दगी से करेंगे खिलवाड़?
आखिर अवैध अजंता हास्पिटल के झोला छाप डॉक्टर कब तक मरीजों की जिन्दगी से करेंगे खिलवाड़?
कुछ वर्ष पहले भी लापरवाही से मौत का लक चुका है आरोप, बदला नाम मगर कारनामे वही
जिला अस्पताल रेफर महिला का रुपयों की लालच में कर दिया आपरेशन, चली गयी जान
नोटों की गड्डियों के आगे नतमस्तक हो जाता प्रशासन, जिन्दगी से खिलवाड़ की दे देता है छूट
अनुभव शुक्ला
सलोन, रायबरेली। प्रशासन की नजर में नोटों की गड्डियों का नशा इस कदर सवार है कि नौसिखिया झोला छाप डॉक्टर ने खुलेआम जिला अस्पताल से रेफर महिला को अपने अवैध अजंता नामक अस्पताल में भर्ती कर डिलवरी पीड़ित महिला का आपरेशन कर दिया और अधिक रक्त स्राव होने पर प्रयागराज लेकर भागा जहां महिला के साथ मौत का खेल खेल डाला किंतु सलोन तहसील प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के समाज विरोधी सोच के चलते कार्यवाही तो दूर नौसिखिया झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा संचालित मौत के हास्पिटल को सील नहीं किया गया है।
इससे स्पष्ट है कि तहसील प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की संरक्षण में ही नोटों की गड्डियों के आगे ग्रामीणों की जिंदगी बौनी साबित नजर आती है, क्योंकि यह कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी चर्चा है की झोला छाप डॉक्टरों का यही अजंता नामक हास्पिटल जनता हास्पिटल के नाम से संचालित था। किंतु समय का चक्र घूमा कुछ वर्षों पूर्व उस जनता अस्पताल के झोला छाप डाक्टरों के ऊपर भी इलाज के चलते मौत का आरोप लगा था किंतु रसूख का डंडा चला तो मामला ठंडा हो गया । सिर्फ जनता हास्पिटल के बजाए अजंता हास्पिटल में परिवर्तित हो गया।
बताते चलें कि अब इस हास्पिटल में भी सलोन कोतवाली क्षेत्र के पाल्हीपुर गांव निवासी महिला की मौत के बाद बैनर हटा दिनभर थाना में सांठ-गांठ का खेल चला और मामला ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है।
इससे स्पष्ट है कि अब फिर से किसी दूसरे नाम से झोला छाप डॉक्टर अस्पताल संचालित कर ग्रामीणों की जिंदगी से अपनी प्रैक्टिस कर मौत का खेल खेलेंगे और जिम्मेदारों की आंख के आगे नोटों की गड्डियों का पर्दा पड़ा रहेगा। जब जिम्मेदार मामला बढ़ता देखते हैं तो जांच का हवाला देकर इतिश्री कर लेते हैं।
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