परिवार वालों के बयान दर्ज करके घटनास्थल की ली जायजा
अंकित सक्सेना
बदायूं। एसएसपी कार्यालय में किसान के आत्मदाह करने के मामले में शुक्रवार को एसआईटी रसूलपुर गांव पहुंची। सबसे पहले टीम ने खेत को देखा जहां किसान की गेहूं की फसल जल गई थी। इसके अलावा टीम ने किसान के परिवार वालों के बयान दर्ज किए। कुछ गांव वालों से भी मामले की जानकारी ली। एसआईटी में शामिल बरेली के एसपी सिटी रविंद्र कुमार, एसपी क्राइम मुकेश प्रताप सिंह और बदायूं के एसपी सिटी प्रवीन सिंह चौहान रसूलपुर गांव पहुंचे। टीम ने सबसे पहले किसान के परिवार वालों को बुलाया। टीम किसान के बेटे अमरजीत को लेकर खेत पर पहुंची, जहां उसने बताया कि यह 8 बीघा खेत उसका नहीं है।
यह बदायूं के आरके तिवारी का है। उसके पिता ने इसे बटाई पर लिया था। वह करीब 4-5 साल से खेत को बटाई करते आ रहे थे। अमरजीत ने बताया कि गेहूं में आग लगाने के बाद उसने आरोपियों को खेत से भागते हुए देखा था। अगले दिन सुबह इस पर विवाद हुआ था जिसके बाद आरोपियों ने उसके और उसके परिवार वालों के साथ मारपीट की थी। इसमें उसके काफी चोटें आईं थीं। टीम ने किसान के परिवार के सभी लोगों के बयान दर्ज किये। एसआईटी में शामिल अधिकारियों को देखकर गांव के तमाम लोग एकत्र होकर आ गए। इस पर उन्होंने ग्रामीणों से भी बातचीत की। शाम तक टीम गांव में मौजूद रही और गांव वालों के बयान दर्ज किये। इस बाबत पूछे जाने पर प्रवीन सिंह चौहान एसपी सिटी ने बताया कि शुक्रवार को एसआईटी गांव पहुंची। टीम ने किसान के खेत का निरीक्षण किया है। साथ ही परिवार वालों के बयान दर्ज किए हैं। गांव वालों से भी बातचीत की गई है। तत्कालीन चौकी इंचार्ज ने लगायी थी गेहूं को आग नहीं लगाने की रिपोर्ट
जिस फसल को लेकर किसान ने एसएसपी कार्यालय में आत्मदाह कर लिया, उसकी शिकायत पर तत्कालीन चौकी इंचार्ज ने जांच रिपोर्ट लगाई थी कि फसल में आग लगाई नहीं गई थी, बल्कि एक बरात गुजरने के दौरान आतिशबाजी से आग लगी थी। इसके बाद आतिशबाज मौके से भाग गए थे। रसूलपुर निवासी किसान किशनपाल के खेत में 23 अप्रैल को आग लगी थी। सूचना पर फायर ब्रिगेड पहुंच गई थी। उसी समय पुलिस भी आ गई थी।
उसके बाद आग बुझाई गई लेकिन गेहूं का ढेर नहीं बच सका। सारा गेहूं जलकर राख हो गया था। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक उस दौरान तक परिवार वालों ने कोई आरोप नहीं लगाया था। जब सुबह उनका आरोपियों से विवाद हुआ मारपीट की गई। इसके बाद किसान और उसके परिवार वालों ने थाने आकर इस संबंध में शिकायत की। इधर किसान के बेटे अमरजीत के मुताबिक आरोपियों ने उनकी फसल को जलाया था लेकिन पुलिस इसको मानने को तैयार नहीं थी। तत्कालीन चौकी इंचार्ज अशोक कुमार यह समझ रहे थे कि किसान और उनके परिवार वाले झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने फसल जलाने का झूठा आरोप लगाया है। चौकी इंचार्ज ने रिपोर्ट लगाई कि 23 अप्रैल को खेत के नजदीक से एक बरात गुजर रही थी, उसमें आतिशबाजी से आग लग गई। इसके बाद आतिशबाज मौके से भाग गये।
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