क्या उच्चाधिकारियों का अभियान मिश्रित पुलिस की आमदनी का जरिया?
हकीकत उजागर करने वाला पत्रकार होता कोप भाजन का शिकार सीतापुर। मिश्रिख कोतवाली इलाके में इस समय कच्ची शराब बनाने का कारेाबार बड़े पैमाने पर चल रहा है। प्रदेश स्तर के पुलिस अधिकारियों ने अभियान चलाकर कच्ची शराब के कारोबारियों पर प्रतिबन्ध लगाने के निर्देश दिये है लेकिन जो हालात मिश्रिख कोतवाली इलाके के देखे जा रहे है उनको देखते हुए पता चलता है कि इस समय उच्चाधिकारियों का यह आदेश मिश्रिख कोतवाली पुलिस के कुछ पुलिस अधिकारियों ने अभियान को अपनी आमदनी का जरिया बना लिया है। इस समय मिश्रिख कोतवाली इलाके में कच्ची शराब के कारेाबार में महिलाए भी लग गयी है। पुरूषों द्वारा कच्ची शराब तैयार की जा रही है और महिलाओं द्वारा उसकी बिक्री की जा रही है। आदि गंगा गोमती के किनारे बसे दर्जनों गांवों में इस समय शराब का कारोबार किया जा रहा है और गोमदी नदी में शराब सुरक्षित रखी जा रही है तथा शराब को ठण्डा किया जा रहा है। इस कारण बताया जा रहा है कि पुलिस के संरक्षण में आदि गंगा गोमती भी गांव की बनी कच्ची शराब उगलने लगती है।
मिश्रिख कोतवाली थाने पर दर्ज आंकड़ो पर ही गौर किया जाये तो पता चलता है कि इस समय मिश्रिख कोतवाली पुलिस ने कच्ची शराब का कारेाबार कुटीर उघोग का ंरूप धारण कर चुका है इसके बाद भी अधिकारी इस उद्योग को बंद करने के बजाय अपनी आमदनी का जरिया बनाये हुए है इसके बाद भी कोई भी पत्रकार इस घटना का प्रकाशन नी कर सकता है अगर करता है तो कस्बा इचार्ज शैलेन्द्र सिंह कनौजिया का उस पत्रकार पर हण्टर तक चल सकता है। वह संवाददाता की सार्वजनिक रूप से आबरू का हरण कर लेते है उसको सार्वजनिक रूप से थाने उठा लाते है। मिश्रिख कोतवाली पुलिस के कारनमोां का पर्दाफास करने वाले पत्रकार को पुलिस उठाकर थाने ले जाती है तो उसके साथ अमानवीय व्यवहार करती है। नियमो और मर्यादाओं को तोड़ते हुए पुलिस पत्रकार को दिन भर भूखा रखती है उसे भूख शांत करने के लिये एक चाय तक पीने की इजाजत नही दी जाती है। पत्रकार के पूछे जाने पर कि सर हमे किस आरोप के तहत लाया गया है जानकारी देने का कष्ट करें। तो पुलिस उसको यह भी बताना उचित नही समझती है कि पत्रकार को आखिर किस आरोप के तहत थाने लगाया गया है।
यहां तक पत्रकार के मोबाइलों केा भी थाने पर जमा करवा लिया जाता है और उसको अपने घर व आफिस तक सूचना देने की इजाजत मिश्रिख कोतवाली पुलिस नही देने देती है कि पत्रकार आखिर अपने परविार को सूचना दे दे कि वह पुलिस की हिरासत में है। क्या यह सब सही है क्या मिश्रिख पुलिस अपनी मार्यादाओं की सीमा को क्रास नही कर रही है। यह बात मिश्रिख कोतवाली पुलिस को समझनी चाहिए कि जब कोई भी व्यक्ति अपनी मर्यादाओं और सीमाओं को तोड़ता है तो परिणाम ठीक नही होते है ऐसा इतिहास भी बता रहा है। सीता माता ने लक्ष्मण रेखा की मार्यादा तोड़ी थी पूरी जिन्दगी मां सीता के सितारे गर्दिश में रे थे यह बात मिश्रिख कस्बा इचार्ज को समझना चाहिए। इस समय मिश्रिख कस्बा इचार्ज सत्य का उजागर करने वाले पत्रकार का पूरी तरह से उत्पीड़न करने में जुटे है। पत्रकार गौरव चौहान सहित अन्य पत्रकार भी इसके उदाहरण है। मिश्रिख कस्बा इचार्ज की मंशा है कि मिश्रिख इलाके की कच्ची शराब का कारोबार अगर कुटीर उद्योग का रूप धारण कर रहा है पुलिस अधिकारी कच्ची शराब के इस कारेाबार अगर संरक्षण दे रहे है तो कोई भी पत्रकार इस बात का प्रकाशन नही कर सकता है अगर करता है तो उसको अपराधियों की तरह उठा लिया जायेगा जैसे पत्रकार गौरव सिंह चौहान को उठाया गया। कस्बा इचार्ज का राबा ढाबा अंग्रेजी हुकूमत की तरह चल रहा है जो भी कस्बा इचार्ज की हुकूमत का विरेाध करता है उसका उत्पीड़न शुरू कर दिया जाता है।
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