नगरा में तालाब पर बन गये 53 मकान, जिम्मेदार बने रहे खामोश
31 मकान स्वामियों को तहसील प्रशासन ने जारी की नोटिस
लेखपाल व प्रधान की निगरानी पर उठे सवाल
राजेश श्रीवास्तव
अयोध्या। जल संचयन के दावे भले ही तमाम किए जा रहे हो लेकिन प्राचीन तालाबों के वजूद पर खतरा बढ़ रहा है। आबादी के तालाब तो पट रहे ही थे, अब राजस्व अभिलेखों में दर्ज तालाब भी पाटे जा रहे हैं। तालाब पर पक्के घर बनते रहे, जिम्मेदार मूकदर्शक बने रहे। जिम्मेदारों ने अपनी भूमिका का निर्वहन नहीं किया। एक-दो नहीं, बल्कि पूरे 53 घर तालाब को पाटकर बन गए और जिम्मेदार तब भी नहीं चेते। मामला मवई परगना अंतर्गत नगरा ग्राम का है।
यहां गांव के सबसे बड़े तालाब पर अतिक्रमण कर लिया गया। जिम्मेदार आंख मूंदे रहे और नतीजा यह निकला कि एक के बाद एक मकान बनते गए और अब तालाब के आधे क्षेत्रफल पर कब्जा कर लिया गया और मकान बना लिए गए। मामले की परतें तब खुली जब तालाब का चयन अमृत सरोवर के रूप में हुआ। तालाब की नाप जोख राजस्व कर्मियों ने की। तालाब के क्षेत्रफल में 53 मकान आए हैं। राजस्व प्रशासन ने सभी अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी किया है। नोटिस जारी होने के बाद गांव में हलचल जरूर है। लेकिन ग्राम सभा की जमीन पर कब्जा होता रहा और किसी भी लेखपाल व प्रधान की नजर नहीं पड़ी। ग्राम प्रधान राजेंद्र यादव ने बताया कि नोटिस जारी होने के बाद कुछ लोगों ने अतिक्रमण हटाया है। लेखपाल वेद प्रकाश कहते हैं कि प्रकरण संज्ञान में है। पूर्व लेखपाल ने नोटिस दिया था। आगे की कार्रवाई की जा रही है। इसी तरह कुंडिरा, तालगांव व शेरपुर गांव में तालाब खलिहान की भूमि पर दर्जनो मकान बना लिये गये। 32 बीघा खलिहान की जमीन पर भी अतिक्रमण
नगरा ग्राम पंचायत में खलिहान की लगभग 32 बीघा भूमि आरक्षित है। राजस्व अभिलेखों में भले ही यह भूमि कब्जा मुक्त हो लेकिन मौके पर अतिक्रमण बरकरार है। ग्राम प्रधान राजेंद्र यादव ने बताया कि इस जमीन पर स्थायी कब्जा नहीं है। कुछ लोग अस्थाई कब्जा किए है। इस बाबत पूछे जाने पर उपजिलाधिकारी स्वप्निल यादव ने बताया कि तालाब की भूमि पर कब्जा करने वाले या तो स्वयं अतिक्रमण हटा ले या फिर प्रशासन मकानों को तोड़ देगा। अवैध कब्जा किसी भी कीमत पर बर्दास्त नहीं किया जाएगा। बेदखल की कार्रवाई भी जारी है।
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