लखनऊ में मनाया गया विश्व फार्मेसिस्ट दिवस
लखनऊ में मनाया गया विश्व फार्मेसिस्ट दिवस
आरएल पाण्डेय
लखनऊ। हर साल विश्व फार्मासिस्ट दिवस 25 सितंबर को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2009 में इस्तांबुल तुर्की में वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस ऑफ़ फार्मेसी एंड फार्मास्यूटिकल साइंस में इंटरनेशनल फार्मास्यूटिकल फेडरेशन द्वारा की गई थी। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में फार्मासिस्ट को सम्मानित करना और उनके योगदान को सराहना है।
इस साल विश्व फार्मासिस्ट दिवस 2022 की थीम स्वस्थ विश्व के लिए फार्मसिस्ट यूनाइटेड इन एक्शन पर डिप्लोमा फार्मेसी एसोसिएशन उत्तर प्रदेश की जनपद शाखा लखनऊ द्वारा आयोजित संगोष्ठी बलरामपुर चिकित्सालय स्थित संयुक्त राज्य कर्मचारी संघ कार्यालय में जिलाध्यक्ष अरुण अवस्थी की अध्यक्षता में मुख्य अतिथि आरए गुप्ता सचिव आईपीए उत्तर प्रदेश, पूर्व महामंत्री डीपी उत्तर प्रदेश केके सचान, श्रवण सचान, पूर्व चेयरमैन उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल सुनील यादव, पूर्व कोषाध्यक्ष रजत यादव, जिला कार्यकारी अध्यक्ष लखनऊ शाखा कपिल वर्मा, ओ०पी० सिंह, सुभाष श्रीवस्तव, अविनाश सिंह, आर०बी०मौर्या, रंजीत गुप्ता सहित कई सदस्यों ने अपनी राय रखी। साथ ही सबने एक साथ इस वर्ष की थीम के अनुसार एक स्वस्थ दुनिया के लिए कार्यवाही में एकजुट फार्मासिस्ट अब आने वाली विश्व जन स्वास्थ सेवा की नई चुनौतियों में दवाओं की शोध में भी अहम भूमिका में रहेंगे।
जैसे की विश्व महामारी कोविड में वैक्सीन की खोज और विश्व में अनेकों महामारी में फार्मासिस्ट अहम भूमिका में रहा हैं सबसे अहम वैक्सीन की जनसमूह में इस्तेमाल की एप्रुवल भी एक फार्मासिस्ट (Drug controller of india) द्वारा ही दिया जाता है। साथ ही सभी सदस्यों ने कहा कि अद्भुत संयोग हैं की आज अन्त्योदय योजना एक ऐसे विचार के जनक स्मृति शेष दीन दयाल उपाध्याय का जन्म जयंती भी है। पण्डित जी की सोच थी कि समाज के अन्तिम व्यक्ति तक भोजन पहुंचे आज पण्डित जी के विचारों को गति देते हुए आज इस कोविड संक्रमण के उपरांत आ रही अस्वस्थता को दृष्टिगोचर रखते हुए हमारा प्रयास होना चाहिए।
समाज के अन्तिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचे। १- कोविड संक्रमण में साथी शहीद हुए उनको अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।२- हम सबने कोविड संक्रमण में अतुलनीय सेवा एवं सहयोग देकर समाज की बेहतरीन सेवा की है। ३- हमारा प्रयास होना चाहिए कि समाज को बेहतर स्वास्थ्य प्रबंधन हो। ४- हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति के मूल में बसुधेव कुटुम्बकम की भावना है, उसी विचार पर अग्रसर सदा सर्वदा समर्पण का भाव रखते हुए समाज के बेहतर स्वास्थ्य के प्रति संकल्पबद्ध होना चाहिए। ५- फार्मेसी व्यवसाय से जुड़े सभी सम्मानित साथियों को आपस में अपनी उपलब्धियों एवं कठिनाईयों को एक दूसरे से अवश्य साझा करना चाहिए।
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