वन विभाग को भ्रष्टाचार के दलदल में डुबाने वाले डीएफओ पर क्यों मेहरबान हैं उच्चाधिकारी?
वन विभाग को भ्रष्टाचार के दलदल में डुबाने वाले डीएफओ पर क्यों मेहरबान हैं उच्चाधिकारी?
डीएफओ के मनमाने व तनाशाही रवैये से चर्चाओं का बाजार गर्म
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के पारदर्शी नीति की वन विभाग का डीएफओ धज्जियां उड़ा रहा है। वन विभाग को भ्रष्टाचार के दलदल में डुबाने वाले डीएफओ पर उच्चाधिकारियो की मेहरबानी से विभागीय लोग भी हतप्रद हैं। उल्लेखनीय है कि वन विभाग में कार्यरत मालियों को वनरक्षक के पद पर पदोन्नति में किये गये खेल को लेकर लगातार मुहिम चलने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं किये जाने से तरह-तरह की चर्चाएं हर आमोखास की जुबान पर है।
बताते चलें कि मालियों को वनरक्षक पद पर पदोन्नति किये जाने में एक-एक लाख रुपए वसूले जाने का आरोप लगने के बाद भी विभाग की ओर से कोई जांच कमेटी का गठन नहीं किया जाना सवालों के घेरे में है। यही नहीं, डीएफओ ने उप संभागीय अधिकारी के साथ मिलकर कैटिल गार्ड लगाए जाने में खूब अवैध वसूली की। अपने कार्यकाल में डीएफओ द्वारा किये गये भ्रष्टाचार की यह बानगी मात्र है। आरोपों की लम्बी फेरहिस्त में राजमार्ग पर मौजूद पेड़ों को ट्रांसलोकेट किये जाने में मनमाने तरीके से अपने चहेतों से काम कराये जाने पर सवालिया निशान लग रहा है। पौधों को ट्रांसलोकेट किये जाने के लिए आवंटित लाखों रुपए के सरकारी धन का बंदरबांट किया जाना घोर अनियमितता की कहानी बताने को पर्याप्त है। फिलहाल मनमानी और तनाशाही रवैये वाले इस भ्रष्टाचारी डीएफओ के ऊपर कोई भी कार्यवाही नहीं किये जाने से दबी जुबान लोगों में तरह तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। अब देखना है कि कब इस तानाशाह डीएफओ पर विभागीय कार्यवाही की तलवार गिरेगी?