आखिर क्यों? मशहूर यूट्यूबर मनीष कश्यप को करना पड़ा सरेंडर, पढ़िए पूरी खबर…

आखिर क्यों? मशहूर यूट्यूबर मनीष कश्यप को करना पड़ा सरेंडर, पढ़िए पूरी खबर…

बेतिया (बिहार)। विवादास्पद यूट्यूबर मनीष कश्यप ने शनिवार सुबह बिहार पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. बेतिया पुलिस अधीक्षक उपेंद्र नाथ वर्मा ने यह जानकारी दी. पटना और पश्चिमी चंपारण पुलिस के साथ आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की 6 टीमें बीते दिनों से लगातार आरोपी के ठिकानों पर दबिश दे रही थीं.

तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों की पिटाई संबंधी फर्जी खबर फैलाने के मामले में यह यूट्यूबर आरोपी है. शनिवार सुबह ही पुलिस प्रशासन की टीमें मझौलिया थाना स्थित महना डुमरी गांव में मनीष कश्यप के घर की कुर्की जब्ती करने पहुंची थीं. इस कार्रवाई से डरे यूट्यूबर ने बेतिया के जगदीशपुर थाने में पुलिस के सामने आत्मसर्पण कर दिया. गुरुवार को ही बिहार की आर्थिक अपराध इकाई ने मनीष कश्यप के खिलाफ अदालत से गिरफ्तारी वारंट ले लिया था. वारंट जारी होते ही यूट्यूबर के पटना, दिल्ली समेत संभावित ठिकानों पर लगातार छापेमारी की जा रही थी. कुर्की की कार्रवाई करने पहुंची टीमें।


इसके अलावा, बिहार पुलिस ने मनीष कश्यप के बैंक खातों में जमा राशि को फ्रीज करा दिया था. इन खातों में कुल 42.11 लाख रुपये की राशि जमा है. बिहार पुलिस का कहना है कि इनके SBI के खाते में 3,37,496 रुपये, IDFC BANK के खाते में 51,069 रुपये, HDFC BANK के खाते में 3,37,463 रुपये इसके अलावा SACHTAK Foundation के HDFC BANK के खाते में 34,85,909 रुपये जमा हैं.
गौरतलब है कि मनीष कश्यप पर तमिलनाडु में रहने वाले बिहारी मजदूरों के खिलाफ कथित रूप से हो रहे हमले को लेकर फर्जी वीडियो शेयर करने का आरोप है. इस मामले में उस पर पहले से FIR दर्ज है. मनीष का ट्विटर अकाउंट भी ब्लॉक हो चुका है. मगर, इस बीच उसके नाम से एक नया अकाउंट (manishkashyap43) बनाया गया और ट्वीट कर दावा किया गया कि बिहार पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है।

इसके बाद बिहार पुलिस ने ट्वीट कर साफ किया था कि मनीष और युवराज को गिरफ्तार नहीं किया गया. वह एक फर्जी पोस्ट था. गिरफ्तारी की अफवाह फैलाकर लोगों को भ्रमित करने के आरोप में EOU ने FIR नंबर 5/23 दर्ज की थी।
मनीष कश्यप का जन्म 9 मार्च 1991 को बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के डुमरी महनवा गांव में हुआ था. वह खुद को ‘सन ऑफ़ बिहार’ (Manish Kasyap, Son of Bihar) लिखता है. मनीष का असली नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी है. इस नाम के पीछे वो ‘कश्यप’ लगाता है. हालांकि ज्यादातर जगहों पर ‘मनीष’ लिखता है।

साल 2020 में बिहार की चनपटिया विधानसभा सीट से त्रिपुरारी उर्फ मनीष ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. नामांकन के समय चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में उसने बतौर प्रत्याशी अपना नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी बताया है. उनकी मां मधु गृहिणी हैं. पिता उदित कुमार तिवारी भारतीय सेना में रह चुके हैं।

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