भू—माफिया के सामने पीड़ित नतमस्तक, इच्छा मृत्यु की मांग
रेलवे अधिकारियों ने भू माफियाओं से सांठ—गांठ कर पीड़ित का ढहाया नव निर्माण
सचिन चौरसिया
ऊंचाहार, रायबरेली। “आज के इस दौर में कातिल की सजा कुछ भी नहीं, हर सजा उसके लिए है जिसकी खता कुछ भी नहीं” किसी शायर की ये लाइनें ऊंचाहार के एक गरीब पर बहुत सटीक है स्थानीय प्रशासन के निर्देशों पर पीड़ित की पैतृक भूमि को रेलवे विभाग ने अपना बताकर उसका नव निर्माण मकान गिरा दिया जबकि उसी भूमि पर बने एक भूमाफिया के अवैध भवन की तरफ कोई देखता तक नहीं है।
मामला नगर से जुड़ा है। नगर के खरौवां कुआं निवासी इंद्रेश कुमार अपने हक के लिए जिला मुख्यालय पर महीनों धरना दे चुका है परेशान होकर धर्म परिवर्तन की धमकी भी दे चुका है किंतु उसको न्याय नहीं मिल रहा है। मामला ये है कि इंद्रेश के पिता राम प्यारे ने अपनी भूमि संख्या 2824 में आंशिक भाग करीब ढाई विश्वा का बैनामा हरिकिशन नाम के व्यक्ति को किया था। किंतु उसने जबरन साढ़े सात विश्वा में कब्जा करके भवन निर्माण कर लिया। इससे अपने जमीन को पाने के लिए गरीब परेशान है। इसी भूमि के शेष भाग पर जब पीड़ित अपना निर्माण करने पहुंचा तो रेलवे लाइन के किनारे भूमि स्थित होने पर स्थानीय प्रशासन के राजस्व अधिकारियों के पैमाईश कर पीड़ित को भूमि सौंपने पर भूमि निर्माण दौरान भूमि को धता बताकर रेलवे और राजस्व अधिकारियों ने उसका निर्माण ढहा दिया। खास बात यह है कि एसडीएम ने अपनी जांच आख्या में इस बात को स्वीकार किया है कि उसकी जमीन के अधिक भाग पर अवैध कब्जा करके निर्माण किया गया है, किंतु राजस्व विभाग अवैध कब्जा को हटाने में रुचि नहीं ले रहा है यहां सवाल यह है कि जब उसी गाटा संख्या में गरीब का निर्माण अवैध है तो उसी गाटा संख्या में बने भूमाफिया का भवन वैध कैसे है? जबकि एसडीएम खुद अपनी आख्या में स्वीकार कर रहे हैं कि भूमाफिया का भवन अवैध बना हुआ है। सरकारी मनमानी से परेशान पीड़ित अब राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग कर रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि भूमाफिया के सामने नतमस्तक हुई रेलवे विभाग एक गरीबपरिवार की कुटिया उजाड़ने में क्यों दिलचस्पी दिखाए जबकि उसी भूमि के गाटा संख्या पर भूमाफिया का अवैध मकान भी बना हुआ।
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