प्रदीप कुमार
मल्लावां, हरदोई। राघौपुर का प्रसिद्ध दो दिवसीय हथिया मेला संपन्न आयोजन हुआ। हथिया कमेटी के सदस्यों ने प्रतीकात्मक हाथी बनाकर क्षेत्र के गांव नेवादा, हजरतपुर औसानपुर, हरैया सहित कई गांवों में लोगों को दर्शन भी कराए। सुरक्षा व्यवस्था के दौरान पुलिस फ़ोर्स भी तैनात रहा।
कोतवाली क्षेत्र के गांव राघौपुर में होली के दूसरे दिन प्रतीकात्मक हाथी बनाकर क्षेत्रीय भक्त पूजन अर्चन करते हैं। इस स्थान पर दो दिवसीय मेले का भी आयोजन होता है। मेला होली के दूसरे दिन शुरू होता है।रविवार को मेला सम्पन्न हो गया। इस प्रतीकात्मक हाथी को राघोपुर से नेवादा, हजरतपुर, औसानपुर व हरैया में घुमाकर राघोपुर में ही रख दिया जाता है।
और इसको भक्त गणेश भगवान के रूप में भी पूजते हैं। इस हाथी के पूजन के बारे में कमेटी के लोगों का कहना है कि प्राचीन काल में इस गांव के राघौदास बाबा राजा हुआ करते थे। उन्हीं के नाम से इस गांव का नाम राघौपुर रखा गया था। जो उस समय अपने भाई से नाराज होकर घर से चले गए थे। ग्वालियर के राजा सिंधिया के घर पर उन्होंने जाकर नौकरी कर ली थी। काफी खोज बीन के बाद राघौदास ग्वालियर के राजा सिंधिया के घर पर मिले।
जब ग्वालियर के राजा को पता चला कि स्वयं राघौदास, राघौपुर के राजा हैं तो उन्होंने काफी धन देने की कोशिश कि लेकिन राघौदास ने होली के अगले दिन ग्वालियर में इसी तरह के दो हाथी बनाकर पूजा की जाती थी, उसमे से एक हाथी को दान में मांग कर राघौपुर ले आये थे।
डॉ. सुधांशु दीक्षित बताते हैं कि यह घटना करीब तीन सौ वर्ष पूर्व की है। इस मेले को लोग दूर दूर से देखने आते हैं और हाथी का प्रतीकात्मक रूप बना कर पहले घुमाते हैं और लोग इसकी पूजा भी करते हैं। यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है। मेले के सुरक्षा व्यवस्था में चौकी इंचार्ज बालेंद्र मिश्रा एवं भारी पुलिस बल तैनात रहा।
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