एम्स में बाहर की महंगी दवाओं के व्यापारी और धरती के भगवान बन रहे धनवान
अल्ट्रासाउण्ड, एक्सरे सहित कई अन्य जांचों के लिये महीनों बाद के समय से मरीज हैरान—परेशान
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान मुंशीगंज में इलाज के लिए आने वाले मरीजों का खूब शोषण किया जा रहा है। एम्स प्रशासन के ढुलमुल रवैये के चलते यहां तैनात कर्मचारियों और डाक्टरों द्वारा खूब मनमानी की जा रही है। सरकार के निर्देशों का अनुपालन करने के बजाय निजी स्वार्थ में लिप्त बताए जा रहे हैं।
नाम न छापने की शर्त पर कई मरीजों और उनके तीमारदारों ने बताया कि इलाज के दौरान डाक्टरों द्वारा लिखी जाने वाली अलग अलग जांच कराये जाने के लिए बहुत लंबा समय दे दिया जाता है। अल्ट्रासाउंड के लिए मरीजों को महीनों बाद का समय देने से लोग हैरान और परेशान हो रहे हैं।
सूत्रों की माने तो बाहर की प्रत्येक जांच और अल्ट्रासाउंड पर डाक्टरों का कमीशन तय होता है। अगर मरीज ने कहीं बाहर से करा भी लिया तो उसकी रिपोर्ट बेकार बताकर उसको निर्धारित स्थान से ही कराने के लिए मजबूर किया जाता है। इसके इतर सबसे बड़ा खेल बाहर की महंगी दवाओं में दवा व्यापारी और धरती के भगवान धनवान बन रहे हैं और आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों की कमर टूटी जा रही है।
धरातल पर देखा जाए तो यहां कुछ चुनिन्दा बिचौलियों का बोल बाला है जिनकी मर्जी के बिना किसी भी प्रकार की जांच करा पाना टेढ़ी खीर है। एम्स में चिकित्सा व्यवस्था बेपटरी हो जाने से अपरोक्ष रूप से निजी अस्पतालों को लाभ मिल रहा है। अब देखना है कि स्वास्थ्य मंत्रालय की नजर कब इस खेल की ओर पड़ेगी और इसमें शामिल दोषियों पर कार्यवाही की जाएगी।
फार्मासिस्ट की गैरमौजूदगी में संचालित मेडिकल स्टोर बने चर्चा के विषय
रायबरेली। एम्स के आसपास खुले दर्जनों मेडिकल स्टोरों और एजेन्सियों पर पंजीकृत फार्मासिस्ट नदारद रहते हैं। उनकी गैरमौजूदगी में अवैध तरीके से संचालित कई मेडिकल स्टोर चर्चा का विषय बने हुए हैं। गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग के नियमानुसार मेडिकल स्टोरों और एजेन्सियों पर वैधानिक डिग्री धारक फार्मासिस्ट द्वारा ही दवाईयों की बिक्री की जाय लेकिन एम्स के आसपास ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है। अधिकतर मेडिकल बिना फार्मासिस्ट के ही खुलेआम चल रहे हैं। सबसे बड़ा प्रश्नचिन्ह स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली पर लग रहा है और उनकी लोकसेवक होने की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
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