समय निरन्तर गतिमान, सत्कर्म कर लोक परलोक बनायें सुन्दर : स्वामी देवनायकाचार्य
हनुमान चालीसा व व्यवहारिक जीवन विषय पर श्रद्धालुओं का हुआ ज्ञानवर्धन
जितेंद्र सिंह चौधरी
वाराणसी। ब्रह्मर्षि स्वामी देवनयकाचार्य जी महाराज जी ने अपने श्री मुख से हनुमान मन्दिर भीषमपुर पर श्री हनुमान चालीसा व्यवहारिक जीवन मे विषय पर बोलते हुए कहा कि मानव जीवन चौरासी लाख जीवन मे सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। देवता भी मानव शरीर चाहते है। मनीषी जन ने धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चार पुरुषार्थ बताए है। जीवन धर्म से शुरु होकर मोक्ष के लिए है। संसार को मनीषी जन ने महत्वपूर्ण माना है। इसिलिए अर्थ और काम को चार पुरुषार्थ मे जगह दी।
महाराज जी ने आगे कहा की समय निरन्तर गतिमान है, उम्र चली जा रही है धीरे धीरे अत: सत्कर्म करके पुर्ण्याजन कर लोक परलोक सुन्दर बनाए। स्वामी देवनायकाचार्य जी ने अपने श्री मुख से कहा की जलती हुई चिता को देखकर जो ज्ञान पैदा होती है अगर वह स्थिर हो जाए तो मन कर्म वचन से मनुष्य शुद्ध होकर सत्कर्म करेगा। मौत, बुड़ापा, आपदा आती रहती है इससे विचलित न होकर पुरा परिवार को मिलजुलकर धैर्यपूर्वक सामना कर जीवन पथ पर सकारत्मक उर्जा के साथ अग्रसर रहना चाहिए।
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