बैलगाड़ियों और घोड़ों से सजी की बारात ने पुरानी परम्पराओं की दिलायी याद
कई दशक बाद बैलगाड़ियों व घोड़ों से सजी बारात क्षेत्र में बनी चर्चा का विषय
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। आज भी ग्रामीण अंचलों में ऐसे ऐसे कारनामें देखने को मिलते रहते है जिनको देख लोग दांतों तले उंगलियां दबाने पर मजबूर हो जाते है। एक ऐसा ही मंजर देखने को मिला जिसमें एक दूल्हा अपनी दुल्हन को लेने के लिए दशकों पहले से चल रही परंपरा को जीवंत रखते हुए बीती 10 मार्च को बैलगाड़ियों और घोड़ो बारात को सजाकर पुरानी परम्पराओं की याद दिलाई।
उल्लेखनीय है कि सदर विधानसभा के राही ब्लॉक क्षेत्र में रायपुर महेरी ग्राम पंचायत के रामदास पुरवा निवासी समर यादव ने एक अनोखी मिसाल कायम करते हुए लगभग दो दर्जन से अधिक बैलगाड़ियों और घोड़ों के साथ बारात ले जाकर अपनी दुल्हन विदा कराने पहली के पुरवा पहुंचे। बैलगाड़ियों के बैलों की घुंघरू की खनक और घोड़ो की कदमताल से क्षेत्र में पारम्परिक संदेश और समर यादव के जज्बे को जिसने भी देखा दंग रह गया। आज के माहौल में जहां दूल्हा गाड़ियों का काफिला तो कहीं हेलीकॉप्टर से दुल्हन को विदा कराने जाता है लेकिन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के पूर्व गार्ड और वर्तमान में कृषि कार्य करने वाले समर यादव ने कुछ अलग करने की ठान रखी थी। शादी में अनोखा और यादगार मिसाल कायम करते हुए उन्होंने ना सिर्फ अपने माता-पिता और परिवार, बल्कि अपने रिश्तेदारों और मित्रों के बीच एक अलग पटकथा लिखते हुए अपनी बारात बैलों के गले में लटके घुंघरूओं की खनक और घोड़ों की कदमताल के साथ अपनी पत्नी को विदा करने पहुंचे।
इस दौरान उनके बरातियों के जत्थे में दर्जनों प्रधान, सम्मानित क्षेत्रवासियों का तांता लगा रहा। इस संबंध में दूल्हा बने समर यादव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पूर्वजों की परंपरा को निभाते हुए दहेज रहित, प्रदूषण मुक्त और आम आदमी के सपनों को साकार करने प्रेरणा से ही सब संभव हुआ। उन्हें इतनी बैलगाड़ियों को इकट्ठा करने और घोड़ों को इकट्ठा करने में किस कदर कड़ी मशक्कत करनी पड़ी, यह सिर्फ वह ही जानते हैं।
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