चारों भाइयों का मिथिला में मिलन परम् आनन्द का दृश्य: राजन जी महाराज
अतुल राय
वाराणसी। चोलापुर क्षेत्र के महावीर मन्दिर के पास कथा के छठवे दिन कथा वाचक राजन जी महाराज ने प्रभु भोलेनाथ देवाधिदेव की पुनीत नगरी में अपने भक्तों को बताया कि महर्षि विश्वामित्र ने रामजी को धनुष तोड़ने के लिये कहा जिससे राजा जनक जी का भ्रम दूर हो सके। इधर शिवजी के धनुष के पिनाक के टूटने की ध्वनि जब परशुराम जी के कान में पहुची तुरन्त परशुराम जी मिथिला नगर में जनक जी पास पहुंचे। वहां धनुष की स्थिति देखकर अत्यधिक कोधित हो गये और जनक जी कहा कि मेरे द्वारा दिया गया शिव जी की धनुष कौन तोड़ा है। यह सुन प्रभु रामजी ने कहा कि धनुष तोड़ने वाले आप का कोई दास ही होगा। यह बात सुन परशुराम और क्रोधित हो गये। इस पर लक्ष्मण जी और उनको चिढ़ाने का काम करने लगे। ऐसे कितने धनुष मैं बचपन में तोड़ डाला हूं। अत्यधिक विवाद परशुराम व लक्षण में होता देख विश्वामित्र ने प्रभु राम जी से बाबा का संयम दूर करने को कहा। इधर परशुराम ने कहा कि अगर आप प्रभु के अवतार है तो मेरे धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा दें तब मैं समझ जाऊँगा कि प्रभु के अवतार हैं। इस पर राम जी बाबा द्वारा दिया गया धनुष पर ज्यों प्रत्यंचा चढ़ाया तो तुरंत बाबा का क्रोध गायब हो गया। स्वयं बाबा प्रभु का दर्शन पाकर तुरन्त अपने धाम को चले गये। इधर विश्वामित्र जी जनक जी से कहते इसकी सूचना अयोध्या को दिया जाय। अयोध्या नरेश दशरथ जी अपने यहाँ से बारात ले आये।मिथिला का सेवक जब पत्र लेकर अयोध्या पहुंचा। इसकी जानकारी जब दशरथ जी को हुई।बहुत प्रसन्न हुये। गुरु वशिष्ठ जी से विवाह की तैयारी करने को कहा। बारात में और दोनों भाई जब पहुचे जब चारों भाइयों का मिलन हुआ तो वहाँ की धरती परम् आनन्दमय हो गयी। वहाँ की सखियों के मन का बिचार था। इन चारों भाइयों का विवाह यही मिथिला नगर हो। यह विचार प्रभु शिव जी समझ गये। उन्होंने मन ही मन सबके भावों को देखते हुये आशीर्वाइ दिया। आप लोगों की भाव सभी पूरे होंगे। इधर विवाह में माता सीता में प्रभु राम जी को माला पहनाया व प्रभु राम जी माता सीता जी को माला पहनाया। प्रभु के विवाह पर देवता लोग स्वर्ग से फूलों की वर्षा कर रहे थे। मिथिला की महिलाएं मंगल गीत गा रही थीं।यह सभी बातें प्रभु भोलेनाथ जी ने माता पार्वती जी को बताया। आज के कथा सुनने वालों में श्रवण मिश्र, अर्चना मिश्र, प्रेम यादव, प्रियंका यादव, अमर कंटक चौबे, प्रिंस चौबे सहित तमाम भक्तगण उपस्थित होकर आनन्दित व भाव विभोर हो गये।
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