पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों के गठबंधन से 2024 का चुनाव मण्डल व कमण्डल के बीच होगाः ध्रुवचन्द जायसवाल
पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों के गठबंधन से 2024 का चुनाव मण्डल व कमण्डल के बीच होगाः ध्रुवचन्द जायसवाल
अजय जायसवाल
गोरखपुर। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने गठबंधन करके बिहार में सरकार बनाकर भाजपा के नीति को विफल कर दिया। देश में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव मंडल बनाम कमंडल के बीच कर दिया। बिहार के सभी दल के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुख्यमंत्री विपक्ष के नेता एवं सभी दल के नेताओं ने मुलाकात करके जाति-आधारित जनगणना कराने की मांग किया था। मोदी जी ने उचित निर्णय लेने का वादा किया था किन्तु मोदी जी की सरकार ने जाति-आधारित जनगणना कराने के अपने वादे से मुकर गई। उसी दिन जदयू एवं भाजपा के बीच दरार पड़ गई थी, क्योंकि बिहार की जनता जाति-आधारित जनगणना कराना चाहती है।
बिहार विधानसभा में भी सर्वसम्मति से जाति-आधारित जनगणना कराने का बिल पास हो गया था, क्योंकि एक खास वर्ग को छोड़कर सभी जातियों को कुछ न कुछ लाभ होगा। उक्त बातें अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा के प्रदेश अध्यक्ष धु्रवचन्द जायसवाल ने मीडिया को जारी एक बयान के दौरान कही। साथ ही आगे कहा कि मोदी जी की केन्द्र सरकार जाति-आधारित जनगणना कराने के पक्ष नहीं है। मोदी जी को पिछड़ों दलितों, आदिवासियों एवं पिछड़े वैश्यों से कुछ लेना-देना नहीं है गिने चुने पिछड़ों, दलितों,एवं आदिवासियों को आगे करके मत लेने की भाजपा की राणनीति है। पिछड़े वैश्यों की अनदेखी करते हैं इस वार इन्हें भारी पड़ेगा। विपक्ष को जनजागरूकता लाना जरूरी है।
आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव मंडल बनाम कमंडल के आधार पर चुनाव होगा। श्री जायसवाल ने कहा कि नीतीश जी एवं तेजस्वी जी ने पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों एवं पिछड़े वैश्यों के हितों को ध्यान में रखकर महागठबंधन करके मंडल बनाम कमंडल करके नये समीकरण पर देश भर में चर्चा होने लगी है। किसी भी पार्टी की सरकार हो आजादी से लेकर आज तक एक खास वर्ग की हनक बनी हुई है। लोगों में राजनीतिक चेतना जागृत हुईं, मुट्ठी भर लोगों का हनक इस बार अपने आप समाप्त होगी। केन्द्र सरकार में बड़ी संख्या में कैबिनेट मंत्री है। कमोवेश राज्यों में भी है। अपने लोगों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठा रक्खा है इसीलिए उनकी हनक कायम रहती है। जब चाहते हैं। किसी भी पार्टी की सरकार हो राज्यों में अस्थिरता पैदा कर देते हैं किन्तु उत्तर प्रदेश में दशकों से सफल नहीं हो पा रहे है।
सभी पार्टियों में एक रणनीति के तहत कार्यरत है। इसके लोग किसी भी पार्टी से लड़ते हैं तो मुठ्ठी भर लोग दलीय भावना को छोड़ अपने समाज के लिए ही मतदान करते हैं। अन्त में प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इनके ही रणनीति को पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों व पिछड़े वैश्यों को अपनाना ही होगा। सत्ता की चाबी इनके चंगुल से निकलकर पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों एवं पिछड़े वैश्यों के हाथ में आ जायेगी। तब किसी भी पार्टी की सरकार को अस्थिरता नहीं कर पायेंगे और सरकार गिराने का खेल भी समाप्त हो जायेगा।
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