बच्चन परिवार जिसे ‘नेकनामी-बदनामी’ दोनों मिलीं | #TEJASTODAY

बच्चन परिवार जिसे ‘नेकनामी-बदनामी’ दोनों मिलीं | #TEJASTODAY

बच्चन परिवार जिसे ‘नेकनामी-बदनामी’ दोनों मिलीं | #TEJASTODAY संजय सक्सेना, लखनऊ फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स कनेक्शन और उस पर राज्यसभा में जया बच्चन द्वारा दिये गये बयान के चलते बच्चन परिवार एक बार फिर विवादों में आ गया है। बच्चन परिवार को ‘अहसान फरामोश’ बताया जा रहा है। उसे याद दिलाया जा रहा है कि किस तरह से उसने समाजवादी नेता अमर सिंह के अहसान का बदला बेरूखी के साथ चुकाया था। यह भी बताया जा रहा है कि मोदी जब पीएम बने तो अमिताभ बच्चन ने उन्हें बधाई नहीं दी। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तब भी अमिताभ ने खुशी का इजहार नहीं किया। उन्हें याद दिलाया जा रहा है कि मोदी के सीएम रहते वह गुजरात के ब्रांड एम्बेसडर हुआ करते थे। कोरोना काल में कोरोना पीड़ितो की मदद की बजाए आलीशान कार खरीदने के चलते भी बच्चन परिवार को ट्रोल किया गया था। सी तरह से बच्चन परिवार कंगना रनौत को लेकर भी ट्रोलर्स के निशाने पर हैं। परिवार से सवाल किया जा रहा है कि जब कंगना रनौत का अपमान हो रहा था, तब वह क्यों चुप्पी साधे रहीं। बच्चन परिवार की चुप्पी को उनके घर में हुए अनाधिकृत निर्माण से जोड़कर देखा जा रहा है। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के करोड़ो प्रशंसक हैं। ७७ साल की उम्र में भी उनका फिल्मी सफर थमा नहीं है जबकि उनके साथ के कई कलाकार दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आते हैं। अमिताभ बच्चन को कभी फिल्म इंडस्ट्री का ‘वन मैन आर्मी’, ‘एंग्री यंग मैन’ जैसी उपमाओं से नवाजा जाता था। अमिताभ का फिल्मी सफर जितना शानदार था, उससे भी अधिक धमाकेदार तरीके से उनकी राजनीति में भी इंट्री हुई थी। इलाहाबाद अब प्रयागराज से आकर मुम्बई में अपनी पहचान बनाने वाले अमिताभ बच्चन का जन्म इलाहाबाद एक कायस्थ परिवार में हुआ था। यह और बात है कि आज की तारीख में अमिताभ बच्चन अपने आप को कायस्थ नहीं भारतीय कहने में गौरवांनवित होते हैं। १९८४ में अमिताभ ने अभिनय से कुछ समय के लिए विश्राम ले लिया और अपने पुराने मित्र राजीव गांधी की सपोर्ट में राजनीति में कूद पड़े और चुनाव लड़ा। अपने गृह जनपद इलाहाबाद लोक सभा सीट से उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा को अमिताभ ने बुरी तरह से हरा कर विजय दर्ज की लेकिन जब राजीव गांधी बोर्फोस विवाद में फंसे तो अमिताभ ने उनका साथ छोड़ते हुए राजनीति को भी अलविदा कह दिया। इसके बाद गांधी परिवार से अमिताभ के रिश्ते लगातार खराब ही होते गए। इसी प्रकार अमिताभ अपने एक और मित्र अमर सिंह के भी सच्चे दोस्त नहीं साबित हुए थे जबकि अमर सिंह ने अमिताभ की गर्दिश के समय उन्हें बहुत सहारा दिया था। अमिताभ अपनी कंपनी एबीसीएल के फेल हो जाने के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे थे। इसके बाद बच्चन ने अमरसिंह की राजनीतिक पाटी समाजवादी पार्टी को सहयोग देना शुरू कर दिया। जया बच्चन ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली और राज्यसभा की सदस्य बन गई। अमर सिंह के चलते बच्चन ने समाजवादी पार्टी के लिए अपना समर्थन देना शुरू कर दिया जिसमें राजनीतिक अभियान अर्थात प्रचार प्रसार करना भी शामिल था लेकिन जब अमर सिंह के संबंध मुलायम और अखिलेश से खराब हुए तो अमिताभ बच्चन अमर सिंह की जगह मुलायम-अखिलेश के पाले में खड़े नजर आए। अमिताभ एक बार उस सम मुसीबत में पड़ गए थे,जब उन्हें झूठे दावों के सिलसिलों में कि वे एक किसान हैं के संबंध में कानूनी कागजात जमा करने के लिए अदालत जाना पड़ा था। अमिताभ के मीडिया से भी रिश्ते कभी बहुत अच्छे नहीं रहे। बहुत कम लोग ऐसे हैं जो ये जानते हैं कि स्टारडस्ट और कुछ अन्य पत्रिकाओं ने मिलकर एक संघ बनाया जिसमें अमिताभ के शीर्ष पर रहते समय १५ वर्ष के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया। इन्होंने अपने प्रकाशनों में अमिताभ के बारे में कुछ भी न छापने का निर्णय लिया। १९८९ के अंत तक बच्चन ने उनके सेटों पर प्रेस के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा था लेकिन वे किसी विशेष पत्रिका के खिलाफ नहीं थे। ऐसा कहा गया है कि बच्चन ने कुछ पत्रिकाओं को प्रतिबंधित कर रखा था क्योंकि उनके बारे में इनमें जो कुछ प्रकाशित होता रहता था, उसे वे पसंद नहीं करते थे और इसी के चलते एक बार उन्हें इसका अनुपालन करने के लिए अपने विशेषाधिकार का भी प्रयोग करना पड़ा। अबकी से विवाद की वजह अमिताभ की पत्नी और पूर्व अभिनेत्री जया बच्चन बनी है।मामला सुशांत मौत प्रकरण से जुडा है। दरअसल फिल्म स्टार सुशांत राजपूत की संदिग्ध मौत और उसके बाद उठे ड्रग्स के ‘बवंडर’ ने पूरे बॉलीबुड को हिला कर रख दिया है जो बॉलीबुड कभी अंडरवर्ल्ड से रिश्तों को लेकर सवालों के कटघरे में खड़ा रहता था। अब उस बॉलीबुड को ड्रग्स के ‘डेट्ठगन’ ने अपने शिकंजे में ले लिया है। बॉलीबुड में बड़े पैमाने पर ड्रग्स की खपत होती है, इस बात का खुलासा होते ही ऊपर से सौम्य-सभ्य, शालीन और एकजुट नजर आने वाली फिल्म इंडस्ट्री यकायक अंदर से खोखली और बंटी-बंटी नजर आने लगी है। किसी को लगता है कि सुशांत की संदिग्ध मौत की आरोपी फिल्म अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती का ड्रग्स कनेक्शन सामने आने के पश्चात जो खुलासे हुए हैं, उस पर फिल्म इंडस्ट्री के कुछ लोग पर्दा डालने की जुगत में लग गए हैं। वहीं ऐसे अभिनेता/अभिनेत्रियों की भी कमी नहीं है जिनको लगता है कि एक घटना के आधार पर पूरी बॉलीबुड को बदमान करने की साजिश रची जा रही है। अभिनेता से लेकर नेता तक सभी अपने हिसाब से बयानबाजी कर रहे हैं तो अंगुली उन पर भी उठ रही है जिन्होंने चुप्पी का ‘लबादा’ ओड़ रखा है। हालात यह है कि बिहार में सुशांत राजपूत को इंसाफ दिलाने के लिए तो पश्चिम बंगाल में रिया चक्रवर्ती के पक्ष में माहौल बनाया जा रहा है। सबसे बुरी हालात कांगे्रस की है। एक तरफ बिहार कांगे्रस सुशांत राजपूत को इंसाफ दिलाने के लिए हो-हल्ला मचा रही है तो दूसरी और पश्चिम बंगाल कांगे्रस रिया चक्रवर्ती के समर्थन में प्रदर्शन कर रही है। कांगे्रस आलाकमान भी तय नहीं कर पा रहा है कि उसे किस लाइन पर चलना है। दरअसल बिहार और पश्चिम बंगाल दोनों ही जगह विधान सभा चुनाव होने हैं, इसीलिए जो सियासत जहां सूट करती है, उस पर चला जा रहा है। फिल्मी इंडस्ट्री और नेताओं की जंग में बॉलीबुल फिल्मों के दिवाने दर्शक तीसरा कोण बने हुए हैं। फिल्मी निर्माता-निर्देशकों और अभिनेताओं के ड्रग्स कनेशन का पता चलते ही उनके लाखों-करोड़ों प्रशंसक को सांप सूंघ गया है, क्योंकि करोड़ो प्रशंसक चहेते कलाकारों को अपना आइडियल मानते थे लेकिन इनकी ‘नशेड़ी’ वाली इमेज सामने आने के पश्चात प्रशंसकों को धक्का लगा ही है तो फिल्म इंडस्ट्री से लेकर राजनीति तक दो हिस्सों में बंट गई है। आसान शब्दों में कहा जाए तो पूरा घटनाक्रम भाजपा बनाम अन्य के बीच गरमा रहा है। मुम्बई से शुरू हुई आरोप-प्रत्यारोप की बहस सियासी गलियारों को पार करते हुए लोकसभा और राज्यसभा में भी गर्मी पैदा करने से बाज नहीं आई। पूर्व अभिनेत्री एवं राज्यसभा सांसद जया बच्चन का भोजपूरी फिल्मों के सुपर स्टार और सांसद रवि किशन को लेकर राज्यसभा में दिया गया बयान ‘जिस थालाr में खाते हैं, उसी में छेद करते है।ं’ मीडिया में सुर्खियां बटोर रहा है तो सोशल साइट्स पर उक्त बयान को लेकर जया बच्चन जबर्दस्त तरीके से ट्रोल हो रही हैं। बहरहाल जया बच्चन के विवादित बयान पर छिड़ी बहस के बाद मुंबई में बच्चन परिवार के बंगलों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। १५ सिंतबर २०२० को जया बच्चन ने भाजपा सांसद और भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता रविकिशन के बयान के जवाब में अपना बयान दिया था। रविकिशन ने लोकसभा में १४ सितंबर २०२० को देश के युवाओं में ड्रग्स की बढ़ती लत का जिक्र करते हुए कहा था कि हमारा फिल्म द्योग भी इससे प्रभावित है। इस पर राज्यसभा में जया बच्चन ने कंगना रनोट और रविकिशन का नाम लिए बिना फिल्मोद्योग के ड्रग्स की लत से प्रभावित होने के आरोप का खुलकर विरोध किया था। उन्होंने कहा कि कुछ लोग जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं। यह गलत है। जया के अनुसार जिन लोगों ने फिल्म इंडस्ट्री से नाम कमाया, अब वे इसे गटर बता रहे हैं। मैं इससे बिल्कुल सहमत नहीं हूं।’ जया बच्चन का बयान आते ही कंगना रनौत ने उसे लपक लिया। ट्विटर पर सक्रिय कंगना रनोट ने एक यूजर के ट्वीट का जवाब देते हुए जया बच्चन पर निशाना साधा। १६ सितंबर को एक यूजर ने लिखा कि जया जी चार-पांच परिवारों की झूठन को पूरी इंडस्ट्री की थाली समझ बैठी हैं आप? कंगना ने खुद की थाली परोसी और अपनी थाली दांव पर लगाते हुए वह ड्रग्स की थालियों को साफ करवा रही है तो दिक्कत क्यों? इस पर कंगना ने जवाब देते हुए लिखा, कौन सी थाली दी है जयाजी और उनकी इंडस्ट्री ने? एक थाली मिली थी जिसमें दो मिनट के रोल, आइटम नंबर्स और एक रोमांटिक सीन मिलता था, वह भी हीरो के साथ सोने के बाद। मैंने इस इंडस्ट्री को फेमिनिजम सिखाया, थाली देशभक्ति, नारीप्रधान फिल्मों से सजाई, यह मेरी अपनी थाली है, जयाजी आपकी नहीं। उधर वरिष्ठ अभिनेत्री जया बच्चन के इस बयान के बाद से कई तरह की प्रतिक्रियाएं आना शुरू हो गईं। लोग ट्विटर-फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनके विरोध और समर्थन दोनों में प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। इन माध्यमों पर उनके परिवार के तरह-तरह के चित्र भी डाले जा रहे हैं। दूसरी ओर फिल्म उद्योग का एक वर्ग उनकी तारीफ कर रहा है। लोगों की प्रतिक्रियाओं को देखते हुए बच्चन परिवार के जुहू स्थित बंगलों की सुरक्षा एवं निगरानी बढ़ा दी गई है। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार जया के पति अमिताभ बच्चन को पहले से एक्स श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है। अब उनके तीनों बंगलों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। बता दें कि मुंबई के जुहू क्षेत्र में अमिताभ बच्चन के तीन बंगले जलसा, प्रतीक्षा एवं जनक हैं। जलसा और प्रतीक्षा में बच्चन परिवार रहता है जबकि जनक का इस्तेमाल कार्यालय के रूप में किया जाता है। बच्चन परिवार के बंगलों की सुरक्षा बढ़ाए जाने पर भाजपा ने सवाल उठाए हैं। भाजपा विधायक अतुल भातखलकर ने महाराष्ट्र सरकार को पक्षपाती करार देते हुए कहा है कि इससे यह स्पष्ट हो गया है कि ठाकरे सरकार के सुर में सुर मिलाने के कारण उनकी (बच्चन परिवार की) सुरक्षा बढ़ाई जा रही है लेकिन यह तत्परता सुशांत प्रकरण और कंगना के मामले में कतई नहीं दिखाई पड़ी। ब्रेकिंग खबरों से अपडेट रहने के लिए आज ही प्ले स्टोर या इस लिंक पर क्लिक कर tejastoday.com Apps इंस्टॉल करें https://play.google.com/store/apps/details?id=com.tejastoday.news लाइक करके जुड़ जाइए इस पेज से और पढ़िए ब्रेकिग खबरें....

संजय सक्सेना,

लखनऊ।फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स कनेक्शन और उस पर राज्यसभा में जया बच्चन द्वारा दिये गये बयान के चलते बच्चन परिवार एक बार फिर विवादों में आ गया है। बच्चन परिवार को ‘अहसान फरामोश’ बताया जा रहा है। उसे याद दिलाया जा रहा है कि किस तरह से उसने समाजवादी नेता अमर सिंह के अहसान का बदला बेरूखी के साथ चुकाया था।

यह भी बताया जा रहा है कि मोदी जब पीएम बने तो अमिताभ बच्चन ने उन्हें बधाई नहीं दी। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तब भी अमिताभ ने खुशी का इजहार नहीं किया। उन्हें याद दिलाया जा रहा है कि मोदी के सीएम रहते वह गुजरात के ब्रांड एम्बेसडर हुआ करते थे। कोरोना काल में कोरोना पीड़ितो की मदद की बजाए आलीशान कार खरीदने के चलते भी बच्चन परिवार को ट्रोल किया गया था। सी तरह से बच्चन परिवार कंगना रनौत को लेकर भी ट्रोलर्स के निशाने पर हैं। परिवार से सवाल किया जा रहा है कि जब कंगना रनौत का अपमान हो रहा था, तब वह क्यों चुप्पी साधे रहीं। बच्चन परिवार की चुप्पी को उनके घर में हुए अनाधिकृत निर्माण से जोड़कर देखा जा रहा है।

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के करोड़ो प्रशंसक हैं। ७७ साल की उम्र में भी उनका फिल्मी सफर थमा नहीं है जबकि उनके साथ के कई कलाकार दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आते हैं। अमिताभ बच्चन को कभी फिल्म इंडस्ट्री का ‘वन मैन आर्मी’, ‘एंग्री यंग मैन’ जैसी उपमाओं से नवाजा जाता था। अमिताभ का फिल्मी सफर जितना शानदार था, उससे भी अधिक धमाकेदार तरीके से उनकी राजनीति में भी इंट्री हुई थी। इलाहाबाद अब प्रयागराज से आकर मुम्बई में अपनी पहचान बनाने वाले अमिताभ बच्चन का जन्म इलाहाबाद एक कायस्थ परिवार में हुआ था।

यह और बात है कि आज की तारीख में अमिताभ बच्चन अपने आप को कायस्थ नहीं भारतीय कहने में गौरवांनवित होते हैं। १९८४ में अमिताभ ने अभिनय से कुछ समय के लिए विश्राम ले लिया और अपने पुराने मित्र राजीव गांधी की सपोर्ट में राजनीति में कूद पड़े और चुनाव लड़ा। अपने गृह जनपद इलाहाबाद लोक सभा सीट से उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा को अमिताभ ने बुरी तरह से हरा कर विजय दर्ज की लेकिन जब राजीव गांधी बोर्फोस विवाद में फंसे तो अमिताभ ने उनका साथ छोड़ते हुए राजनीति को भी अलविदा कह दिया। इसके बाद गांधी परिवार से अमिताभ के रिश्ते लगातार खराब ही होते गए।

इसी प्रकार अमिताभ अपने एक और मित्र अमर सिंह के भी सच्चे दोस्त नहीं साबित हुए थे जबकि अमर सिंह ने अमिताभ की गर्दिश के समय उन्हें बहुत सहारा दिया था। अमिताभ अपनी कंपनी एबीसीएल के फेल हो जाने के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे थे। इसके बाद बच्चन ने अमरसिंह की राजनीतिक पाटी समाजवादी पार्टी को सहयोग देना शुरू कर दिया। जया बच्चन ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली और राज्यसभा की सदस्य बन गई।

अमर सिंह के चलते बच्चन ने समाजवादी पार्टी के लिए अपना समर्थन देना शुरू कर दिया जिसमें राजनीतिक अभियान अर्थात प्रचार प्रसार करना भी शामिल था लेकिन जब अमर सिंह के संबंध मुलायम और अखिलेश से खराब हुए तो अमिताभ बच्चन अमर सिंह की जगह मुलायम-अखिलेश के पाले में खड़े नजर आए। अमिताभ एक बार उस सम मुसीबत में पड़ गए थे,जब उन्हें झूठे दावों के सिलसिलों में कि वे एक किसान हैं के संबंध में कानूनी कागजात जमा करने के लिए अदालत जाना पड़ा था।
अमिताभ के मीडिया से भी रिश्ते कभी बहुत अच्छे नहीं रहे। बहुत कम लोग ऐसे हैं जो ये जानते हैं कि स्टारडस्ट और कुछ अन्य पत्रिकाओं ने मिलकर एक संघ बनाया जिसमें अमिताभ के शीर्ष पर रहते समय १५ वर्ष के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया।

इन्होंने अपने प्रकाशनों में अमिताभ के बारे में कुछ भी न छापने का निर्णय लिया। १९८९ के अंत तक बच्चन ने उनके सेटों पर प्रेस के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा था लेकिन वे किसी विशेष पत्रिका के खिलाफ नहीं थे। ऐसा कहा गया है कि बच्चन ने कुछ पत्रिकाओं को प्रतिबंधित कर रखा था क्योंकि उनके बारे में इनमें जो कुछ प्रकाशित होता रहता था, उसे वे पसंद नहीं करते थे और इसी के चलते एक बार उन्हें इसका अनुपालन करने के लिए अपने विशेषाधिकार का भी प्रयोग करना पड़ा। अबकी से विवाद की वजह अमिताभ की पत्नी और पूर्व अभिनेत्री जया बच्चन बनी है।मामला सुशांत मौत प्रकरण से जुडा है।

दरअसल फिल्म स्टार सुशांत राजपूत की संदिग्ध मौत और उसके बाद उठे ड्रग्स के ‘बवंडर’ ने पूरे बॉलीबुड को हिला कर रख दिया है जो बॉलीबुड कभी अंडरवर्ल्ड से रिश्तों को लेकर सवालों के कटघरे में खड़ा रहता था। अब उस बॉलीबुड को ड्रग्स के ‘डेट्ठगन’ ने अपने शिकंजे में ले लिया है। बॉलीबुड में बड़े पैमाने पर ड्रग्स की खपत होती है, इस बात का खुलासा होते ही ऊपर से सौम्य-सभ्य, शालीन और एकजुट नजर आने वाली फिल्म इंडस्ट्री यकायक अंदर से खोखली और बंटी-बंटी नजर आने लगी है। किसी को लगता है कि सुशांत की संदिग्ध मौत की आरोपी फिल्म अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती का ड्रग्स कनेक्शन सामने आने के पश्चात जो खुलासे हुए हैं, उस पर फिल्म इंडस्ट्री के कुछ लोग पर्दा डालने की जुगत में लग गए हैं।

वहीं ऐसे अभिनेता/अभिनेत्रियों की भी कमी नहीं है जिनको लगता है कि एक घटना के आधार पर पूरी बॉलीबुड को बदमान करने की साजिश रची जा रही है। अभिनेता से लेकर नेता तक सभी अपने हिसाब से बयानबाजी कर रहे हैं तो अंगुली उन पर भी उठ रही है जिन्होंने चुप्पी का ‘लबादा’ ओड़ रखा है। हालात यह है कि बिहार में सुशांत राजपूत को इंसाफ दिलाने के लिए तो पश्चिम बंगाल में रिया चक्रवर्ती के पक्ष में माहौल बनाया जा रहा है। सबसे बुरी हालात कांगे्रस की है।

एक तरफ बिहार कांगे्रस सुशांत राजपूत को इंसाफ दिलाने के लिए हो-हल्ला मचा रही है तो दूसरी और पश्चिम बंगाल कांगे्रस रिया चक्रवर्ती के समर्थन में प्रदर्शन कर रही है। कांगे्रस आलाकमान भी तय नहीं कर पा रहा है कि उसे किस लाइन पर चलना है। दरअसल बिहार और पश्चिम बंगाल दोनों ही जगह विधान सभा चुनाव होने हैं, इसीलिए जो सियासत जहां सूट करती है, उस पर चला जा रहा है।

फिल्मी इंडस्ट्री और नेताओं की जंग में बॉलीबुल फिल्मों के दिवाने दर्शक तीसरा कोण बने हुए हैं। फिल्मी निर्माता-निर्देशकों और अभिनेताओं के ड्रग्स कनेशन का पता चलते ही उनके लाखों-करोड़ों प्रशंसक को सांप सूंघ गया है, क्योंकि करोड़ो प्रशंसक चहेते कलाकारों को अपना आइडियल मानते थे लेकिन इनकी ‘नशेड़ी’ वाली इमेज सामने आने के पश्चात प्रशंसकों को धक्का लगा ही है तो फिल्म इंडस्ट्री से लेकर राजनीति तक दो हिस्सों में बंट गई है। आसान शब्दों में कहा जाए तो पूरा घटनाक्रम भाजपा बनाम अन्य के बीच गरमा रहा है।

मुम्बई से शुरू हुई आरोप-प्रत्यारोप की बहस सियासी गलियारों को पार करते हुए लोकसभा और राज्यसभा में भी गर्मी पैदा करने से बाज नहीं आई। पूर्व अभिनेत्री एवं राज्यसभा सांसद जया बच्चन का भोजपूरी फिल्मों के सुपर स्टार और सांसद रवि किशन को लेकर राज्यसभा में दिया गया बयान ‘जिस थालाr में खाते हैं, उसी में छेद करते है।ं’ मीडिया में सुर्खियां बटोर रहा है तो सोशल साइट्स पर उक्त बयान को लेकर जया बच्चन जबर्दस्त तरीके से ट्रोल हो रही हैं।

बहरहाल जया बच्चन के विवादित बयान पर छिड़ी बहस के बाद मुंबई में बच्चन परिवार के बंगलों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। १५ सिंतबर २०२० को जया बच्चन ने भाजपा सांसद और भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता रविकिशन के बयान के जवाब में अपना बयान दिया था। रविकिशन ने लोकसभा में १४ सितंबर २०२० को देश के युवाओं में ड्रग्स की बढ़ती लत का जिक्र करते हुए कहा था कि हमारा फिल्म द्योग भी इससे प्रभावित है। इस पर राज्यसभा में जया बच्चन ने कंगना रनोट और रविकिशन का नाम लिए बिना फिल्मोद्योग के ड्रग्स की लत से प्रभावित होने के आरोप का खुलकर विरोध किया था। उन्होंने कहा कि कुछ लोग जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं। यह गलत है। जया के अनुसार जिन लोगों ने फिल्म इंडस्ट्री से नाम कमाया, अब वे इसे गटर बता रहे हैं। मैं इससे बिल्कुल सहमत नहीं हूं।’

जया बच्चन का बयान आते ही कंगना रनौत ने उसे लपक लिया। ट्विटर पर सक्रिय कंगना रनोट ने एक यूजर के ट्वीट का जवाब देते हुए जया बच्चन पर निशाना साधा। १६ सितंबर को एक यूजर ने लिखा कि जया जी चार-पांच परिवारों की झूठन को पूरी इंडस्ट्री की थाली समझ बैठी हैं आप? कंगना ने खुद की थाली परोसी और अपनी थाली दांव पर लगाते हुए वह ड्रग्स की थालियों को साफ करवा रही है तो दिक्कत क्यों? इस पर कंगना ने जवाब देते हुए लिखा, कौन सी थाली दी है जयाजी और उनकी इंडस्ट्री ने? एक थाली मिली थी जिसमें दो मिनट के रोल, आइटम नंबर्स और एक रोमांटिक सीन मिलता था, वह भी हीरो के साथ सोने के बाद। मैंने इस इंडस्ट्री को फेमिनिजम सिखाया, थाली देशभक्ति, नारीप्रधान फिल्मों से सजाई, यह मेरी अपनी थाली है, जयाजी आपकी नहीं।

उधर वरिष्ठ अभिनेत्री जया बच्चन के इस बयान के बाद से कई तरह की प्रतिक्रियाएं आना शुरू हो गईं। लोग ट्विटर-फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनके विरोध और समर्थन दोनों में प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। इन माध्यमों पर उनके परिवार के तरह-तरह के चित्र भी डाले जा रहे हैं। दूसरी ओर फिल्म उद्योग का एक वर्ग उनकी तारीफ कर रहा है। लोगों की प्रतिक्रियाओं को देखते हुए बच्चन परिवार के जुहू स्थित बंगलों की सुरक्षा एवं निगरानी बढ़ा दी गई है। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार जया के पति अमिताभ बच्चन को पहले से एक्स श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है। अब उनके तीनों बंगलों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। बता दें कि मुंबई के जुहू क्षेत्र में अमिताभ बच्चन के तीन बंगले जलसा, प्रतीक्षा एवं जनक हैं।

जलसा और प्रतीक्षा में बच्चन परिवार रहता है जबकि जनक का इस्तेमाल कार्यालय के रूप में किया जाता है। बच्चन परिवार के बंगलों की सुरक्षा बढ़ाए जाने पर भाजपा ने सवाल उठाए हैं। भाजपा विधायक अतुल भातखलकर ने महाराष्ट्र सरकार को पक्षपाती करार देते हुए कहा है कि इससे यह स्पष्ट हो गया है कि ठाकरे सरकार के सुर में सुर मिलाने के कारण उनकी (बच्चन परिवार की) सुरक्षा बढ़ाई जा रही है लेकिन यह तत्परता सुशांत प्रकरण और कंगना के मामले में कतई नहीं दिखाई पड़ी।

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किस कदर शुक्रिया अदा करूँ उस खुदा का अल्फाज नहीं मिलते,मेरी कामयाबी इतनी खूबसूरत ना होती जो आप जैसे इंसान नहीं मिलते

Gepostet von Tejastoday.com am Freitag, 18. September 2020

दाह संस्कार को गई शव को पुलिस ने लिया कब्जे में | #TEJASTODAY पत्नी सहित ससुराली जनों ने लगाया हत्या का आरोप सुरेरी, जौनपुर। बीते रविवार की रात लगभग 8 बजे नेवढ़िया थाना क्षेत्र के दोदापुर गांव निवासी छविनाथ मिश्र के 40 वर्ष पुत्र विनय मिश्र की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतक के परिजनों की मानें तो युवक पारिवारिक कलह को लेकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया था। वही घटना के बाद मृतक के परिजन बगैर किसी को सूचना दिए मृतक के शव को दाह संस्कार के लिए वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर लेकर पहुंच गए थे। किसी तरह से घटना की सूचना मायके गई पत्नी प्रतिमा को लगी तो उन्होंने घटना की सूचना पुलिस अधीक्षक जौनपुर सहित जिलाधिकारी जौनपुर को दी, और परिजनों के साथ पत्नी भी मणिकर्णिका घाट पहुंच गई। वही घंटों चले पंचायत के बाद नेवढ़िया पुलिस शव को कब्जे में लेकर थाने पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मृतक की पत्नी प्रतिमा का आरोप है कि परिवार जनों द्वारा युवक की हत्या की गई है, और उसे आत्महत्या का रूप दिया जा रहा है। वही मृतक के पत्नी का यह भी आरोप है कि जब वह अपने पिता दीनानाथ के साथ सोमवार को तहरीर देने नेवढ़िया थाने पहुची तो थानाध्यक्ष द्वारा फटकार लगाते हुए उन्हें थाने से भगा दिया गया। ग्रामीणों की माने तो मृतक अपने परिवार के साथ मुंबई में ही रहता था, लॉकडाउन के दौरान वह मुंबई से अपने घर आया हुआ था। मृतक की पत्नी रक्षाबंधन के पर्व पर अपने मायके गई हुई थी। मृतक को दो बच्चे हर्षीत 14 वर्ष, अंकिता 8 वर्ष है। इस संदर्भ में थानाध्यक्ष नेवढ़िया संतोष राय ने बताया कि पत्नी की शिकायत पर मृतक के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

सम्पूर्ण समाधान दिवस का हुआ आयोजन | #TEJASTODAY चंदन अग्रहरि शाहगंज, जौनपुर। स्थानीय तहसील सभागार में सम्पूर्ण समाधान दिवस का आयोजन सीडीओ अनुपम शुक्ला की अध्यक्षता में हुआ। जिसमें फरियादियों द्वारा कुल 47 प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया गया। जिसमें मौके पर 11 प्रार्थना-पत्रों का निस्तारण हुआ। शेष प्रार्थना पत्र सम्बन्धित विभाग को सौंप दिया गया। वहीं कोरोना संक्रमण के चलते बिना मास्क के किसी भी फरियादी को प्रवेश नहीं करने दिया गया। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया। इस दौरान प्रमुख रुप उपजिलाधिकारी राजेश कुमार वर्मा, तहसीलदार अभिषेक राय, क्षेत्राधिकारी जितेन्द्र दूबे, वीडीओ सोंधी अनुराग राय, कस्बा कानूनगो नीरज सिंह आदि मौजूद रहे।

स्वरोजगार के लिये आनलाइन आवेदन आमंत्रित |#TEJASTODAY जौनपुर। साहब सरन रावत उपायुक्त उद्योग जिला उद्योग प्रोत्साहन तथा उद्यमिता विकास केन्द्र ने बताया कि जनपद के युवा/युवतियों को उत्तर-प्रदैश सरकार द्वारा विशेष योजना एम०एस०एम०ई० के अन्तर्गत मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना हेत आनलाइन आवेदन के लिये पात्रता हाईस्कूल पास एवं आयु सीमा १८ से ४० वर्ष के बीच होनी चाहिए। निर्माण व सेवा क्षेत्र में उद्योग स्थापित करने हेतु ऋण की सीमा १.०० लाख से २५.०० लाख तक है जिसमें आवेदक को २५ प्रतिशत अनुदान/छूट प्रदान की जायेगी। अधिक जानकारी के हेतु तहसीलवार सहायक प्रबन्धक/क्षेत्रीय सहायक शाहगंज व बदलापुर जय प्रकाश, ७००७६३७०६३, सदर व केराकत राजेश राही ९४५०३८८०८७, ७८८०३९६००१ एवं मडियाहूॅ व मछलीशहर राजेश भारती ७३९८२७८६७७, ७००७७२०३५८ से सम्पर्क करें। अन्य जानकारी के लिये किसी भी कार्य दिवस में कार्यालय आकर सम्पर्क किया जा सकता है।

पारिवारिक कलह से क्षुब्ध होकर युवक ने ​खाया जहरीला पदार्थ | #TEJASTODAY चंदन अग्रहरि शाहगंज, जौनपुर। क्षेत्र के पारा कमाल गांव में पारिवारिक कलह से क्षुब्ध होकर बुधवार की शाम युवक ने किटनाशक पदार्थ का सेवन कर लिया। आनन फानन में परिजनों ने उपचार के लिए पुरुष चिकित्सालय लाया गया। जहां पर चिकित्सकों ने हालत गंभीर देखते हुए जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया। क्षेत्र के पारा कमाल गांव निवासी पिंटू राजभर 22 पुत्र संतलाल बुधवार की शाम पारिवारिक कलह से क्षुब्ध होकर घर में रखा किटनाशक पदार्थ का सेवन कर लिया। हालत गंभीर होने पर परिजन उपचार के लिए पुरुष चिकित्सालय लाया गया। जहां पर हालत गंभीर देखते हुए चिकित्सकों बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल रेफर कर दिया।

कोरोना संक्रमण के चलते 19 सितम्बर तक न्यायिक कार्य ठप्प | #TEJASTODAY मछलीशहर, जौनपुर। स्थानीय तहसील के अधिवक्ताओं ने बैठक कर कोरोना संक्रमण को मद्देनजर 19 सितम्बर तक न्यायिक कार्य ठप्प रखने का निर्णय लिया है। अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष प्रेम बिहारी यादव की अध्यक्षता में शुक्रवार को साधारण सभा की बैठक बुलाई गई। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुये अधिवक्ता 19 सितम्बर तक न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। इस मौके पर अधिवक्ताओं ने कहा कि तहसील में वादकारियों व अधिवक्ताओं की बढ़ती भीड़ के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा है जिसके कारण संक्रमण का बराबर खतरा बना हुआ है। ऐसी स्थिति में एहतियात के तौर पर यह निर्णय अति आवश्यक है। बैठक में महामंत्री अजय सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश चंद्र सिन्हा, अशोक श्रीवास्तव, सुरेन्द्र मणि शुक्ला, जगदंबा प्रसाद मिश्र, नागेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव, विनय पाण्डेय, हरि नायक तिवारी, वीरेंद्र भाष्कर यादव, मनमोहन तिवारी आदि उपस्थित रहे।

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