प्रशासन और ट्रान्सपोर्ट नगर योजना से प्रभावित किसानों के बीच बैरवन हुई वार्ता
प्रशासन और ट्रान्सपोर्ट नगर योजना से प्रभावित किसानों के बीच बैरवन हुई वार्ता
भूमि अर्जन एवं पुनर्वास कानून 2013 का पालन करने की किसानों ने किया मांग
अश्विनी सिंह चौहान
रोहनिया, वाराणसी। स्थानीय थाना क्षेत्र के बैरवन स्थित पंचायत भवन पर सोमवार को सीआरओ अरुण कुमार सिंह एवं विकास प्राधिकरण के तहसीलदार सुनील श्रीवास्तव तथा उप जिलाधिकारी राजातालाब गिरीश कुमार द्विवेदी व क्राइम इंस्पेक्टर ओमप्रकाश यादव के नेतृत्व में पहुंचे राजस्व कर्मियों का महकमा ट्रांसपोर्ट नगर योजना से प्रभावित किसानों से वार्ता किया।
इस दौरान ट्रांसपोर्ट नगर योजना से प्रभावित किसानों ने भूमि अर्जन एवं पुनर्वास कानून 2013 का पालन करने का एक स्वर से किया मांग किये। सीआरओ ने कहा कि मुआवजा देने के बाद किसानों का नाम राजस्व अभिलेख की खतौनी से कटा तो किसानों ने कहा कि बिना किसानों को मुआवजा दिये बिना सहमति एवं अवार्ड के ही नाम काटकर दिया गया था, तो सीआरओ ने कहा कि ऐसा होगा तो योजना निरस्त हो जायेगी।
जिस पर किसानों ने साक्ष्य दिखाया और कहा कि जिला प्रशासन का ही दिया साक्ष्य है। जिससे स्पष्ट हुआ कि 2003 में अरजेन्सी दिखाकर बिना औपचारिकता एवं बिना किसानो की सहमति तथा मुआवजा दिये राजस्व अभिलेखों से किसानों का नाम उनके ही खेतों की खतौनी से काट दिया था और कुछ किसानों को दबाव देकर एवं झूठे वादे में फंसाकर 2011 में मुआवजा दिया गया।
जिसको देखने के बाद सीआरओ अपनी ही बात में फंस गये और इधर उधर की बात करने लगे। किसान नेता विनय शंकर राय “मुन्ना” ने कहा कि किसान विकास में बाधक नहीं बनाना चाहते है लेकिन प्रशासन और शासन को भी कानून के तहत ही कोई प्रक्रिया अपनानी होगी। भूमि अर्जन कानून 2013 कहता है कि योजना रद्द हो तो योजना रद्द करिये। भूमि अर्जन कानून कहता है कि भौतिक कब्जा वर्तमान सर्किल दर या उच्च दर से वर्तमान बिक्री हुई जमीन का चार गुना मुआवजा देकर ही कब्जा लेना है तो चार गुना मुआवजा दीजिये।
साथ ही पुनर्वास हेतु मकान, पंपसेट, व्यवसायिक प्रतिष्ठान, पेड़ इत्यादि का कानून के अनुसार प्रतिकर देना है तो सबका कानूनतः मुआवजा निर्धारण करते हुये 2013 कानून के आधार पर योजना में किसानों की हिस्सेदारी और भागीदारी का निर्धारण कर सहमति पत्र बने सभी किसान तैयार है। कानून कहता है कि जो किसान मुआवजा लिये है वापस करेंगे तो प्रशासन लिखित नोटिस दे।
किसान कानूनतः मुआवजा वापस करने हेतु तैयार है। वार्ता का नेतृत्व हृदय नारायण उपाध्याय ने किया।
वार्ता में प्रमुख रूप से मेवा पटेल, दिनेश तिवारी, प्रेम शाह, छेदी पटेल, बिहारी पटेल, विजय गुप्ता, जय प्रकाश मिश्र, अमलेश पटेल, लाल बहादुर पटेल, मनोज पटेल, रमेश पटेल, रामराज पटेल, अमृत लाल सहित इत्यादि किसान शामिल थे।
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