स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज ने समाज को दिया संदेश
वाराणसी। श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज ने मौनी अमावस्या पर त्रिवेणी संगम में राष्ट्र की समृद्धि और विश्व मांगल्य की कामना से स्नान कर माॅडल गंगा का पूजन किया| इस दौरान सनातन उन्होंने कहा कि गंगा तट पर कल्पवास और कुछ विशेष तिथियों के दिन गंगा स्नान आदिकालीन और शास्त्रोक्त परम्परा के अनुसार चली आ रही है। आज भी लोग इस माह की पूर्णिमा, एकादशी, चतुर्थी और अमावस्या को पतित पावनी गंगा में डुबकी लगाकर पाप मुक्त होने का विश्वास लेकर आते हैं। ऐसी होती है आस्था, जो धर्म का सबसे बड़ा सम्बल है। माघ मास में त्रिवेणी संगम स्नान का बड़ा ही माहात्म्य माना गया है। ऐसे में बहुत से भक्त नर-नारी यहां माघ के पूरे महीने तक संगम के पास कुटिया बनाकर वास करते हैं जिसे ‘कपिल वास’ करना भी कहते हैं। संभवतः यह शब्द ‘कल्पवास’ का अपभ्रंश है। माघ मास में सनातनी पूरे महीने तक व्रत करते हैं. केवल फलाहार पर रहते हैं। चटाई पर सोना, तेल न लगाना, किसी प्रकार का श्रृंगार न करना तथा संयम पूर्वक रहना-इन नियमों को पालन करना अति आवश्यक होता है।
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