ग्रीष्मकालीन विशिष्ट कला शिविर का हुआ शुभारम्भ
ग्रीष्मकालीन विशिष्ट कला शिविर का हुआ शुभारम्भ
जयेश बादल
ललितपुर। सिद्धन रोड स्थित कला भवन में कलाविद् ओमप्रकाश बिरथरे द्वारा आयोजित विशिष्ट कला शिविर पेन्टिंग विद् ऑयल कलर्स (30 मई से 26 जून 2022) का शुभारम्भ मुख्य अतिथि जिला खनन अधिकारी एवं अध्यक्षता कर रहे योगविद् पं. रमेश किलेदार एवं शिविर आयोजक ओमप्रकाश बिरथरे द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती पूजन के साथ हुआ।
मुख्य अतिथि खनन अधिकारी शशांक शर्मा ने कहा कि भारतीय चित्रकला ने समूचे विश्व में अपना अलौकिक प्रभाव स्थापित किया है। तकनीकी दृष्टि से जहां पाश्चात्य चित्रकारों ने बाहरी सौन्दर्य को अपनी चित्रकला का आधार बनाया है। वहीं भारतीय चित्रकला में आध्यात्मिक चिन्तन और उच्च मानवीय मूल्यों को प्रमुखता से स्थान दिया है। उन्होंने नेपोलियन बोनापार्ट के कथन का उल्लेख करते हुये कहा कि एक चित्र हजार शब्दों के बराबर है। काम से कलाकार जाना जाता है और कला मोक्ष की प्राप्ति का साधन है। कला भवन में बिरथरे की कलाकृतियों एवं इस शिविर में बच्चों से संवाद करके आनंदित हूँ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे योगाचार्य रमेश किलेदार ने कहा कि कलाकार की कला द्वारा समाज अपने जीवन का संवारता और अपने आनन्द की वृद्धि करता है। यही है कला और समाज का सम्बन्ध, इसलिये कलाकार सदैव समाज में सम्मानित होता है। शिविर आयोजक ओमप्रकाश बिरथरे ने बताया कि इस विशिष्ट कला शिविर में चित्र रचना, तेल रंग। इस तकनीकी से के माध्यम से कैनवास ब्रश व नाइफ का प्रयोग विभिन्न विधाओं के साथ किया जाता निर्मित चित्र सैंकड़ों वर्ष तक खराब नहीं होते। प्राचीन काल में इस विधा का बहुत प्रयोग होता था। अजन्ता की चित्रकला इसका सजीव उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि इस तरह के शिविर केवल बड़े शहरों में आयोजित हो पाते हैं। हमारा प्रयास कि हम इस तरह के शिविर आयोजित करके अच्छे चित्रकार समाज को दे सके। बिरथरे ने चित्रकला के निर्माण में छः अंग रूपभेद, प्रमाण, भाव, लावण्य, सादृश, वर्णिकाभंग पर विस्तृत व्याख्या की तथा कला जगत में कार्य कर रहे तीन प्रकार के चित्रकार व्यवसायी, रसिक एवं व्यापारी चित्रकारों के सम्बन्ध में बताया ।यह शिविर तीनों तरह के चित्रकार बनने में मदद करेगा। शिविर में 30 कलासाधक प्रतिभाग कर रहे हैं। इंटैक चौप्टर के संयोजक संतोष कुमार शर्मा ने कहा कि कला, आत्मा, मस्तिष्क तथा हृदय तीनों को परिष्कृत करते है। आत्मा का विशाल बनाती है, मस्तिष्क को एकाग्र करती है और हृदय को स्नेहयुक्त बनाती है। आगे उन्होंने कहा कि बिरथरे सम्पूर्ण जीवन के अनुभवों को शिविर में बच्चों को बांटकर एक सराहनीय पुण्य कार्य कर रहे हैं। शिविर में विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित बृजमोहन संज्ञा, श्रीमती शांति मालवीय, कवि रवीन्द्र पाठक, कैप्टन राजकुमार जैन, देवेन्द्र गुरू श्रीवास्तव, कृष्णकांत सोनी पत्रकार, गोविन्द व्यास, विनोद त्रिपाठी ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर अतिथियों को शॉल भेंटकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर श्रीमती भगवती बाई, महेश प्रसाद बिरथरे, शुभम बिरथरे, रूचिका बिरथरे, अनुराधा मोदी आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन बृजमोहन संज्ञा ने किया।
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