श्रीमद् भागवत कथा श्रवण मात्र से होते हैं भवसागर पार
श्रीमद् भागवत कथा श्रवण मात्र से होते हैं भवसागर पार
उग्रसेन सिंह
ग़ाज़ीपुर। श्रीमद्भागवत कथा सुनने मात्र से मनुष्य के जन्म जन्मांतर का विकार नष्ट होता है तथा इससे प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। यह बातें ग्राम डढ़वल के जूनियर हाईस्कूल प्रांगण में चल रहे भागवत कथा में उत्तराखंड से आये कथा वाचक संत लालजी ने कही। उन्होंने कहा कि भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे सभी संशय दूर हो जाता है और शांति तथा मुक्ति मिलती है। उन्होंने कहा कि जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, वहीं कलियुग में भागवत कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।
मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। कथा के दौरान गांव की लगभग दो दर्जन से अधिक जरूरतमंद महिलाओं को मुख्य अतिथि भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष बृजेन्द्र राय ने प्रसाद रूप में वस्त्र वितरित किया। इनमें दुर्गावती देवी, दुलरा, कुन्ता, कुसुम, उर्मिला, लालती आदि रही। भाजपा नेता वृजेन्द्र राय ने कहा कि कथा की सार्थकता तब सिद्ध होती है जब हम इसे अपने जीवन में व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें, अन्यथा यह कथा केवल कानों के रस तक ही सीमित रह जायेगी। इस अवसर पर कुंदन सिंह, फैयाज अहमद, दिनेश सिंह सिन्टू, पुनीत तिवारी, प्रदीप गोंड़, संग्राम प्रजापति, गोपाल राय, आनंद प्रजापति, अजीत मोदनवाल इत्यादि उपस्थित रहे।
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