कोई पेट में तो कोई गोद में बच्चा लेकर करता रहा इन्तजार
सीएमओ ने सम्भाला मोर्चा, पीएचसी-सीएचसी से बुलाये डाक्टर
नरेश कुमार
पीलीभीत। मंगलवार की सुबह स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय का दृश्य किसी चिकित्सकीय त्रासदी से कम नहीं था। रोगी टकटकी लगाए इलाज की उम्मीद भरी आंखें लिए धरने पर बैठे स्वास्थ्य कर्मियों की ओर देखते रहे तो वहीं दूसरी ओर वेतन की मांग को लेकर कर्मचारियों की नारेबाजी उफान पर थी। कोई गर्भवती अपने पेट मे बच्चे को लिए डॉक्टरों का इंतजार करती दिखाई दी तो वहीं कोई पिता अपने बेटे को गोद में लिए उसके इलाज की गुहार लगाता रहा। करीब एक हजार रोगी अस्पताल के बाहर स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने से बेहाल रहा तो वहीं हड़ताल खत्म कराने में आला अधिकारियों के पसीने छूट गए। रोगियों की पीड़ा को लेकर सीएमओ डा.आलोक कुमार ने आनन फानन में मेडिकल इमरजेंसी की तरह मोर्चा संभाला। एक ओर धरनास्थल पर कर्मचारियों को समझाने-बुझाने का प्रयास किया तो वहीं दूसरी ओर सीएमओ अधीन सीएचसी-पीएचसी पर तैनात चिकित्सकों को बुलाकर ओपीडी शुरू कराई। सीएमओ ने एमओआईसी ललौरीखेड़ा डा. कमलेश गंगवार, उप क्षय रोग अधिकारी डा. पारुल मित्तल, आयुष चिकित्साधिकारी डा.ओपी मौर्या व अर्बन मेडिकल टीम को अस्पताल में बैठाया व मरीजों का इलाज शुरू कराया। हालांकि रोगियों की भीड़ को देखते हुए व्यवस्था संभलने में समय लगा।
डीएम ने आपदा कोष से भेजा वेतन का बजट
नोडल प्राचार्य डा. संजीव सक्सेना ने बताया कि जिलाधिकारी ने कर्मचारियों की समस्या को देखते हुए सोमवार शाम को ही आपदा कोष से वेतन के लिए बजट भेज दिया है। इसकी सूचना देने के लिए कर्मचारियों को बुलाया गया था लेकिन वे लोग नहीं आ पाए। सुबह धरनास्थल पर आकर भी कर्मचारियों को यही बात समझाई गई।
सीएमओ ने प्रमुख सचिव से की वार्ता
सीएमओ डा. आलोक कुमार ने कहा कि कर्मचारियों की समस्या पर विभागीय उच्चाधिकारियों से वार्ता हुई है। प्रमुख सचिव को पूरी समस्या से अवगत कराया गया है। शासन पूरी तरह गंभीर है। कर्मचारियों को वेतन दिलाने की जिम्मेदारी मेरी है, इसका लिखित आश्वासन दिया है। स्वास्थ्य सेवाएं बाधित करना ठीक नहीं है।
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