सोशल मीडिया ने राशन कार्डधारकों की उड़ाई नींद
सोशल मीडिया ने राशन कार्डधारकों की उड़ाई नींद
सक्षम अधिकारियों ने बताया की मामूली सा किया गया है फेरबदल
देवी प्रसाद शर्मा
आजमगढ़। राशन कार्ड धारकों की भारी भीड़ के बीच पात्र कार्ड धारकों से लेकर अपात्र कार्ड धारकों की लंबी लाइन देखी जा सकती है। ऐसे में बहुत से लोग सुविधा संपन्न हैं, जो अपात्र की श्रेणी में बहुत पहले से ही आ रहे थे, लेकिन सरकार का राशन हड़प करने में उन्हें कोई गुरेज नहीं हुआ करता था। राशन ले जाने के लिए लाइन में लगकर कम रेट में राशन को खरीदते थे, तुरंत उसको मार्केट में अधिक रेट पर बिक्री कर देते थे।
गरीब एवं पात्र लोग यह देख करके भी चुप रहते थे, क्योंकि उनका यह अपना राशन कार्ड है उस राशन कार्डधारी को कोटेदार की मजबूरी थी कि उनको राशन देना था और उन्हें देने में ही उनकी भलाई थी। अगर वह ऐसा नहीं करेंगे, तो निश्चित रूप से राज्य सरकार के नियम के विपरीत जाएंगे। उनको जेल की हवा भी खानी पड़ सकती थी। इसी बीच सोशल मीडिया पर अफवाहों का जब दौर शुरू हुआ तो थमने का नाम ही नहीं ले रहा था। इतने नियम पढ़े जाने लगे, बताए जाने लगे, जिससे आम आदमी से लेकर सामान्य लोगों की हालत लगातार खस्ता होने लगी और जो लोग हार्ट या अन्य किसी गंभीर रोग के शिकार थे उनका ब्लड शुगर, बीपी सब हाई होने लगा, जो वास्तव में गरीब थे, पात्र थे, जिनको आज भी राज्य सरकार की कृपा से जीना पड़ रहा है, उनके लिए भी भारी दुविधा पैदा हो गई थी। कहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लेकर तो कहीं कोटेदार के माध्यम से तो कहीं अन्य संबंधित विभागीय कर्मचारियों के माध्यम से ऐसे फेक न्यूज मार्केट से लेकर के गांव में फैल गए जिससे लोगों की आंखों से नींद गायब हो चुकी थी।
सामान्य लोग रिकवरी की बात सुनकर दहशत में आ गए थे। ऐसा लगता था राज्य सरकार के हर अच्छे किए गए कारनामे को विरोधी दलों द्वारा एक नया रूप दिया जाने लगा। चारों तरफ राशन खाने वालों की सोच अब अपराधी प्रवृत्ति सी हो गई थी। इधर से लेकर उधर तक जिले से लेकर के कोटेदार तक जिम्मेदार से लेकर अधिकारियों तक किसी न किसी माध्यम से हर पल की जानकारी लेने लगे कि अब क्या होगा। ऐसे में कोटेदार से लेकर अपर आयुक्त ने स्पष्ट यह कह दिया जो लोग सुविधा संपन्न हो चुके हैं और जिनके घर में सर्विस है खाने-पीने की सब कुछ व्यवस्था ठीक-ठाक है उनके लिए थोड़ा बहुत बदलाव किया गया है, लेकिन बाकी 2014 के हिसाब से सब कुछ उसी तरह से है कोई बदलाव नहीं किया गया है। फिर भी बहुत से लोग ऐसे हैं जो फेक न्यूज के माध्यम से सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे लोगों को पुलिस प्रशासन से लेकर जिम्मेदार अधिकारियों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है, ऐसे सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार करने वालों के ऊपर कड़ी कार्यवाही की जाए। पात्र और अपात्र कार्ड धारकों के साथ भी नरम रवैया अपनाते हुए सरकार के जिम्मेदार लोगों को आगे आकर स्पष्टीकरण देना चाहिए जिससे राशन कार्ड धारको के मन में फैली हुई भ्रामक स्थिति से निजात मिल सके और लोगों को सुकून भी मिल सके।
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