श्रीराम दुबे शिक्षण एवं प्रशिक्षण महाविद्यालय ने रोजगार के क्षेत्र में बनायी पहचान
श्रीराम दुबे शिक्षण एवं प्रशिक्षण महाविद्यालय ने रोजगार के क्षेत्र में बनायी पहचान
देवी प्रसाद शर्मा
आजमगढ़। श्रीराम दुबे शिक्षण एवं प्रशिक्षण महाविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाकर लोगों के लिए अति महत्वपूर्ण रोजगार देने में कामयाब दिख रहा है। उक्त जानकारी देते हुए विद्यालय के डायरेक्टर उमेश चंद्र दुबे ने बताया कि जो लोग अब तक इस विद्यालय के बारे में कोई जानकारी नहीं कर पाते थे, आज वही लोग उसका गुणगान करने से पीछे नहीं है, क्योंकि 2015 वर्ष में बीटीसी का क्लास चलना शुरू हो गया था। इसमें 2016 और 2020 दोनों सत्र जीरो तो हो गया लेकिन उसके बाद 21 और 22 कोरोना काल से प्रभावित देखा गया लेकिन विद्यालय के डायरेक्टर कभी भी हार मानने वाले नहीं थे। उनकी सतर्कता एवं शिक्षा के प्रति समर्पण भावना और प्रबंधन की बढ़ती लोकप्रियता से यह विद्यालय लगातार प्रगति पथ पर अग्रसर होता गया। इस विद्यालय में गरीबों के प्रति अगर सहानुभूति है तो पढ़ने वाले अच्छे विद्यार्थियों के प्रति लगातार समर्पित भावना भी शिक्षकों के अंदर भरी रहती है। यही कारण है कि आज यह विद्यालय शिक्षा क्षेत्र में कुशल नेतृत्व करने वाले कुशल अध्यापकों की वजह से महाविद्यालय में छात्रों को समुचित व्यवस्था उपलब्ध कराकर प्रबन्धन कार्य कुशलता एवं सख्त नेतृत्व से हमेशा पढ़ने वाले छात्रों के प्रति कुशल नेतृत्व करने वाला बन गया है। वहीं ध्यान देने वाली बात यह भी हैं कि किसी भी छात्र को आर्थिक तंगी के कारण एडमिशन पर या परीक्षा पर कोई प्रभाव न पड़े।
बताते चलें कि प्रबंधक रमेश चंद्र दुबे पूर्व में अतरौलिया विधानसभा क्षेत्र से बसपा के उम्मीदवार रह चुके हैं जिनकी लोकप्रियता किसी से छुपी नहीं है। इसी व्यवस्था के साथ उनकी ऊंची सोच उनको सफलता के करीब तो पहुंचा दिया था लेकिन कुछ थोड़ी बहुत त्रुटि रहने के कारण भले ही सफलता न मिली हो लेकिन उन्होंने समाज में जो दिशा निर्देश चुनाव के समय दिया, आज भी लोग उनके चरित्र, उनके विचार और उनके स्वभाव के कायल हो चुके हैं। जैसा कि लोग जानते हैं कि उन्होंने कभी भी किसी को अपने कर्म से अपने वाणी या अपने आचरण से आहत नहीं किया है। उनके जानने वाले, मानने वाले भी मानते हैं कि इस विद्यालय में गरीब से लेकर असहाय छात्रों की समुचित व्यवस्था की जाती है। जैसा कि सभी लोग जानते हैं कि उन्होंने इस विद्यालय की स्थापना आर्थिक उपार्जन के लिए नहीं किया है, बल्कि जन सेवा के लिए किया है। मैं दूर-दूर तक देखता हूं पैसे के अभाव में भारी संख्या में विद्यालय पर बच्चे एडमिशन नहीं करा पाते हैं। ऐसे में यहां पर उनको अधिक से अधिक सुविधा मिले, इसलिए मैं खुद बीच-बीच में विद्यालय की गतिविधि और छात्रों के प्रति कैसा रवैया विद्यालय प्रबंधन का होता है। उसको भी सतर्कता व्यवस्था से ध्यान रखता हूं।
यही कारण है कि इस विद्यालय से भारी संख्या में छात्र उत्तीर्ण होकर जनपद में नहीं, बल्कि अन्य जिलों में भी शिक्षण कार्य करके अपने परिवार के सुखमय जीवन के प्रयासरत हैं। डायरेक्टर उमेश चंद्र दुबे जो उच्च शिक्षा प्राप्त होने के साथ एक बेहतर समाजसेवी के रूप में जाने पहचाने जाते हैं, की लोकप्रियता एवं समाज सेवा से हर वर्ग के लोग उनसे प्रभावित भी रहते हैं। यही कारण है कि आज वह मानते हैं कि इस क्षेत्र में अगर एक कॉन्वेंट स्कूल की स्थापना कर दी जाए तो क्षेत्र के बच्चों का भविष्य और भी उज्जवल हो सकता है, इसलिए जल्द ही 2024 में कॉन्वेंट विद्यालय की स्थापना करने की भी मनसा पाल रखे हैं, उसमें उनको सफलता भी मिलेगी, क्योंकि विद्यालय मार्च से शुरू किया जाएगा लेकिन अभी से ही जनसंपर्क उनका तेज चल रहा है। इस विद्यालय पर पहुंचने के लिए हालांकि कई रास्ते हैं लेकिन मुख्य मार्ग अगर देखा जाए तो शाहपुर नहर से एक संपर्क मार्ग, दूसरा मार्ग गजेंद्र पट्टी भेदौरा होते हुए पंडित श्रीराम दुबे शिक्षण संस्थान तक ले जाता है जिसकी दूरी सड़क से मात्र 3 किलोमीटर के आस—पास बताई जा रही है। साथ ही मदियापार से भी इस महाविद्यालय पर आवागमन की व्यवस्था चलती है।
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