आशीष पचौरी
टूण्डला, फिरोजाबाद। स्थानीय नगर के जैन मंदिर में पधारे आचार्य निर्भयसागर अयोध्या में हो रही राम लला की नव निर्मित हो रही प्रतिमा की प्रतिष्ठा हेतु शुभ सन्देश शुभकामना व्यक्त किये। आचार्य श्री ने कहा कि राम सबको सुखी देखना चाहते थे। वे सत्य और न्याय और अहिंसा के पक्षधर थे। उन्होंने इन्द्रिय सुख और राजसत्ता का सुख न भोगकर वनवास स्वीकार किया। वे जानते थे इन्द्रिय सुख सुगर कोटेड सिलो पाइजन टेबलेट के समान है जिसको लेते समय अच्छा लगता है लेकिन धीरे धीरे वह शरीर को क्षीण कर देता है। सुख आत्मा का स्वभाव है और निजी सम्पत्ति है इसलिए हर कोई सुख चाहता है। सत्य एक प्रकाश है सत्य एक खुशबू है परमात्मा से मिलन का एक रास्ता है। सत्य की खोज के लिए अध्यात्म है और विज्ञान भी पर दोनों के रास्ते अलग अलग है। दुनिया में हर प्राणी को अपने प्राण सर्वाधिक प्रिय है। आचार्य निर्भयसागर महाराज ने अयोध्या में हो रही राम लला की नवनिर्मित प्रतिमा की प्रतिष्ठा हेतु शुभ सन्देश व्यक्त किये।
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