विश्व एचआईवी/एड्स दिवस पर गोष्ठी का हुआ आयोजन

विश्व एचआईवी/एड्स दिवस पर गोष्ठी का हुआ आयोजन

एएनएम प्रशिक्षण केन्द्र में भी हुआ कार्यक्रम
देवी प्रसाद शर्मा
आजमगढ़। विश्व एड्स संक्रमण से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इसी क्रम में मंडलीय जिला चिकित्सालय स्थित जिला क्षय रोग कार्यालय सभागार में गोष्ठी का आयोजन हुआ। एएनएम प्रशिक्षण केंद्र में भी विश्व एड्स दिवस मनाया गया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आईएन तिवारी ने बताया कि एचआईवी संक्रमण एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है।

यह संक्रमण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को शरीर को कमजोर कर देता है। इम्यूनिटी कमजोर होने से वक्त के साथ लोगों में अन्य गंभीर प्रकार के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। आगे चलकर यही एचआईवी संक्रमण एक्वायर्ड इम्युनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम (एड्स) का रूप ले लेता है। जनपद में मौजूदा समय में आंकड़ों के मुताबिक 7971 लोग एचआईवी एड्स की समस्या के शिकार हैं। विगत दिनों स्क्रीनिंग कैम्प का आयोजन किया गया था। इसमें 1900 लोगों की स्क्रीनिंग की गई थी, तथा पाथ संस्था के सहयोग से पांच कैम्पों में 1100 लोगों की जांच हुई थी। इसमें सभी निगेटिव मिले।

कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ परवेज़ अख्तर ने बताया कि इस अवसर पर सुदूरवर्ती गाँव आदमपुर, पुष्पलता कालेज से जुनैदगंज तक रैली निकली गई जिसमें प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, आईसीटीसी के कर्मचारियों, आहना स्वयं सेवी संस्था के कर्मचारियों तथा कालेज के बच्चों ने भाग लिया। डॉ उमा शरण पाण्डेय ने बताया कि इस अवसर पर एएनएम प्रशिक्षण केंद्र में भी विश्व एचआईवी/एडस दिवस मनाया गया जहाँ क्षात्राओं ने एचआईवी/एडस पर लोगों को जागरूक किया।
डीटीओ ने गोष्ठी में बताया कि एचआईवी संक्रमण एक लाइलाज समस्या है, जिसकी अब तक कोई दवा या टीका नहीं बना।

लेकिन विशेषज्ञों ने एचआईवी से बचाव के उपाय बताएं हैं जिनका पालन कर एड्स के खतरे से बचा जा सकता है। एड्स खुद में कोई बीमारी नहीं लेकिन इससे पीड़ित शरीर प्राकृतिक प्रतिरोधी क्षमता को खो देता है। इसकी वजह होता है एचआईवी। एचआईवी एक वायरस है जो संक्रमण के कारण होता है। शरीर में एचआईवी संक्रमण के प्रसार के कई कारण हो सकते हैं। असुरक्षित यौन संबंध बनाने, संक्रमित व्यक्ति के रक्त के माध्यम या गर्भावस्था में प्रसव के दौरान संक्रमित मां से बच्चे तक एचआईवी फैल सकता है। एचआईवी एड्स के सबसे अधिक मामले असुरक्षित यौन संबंध बनाने के कारण देखने को मिलते हैं।

एचआईवी संक्रमण से ग्रसित व्यक्ति में वायरस की चपेट में आने के दो से चार हफ्ते के भीतर ही लक्षण नजर आने लगते हैं। प्रारंभिक स्थिति में संक्रमित को बुखार, सिरदर्द, दाने या गले में खराश सहित इन्फ्लूएंजा जैसी समस्याओं का अनुभव हो सकता है। संक्रमण बढ़ने के बाद अन्य गंभीर लक्षण दिखने लगते हैं। संक्रमण के होने के बाद इससे निजात नहीं पाया जा सकता है। हालांकि दवाओं के माध्यम से एचआईवी को नियंत्रित किया जा सकता है और इस संक्रमण के कारण होने वाली जटिलताओं को भी कम कर सकते हैं। एचआईवी की दवाओं को एंटीरेट्रो वाइरल थेरेपी (एआरटी) कहा जाता है। एचआईवी की गंभीरता को कम करने के लिए एआरटी शुरू का सेवन शुरू करने की चिकित्सीय सलाह देते हैं।

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