सरपतहां पुलिस ने डेढ़ दर्जन वाहनों का किया चालान

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अरशद खान खेतासराय, जौनपुर। शनिवार की दोपहर आई रिपोर्ट से खेतासराय थाने में हड़कम्प मच गया। खेतासराय थाने के 10 पुलिसकर्मी कोरोना पॉज़िटिव पाए गए है। इनका सैम्पल 5 जुलाई को लिया गया था। इन पुलिसकर्मियों में 5 सिपाही एक महिला सिपाही 2 नाएब दरोगा 2 हेड कांस्टेबल है। इन सभी को जौनपुर के कोविड हॉस्पिटल ले जाए जाने की तैयारी चल रही है। इस बारे में प्रभारी चिकित्साधिकारी सोंधी डाक्टर रमेश चंद्रा ने बताया कि पॉज़िटिव पाए पुलिसकर्मियों को एम्बुलेंस द्वारा हॉस्पिटल ले जाया जाएगा। कल पूरा थाने परिसर को सैनिटाइज कराया जाएगा। पॉज़िटिव पाए गए पुलिसकर्मियों के सीधे संपर्क में आए लोगों की सैम्पलिंग की जाएगी।

सुईथाकला, जौनपुर। सरपतहां पुलिस ने लाकडाऊन के दौरान शनिवार को बेवजह घर से निकलने वाले लोगों के साथ सख्त रूख अख्तियार किया।
इस दौरान थाना प्रभारी पंकज पाण्डेय अपने हमराहियों के साथ क्षेत्र में लोगों को लाकडाऊन के नियमों का पालन करने की अपील करते हुए चक्रमण करते रहे। इस दौरान उन्होंने लाकडाउन के दौरान बिना मास्क के बिना वजह घूमने के आरोप में लगभग आधे दर्जन लोगों को हिरासत में लेने के साथ ही लगभग डेढ़ दर्जन दुपहिया वाहनों का चालान किया।

मीरगंज, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के लासा गांव में यूपीपीसीएल के तहत कराये जा रहे कार्य में उपयोगी सामान को लेने गये सुपरवाईजर को आधा दर्जन मनबढो ने पीट कर घायल कर दिया। पीड़ित घायल अवस्था में पहुंच पुलिस को तहरीर दे दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पंवारा थाना के कठार गांव निवासी 24 वर्षीय अभिषेक सिंह यूपीपीसीएल द्वारा कराये जा रहे कार्य मे ठेकेदार द्वारा सुपरवाइज़र रखा गया है। ठेकेदार लासा गांव मे कुछ सामान छोड रक्खा था। जिसे अभिषेक सिंह लेने गया था। सामान नही देने और ठेकेदार को लिवा कर आने के लिए कहते हुए उसे आधा दर्जन लोगों ने लाठी डण्डा से पीटकर घायल कर दिया। जिससे उसका सिर फट गया। थाने पहुच कर पीड़ित ने पुलिस को तहरीर दे दी है। चंदन अग्रहरि शाहगंज, जौनपुर (टीटीएन) 10 जुलाई। स्थानीय तहसील क्षेत्र अंतर्गत गुरूवार की रात थाना खेतासराय के ग्राम नदौली में विवाहिता ने घर के दालान में संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी लगा ली। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर छानबीन में जुट गई है। विवाहिता के पिता ने दहेज के लिए पुत्री को मारने का आरोप सुसरालवालों पर लगाया है। जानकारी के अनुसार क्षेत्र के नदौली गांव में शशिकला 28 वर्ष अपने पति गुलाब चंद गौतम के साथ घर के कमरे में सोई थी। रात करीब दो बजे जब पति गुलाब की आंख खुली तो देखा कि पत्नी शशिकला नहीं थी। खोजने पर देखा कि घर के दलान के लकड़ी की कड़ी में साड़ी का फंदा लगाकर लटक रही है। पति ने घटना की सूचना पुलिस तथा पत्नी के मायके वालों को दी। स्थानीय लोगों की माने तो आत्महत्या के पीछे पति पत्नी की कलह बताई जा रही है। मृतक विवाहिता का मायका खुटहन थाना क्षेत्र के नसीरुद्दीनपुर में है। शादी 4 वर्ष पूर्व हुई थी। उनकी एक पुत्री शिवांगी 3 वर्ष है। मृतक विवाहिता के पिता ने पति गुलाब चंद गौतम पर दहेज के लिए प्रताड़ना देने और पुत्री को मारकर फांसी पर लटकाने का आरोप लगाया है। घटना की सूचना पाकर एसडीएम शाहगंज राजेश वर्मा भी मौके पर पहुंचे। जौनपुर। भाजपा कार्यालय पर सामाजिक दूरी का ख्याल रखते हुये जिलाध्यक्ष श्री पुष्पराज सिंह के अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें आपातकाल पर चर्चा हुई। जिलाध्यक्ष ने कहा कि 25 जून का दिन एक विवादस्पद फैसले के लिए जाना जाता है यही वह दिन था जब देश में आपातकाल लगाने की घोषणा हुई तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जनता को बेवजह मुश्किलों के समुंदर में धकेल दिया। 25 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई और 26 जून 1975 से 21-मार्च 1977 तक यानी 21 महीने की अवधि तक आपातकाल जारी रहा। आपातकाल के फैसले को लेकर इंदिरा गांधी द्वारा कई दलीलें दी गईं। देश को गंभीर खतरा बताया गया, लेकिन पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और ही थी उन्होंने कहा कि हमारे जिले जौनपुर से भी कई नेता जेल गए जिसमे मुख्य रूप से पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह अल्प आयु में ही जेल गए कैलाश विश्वकर्मा जी, हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव तमाम नेता जेल गये थे। जिलाध्यक्ष ने कहा कि आपातकाल की नींव 12 जून 1975 को ही रख दी गई थी जब इंदिरा गांधी के खिलाफ संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी राजनारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की राजनारायण ने अपनी याचिका में इंदिरा गांधी पर 6 आरोप लगाये थे 12 जून 1975 को राजनारायण की इस याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया इंदिरा गांधी को चुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का दोषी पाया गया और इंदिरा गांधी के निर्वाचन को रद्द कर दिया और 6 साल तक उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ता इसलिए इस लटकती तलवार से बचने के लिए प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर आपात बैठक बुलाई गई। इस दौरान कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष डीके बरुआ ने इंदिरा गांधी को सुझाव दिया कि अंतिम फैसला आने तक वो कांग्रेस अध्यक्ष बन जाएं और प्रधानमंत्री की कुर्सी वह खुद संभाल लेंगे लेकिन बरुआ का यह सुझाव इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी को पसंद नहीं आया संजय की सलाह पर इंदिरा गांधी ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 23 जून को सुप्रीम कोर्ट में अपील की सुप्रीम कोर्ट ने अगले दिन 24 जून 1975 को याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वो इस फैसले पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें प्रधानमंत्री बने रहने की अनुमति दे दी, मगर साथ ही कहा कि वो अंतिम फैसला आने तक सांसद के रूप में मतदान नहीं कर सकतीं विपक्ष के नेता सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला आने तक नैतिक तौर पर इंदिरा गांधी के इस्तीफे पर अड़ गए। एक तरफ इंदिरा गांधी कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रहीं थीं, दूसरी तरफ विपक्ष उन्हें घेरने में जुटा हुआ था। गुजरात और बिहार में छात्रों के आंदोलन के बाद विपक्ष कांग्रेस के खिलाफ एकजुट हो गया। लोकनायक कहे जाने वाले जयप्रकाश नारायण (जेपी) की अगुआई में विपक्ष लगातार कांग्रेस सरकार पर हमला कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अगले दिन 25 जून 1975 को दिल्ली के रामलीला मैदान में जेपी ने एक रैली का आयोजन किया जिसमे अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, आचार्य जेबी कृपलानी, मोरारजी देसाई और चंद्रशेखर जैसे तमाम दिग्गज नेता एक साथ एक मंच पर मौजूद थे। विपक्ष के बढ़ते दबाव के बीच इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से इमरजेंसी के घोषणा पत्र पर दस्तखत करा लिए जिसके बाद सभी विपक्षी नेता गिरफ्तार कर लिए गए 26 जून 1975 को सुबह 6 बजे कैबिनेट की एक बैठक बुलाई गई इस बैठक के बाद इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो के ऑफिस पहुंचकर देश को संबोधित किया उन्होंने कहा कि आपातकाल के पीछे आंतरिक अशांति को वजह बताई लेकिन इसके खिलाफ गहरी साजिश रची गई इसके बाद प्रेस की आजादी छीन ली गई, कई वरिष्ठ पत्रकारों को जेल भेज दिया गया अखबार तो बाद में फिर छपने लगे, लेकिन उनमें क्या छापा जा रहा है। ये पहले सरकार को बताना पड़ता था। इमरजेंसी का विरोध करने वालों को इंदिरा गांधी ने जेल भेज दिया था 21 महीने में 11 लाख लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. 21 मार्च 1977 को इमरजेंसी खत्म करने की घोषणा की गई। इंदिरा गांधी और कांग्रेस आपातकाल को संविधान के अनुसार लिए गया फैसला बताते रहे, लेकिन वास्तव में उन्होंने 1975 में संविधान द्वारा दिए गए इस अधिकार का दुरुपयोग किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से शामिल जिला उपाध्यक्ष सुरेंद्र सिंघानियां, अमित श्रीवास्तव, जिला महामंत्री शुशील मिश्रा, पीयूष गुप्ता, जिला मंत्री राजू दादा, अभय राय डीसीएफ चेयरमैन धन्यजय सिंह, भूपेंद्र पांडे, आमोद सिंह, विनीत शुक्ला, राजवीर दुर्गवंशी, रोहन सिंह, इन्द्रसेन सिंह प्रमोद, अनिल गुप्ता, प्रमोद प्रजापति, भाजयुमो जिला महामंत्री विकास ओझा, शुभम मौर्या आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे। धर्मापुर, जौनपुर। धर्मापुर ब्लाक के गौराबादशाहपुर कस्बा निवासी 12 लोगों की रिपोर्ट शनिवार को कोरोना पॉजिटिव आने से हड़कंप मच गया। गौराबादशाहपुर कस्बा के गौरा निवासी किराना व्यवसायी भाइयों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद बीते चार जुलाई को इस परिवार व उनसे संपर्क के 70 लोगों का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया था। जिसमें से व्यवसायी परिवार के तीन के साथ कुल 12 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर सीएचसी गौराबादशाहपुर के अधीक्षक डा. मनोज कुमार के नेतृत्व में स्वास्थ्य टीम शाम को कस्बे में पहुंची। टीम ने सभी संक्रमित को एम्बुलेंस से पूर्वांचल विश्वविद्यालय स्थित अस्थाई अस्पताल भिजवाया। मौके पर एसओ रामप्रवेश कुशवाहा भी मय फोर्स मोजूद रहे। अधीक्षक ने बताया कि उच्चाधिकारियों के निर्देश पर इलाके को सील करने की तैयारी की जा रही है। जौनपुर। जिले में बुधवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। सिकरारा क्षेत्र के शाहपुर स्थित बजरंग बली मंदिर कुटी परिसर में सपा नेता लकी यादव ने पदाधिकारियों के साथ केक काटकर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का जन्मदिन मनाया। इसके साथ ही बच्चों को वस्त्र, अनाज व फल वितरित किया। उन्होंने कहा कि किसान, गांव, गरीब की लड़ाई केवल समाजवादी पार्टी ही लड़ सकती है। इस अवसर मोनू यदुवंशी, सोनू यदुवंशी, केशजीत यादव, राहुल यादव, रामनाथ यादव, तेजू यादव प्रधान, मंगल यादव, शुभम, आनन्द, मुलायम, शशिकांत, संस्कार, मेवा आदि उपस्थित रहे। सड़क पर चलना मुश्किल, लोग हो रहे दुर्घटना के शिकार पंकज बिंद महराजगंज, जौनपुर। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत निर्मित सड़क की दुर्दशा देखकर लोग यह कहने को मजबूर हो जाते हैं कि सड़क में गड्ढा है या फिर गड्ढ़े में सड़क। फिलहाल खस्ताहाल जर्जर गड्ढेदार सड़क पर चलने को मजबूर लोग अनायास ही दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। सड़क पर बने गड्ढों में बारिश का पानी जमा हो जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बक्शा रसिकापुर लोहिंदा मार्ग का निर्माण 2013-14 में प्रारंभ हुआ था। इसका निर्माण मई 2014 में पूर्ण हो जाना था लेकिन 2017 तक निर्माण कार्य चला। 5 वर्ष का अनुरक्षण काल निर्माण इकाई ने 2019 में पूर्ण दिखाकर मरम्मत का कार्य बंद कर दिया। ऐसे में 2020 में सड़क टूटकर पूरी तरह से बिखर गई। 2017 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने निर्माण कार्य में देरी व लापरवाही को लेकर निर्माण इकाई पर प्राथमिकी दर्ज कराने के साथ निर्माण एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया था। मयन्दीपुर, लोहिन्दा चौराहा से बंधवा तक सड़क टूटकर पूरी तरह से बिखर गई है। सड़क में बने बड़े-बड़े गड्ढे दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। दिन में तो किसी प्रकार इस सड़क पर 15 किलोमीटर की दूरी घंटे-डेढ़ घंटे में तय की जा सकती है लेकिन रात के समय में इस सड़क पर चलना किसी भारी जोखिम से कम नहीं है। ऐसे में बाइक, साइकिल व पैदल यात्री सड़क में बने गड्ढों में गिरकर दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं।

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