राम के आड़ में करती है लोगों को गुमराह वर्तमान सरकार: ज्योति प्रकाश

राम के आड़ में करती है लोगों को गुमराह वर्तमान सरकार: ज्योति प्रकाश

आज हम विज्ञान के आधुनिक दुनियां में लेकिन तब पर भी राम, गाय, गोबर में फंसा पड़ा हूं।हमें आपको इससे बाहर आना पड़ेगा और उसका एक माध्यम है शिक्षा क्योंकि जब आप शिक्षित बनेंगे तो तार्किक बनेंगे और चीजों को बलि भांति समझ सकेंगे। दुनियां मंगल ग्रह, चन्द्रमा का सपना देख रहा है और हम आप गाय गोबर में फंसे हैं। आईए इसे हम समझने का प्रयास करते हैं।

दरअसल हम विविधताओं वाले देश में रहता हूं और जहां विभिन्न जाति, धर्म , सम्प्रदाय के लोग रहते हैं।एक उसी में धर्म है हिन्दू धर्म उस धर्म में भी लोग जातियों में बंटते है दरअसल यह बटवारा वर्चस्व की भावना से ओतप्रोत आधारित है जहां एक को नीचा और खुद को ऊंचा दिखलाने का भाव नीहित है।

हमें हमारा संविधान बेहतर जीवन जीने के लिए अधिकार दिया है तो वही दूसरी तरफ वर्तमान सरकार उस अधिकार को खत्म करने पर आमदा है और ऐसा हो भी ना क्यों क्योंकि हमें मानसिक रूप से भगवान का बहाना लेकर गुलाम जो बनाया गया है। एक तरफ समाज में जहां गरीब तबका है जिसे 2 किलों चावल और 4 किलों गेहूं खिलाकर राम का नारा लगवाया जा रहा है तो दूसरी तरफ एक जमींदार तबका जो खुद को राजा समझकर उनका शोषण करती है है।

आईए हम राम को भी समझते आखिर राम को कौन नही जानता कि वो राजा दशरथ के पुत्र थे लेकिन उनके अन्दर कोई दैवीय शक्ति था किसी ने देखा है शायद इसका उत्तर नहीं है।लेकिन हम जहां तक समझते हैं कि राम एक इंसान थे और उन्होंने अपने समय के समाज में व्याप्त बुराईयों को दूर करने का प्रयास किए और दूर किए भी जैसे कि गांधी , अम्बेडकर,और ज्योतिबा फूले ईत्यादी लोगों ने किया।यहां तक उन्हों ने अपने जीवन काल में आने वाले पीढियों को एक नजारा पेश कर दिए कि अपने खुद के भौतिकता भरे जीवन को त्याग कर आध्यात्मिकता के जीवन को अपनाएं और जंगल को चले गये अर्थात् हम राम को एक विचारधारा कहें तो शायद बेहतर होगा लेकिन आज वर्तमान सरकार राम भक्त तो जरूर है लेकिन उनका राम के विचार से दूर,-दूर तक कोई सम्मिलन नहीं है तो क्या वर्तमान सरकार लोगों को आस्था के नाम पर लड़ाने का काम कर रही है…..व्यक्ति को बेहतर जीवन जीने के लिए आस्था तो जरूरी है लेकिन आस्था के आड़ में कोई अपना रोटी सेंकने का काम करें ये ग़लत है। हम जरूर आस्था में विश्वास करते हैं लेकिन पाखंड को नहीं मानता क्योंकि ये आधुनिक भारत है।

जब गरीब वंचित, शोषित, आस्था में डुबकी लगा रही होती है तो वही सरकार के चमचे खुद को आलीशान जीवन बनाने में व्यस्त रहते हैं….।अगर चलिए हम मान लेते हैं कि भगवान है तो क्या भगवान ने यह कहा था कि हमने मिलने के लिए एक जाति विशेष लोग हमारे एजेंट होंगे अगर ऐसा नहीं तो भारत के मंदिरों में एक जाति का वर्चस्व क्यों ?अगर ऐसा है तो हम नाश्तिक रहने में खुद को बेहतर समझता हूं।
आज आधुनिक युग में शिक्षित होना जरूरी है और तार्किक बनना जरूरी है क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता है तो हम आप आपस में लड़ते रहेंगे और मजा कोई दुसरा मारेगा…।
आओं मिलकर शिक्षा का विस्तार करते हैं और लोगों में जागरूकता फैलाते हुए बेहतर भारत के निर्माण में अपना योगदान करते हैं।

ज्योति प्रकाश
सामाजिक चिंतक

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