एक अस्पताल तीन मालिक फिर भी तैनात डाक्टरों की डिग्री पर संदेह
विशाल रस्तोगी
सीतापुर। उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर में स्वास्थ्य विभाग के लचर रवैया से झोलाछाप डाक्टरों का धंधा दिन दूनी रात चौगुनी फल फूल रहा है। जी हां उत्तर प्रदेश के सीतापुर में आपको हर गली और नुक्कड़ में हास्पिटल नर्सिंग होम और क्लीनिक के बोर्ड लगे दिख जाएंगे। जहां पर कुछ प्रशिक्षित डाक्टरों के नाम पर रजिस्ट्रेशन और 24 घंटे सेवा देने के वादे किए जा रहे हैं। तो कहीं पर टेलिफोनिक ट्रीटमेंट गाइडेंस से हास्पिटल संचालक अपने यहां भर्ती मरीजों का इलाज करते हुए बखूबी मिल जाएंगे। सूत्रों की माने तो एमडी बने ऐसे हास्पिटलों के तथाकथित डाक्टर जिनका डाक्टर ट्रेनिंग से दूर तक कोई वास्ता नहीं है। फिर भी वह डिग्रीधारी डाक्टर के नाम से आपको दिखाई पड़ जाएंगे।
अभी हाल ही के दिनों में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने सीतापुर स्वास्थ्य विभाग के पेच कसने के लिए महमूदाबाद की सीएससी का औचक निरीक्षण कर जमीनी हालात जाने थे। जिस पर स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारी व महमूदाबाद सीएचसी अधीक्षक से लगाकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भी चेतावनी दी थी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य विभाग पर अंकुश लगाने के बजाय। बिना जांच परख किए अस्पतालों के लाइसेंस देते जा रहा है और अनेकों तथाकथित डाक्टर व डायरेक्टर बने हुए हैं। जरा उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक जी सीतापुर के प्राइवेट अस्पतालों की हकीकत जानने के लिए सीतापुर के किसी भी नुक्कड़ चैराहे गली में निकल कर देख लीजिए। यहां पर स्वास्थ्य विभाग के सारे मानकों की धज्जियां उड़ती आपको खुलेआम दिख जाएंगी। आपको यह भी दिख जाएगा कि स्वास्थ्य विभाग कितनी बड़ी लापरवाही करता है।
जिसके नाक के नीचे अनेकों अस्पताल उगते चले जा रहे हैं। अस्पतालों के आगे इलाज के नाम पर बड़े-बड़े डाक्टरों के नाम और डिग्री लिखे बैनर लगे हुए हैं। बस उनका नाम नहीं होगा जो खुद तथाकथित डायरेक्टर और मालिक बने बैठे है। ऐसे अस्पताल में मरीज को ले जाने वाले तीमारदार अपने आप को ठगा सा महसूस करता है। जब वहां पर बोर्ड पर लिखे डाक्टरों की उपस्थिति नहीं होती है और वहां के एमडी मरीज को भर्ती कर संबंधित रिपोर्ट और दवाओं के पर्चे व्हाट्सएप के माध्यम से अपने आकाओं यानी लखनऊ में बैठे प्रतिष्ठित डिग्री धारी डाक्टर को फोन पर ट्रीटमेंट देते दिख जाएंगे। उप मुख्यमंत्री जी आप सीतापुर के अन्य शहर चैराहों कस्बों को तो छोड़ दीजिए। सिर्फ सीतापुर मुख्यालय पर ही आप निरीक्षण कर लीजिए तो पता चल जाएगा कि स्वास्थ्य विभाग की कितनी बड़ी लापरवाही सीतापुर में हो रही है। ऐसा ही सीतापुर उत्तर में स्थित नेपालापुर चैराहे के पास लहरपुर रोड पर उजाला नर्सिंग होम संचालित हैं। जहां के तीन तथाकथित मैनेजिंग डायरेक्टर या यूं कहें कि नर्सिंग होम के मालिक बने बैठे हैं।
जिनके पास नर्सिंग होम चलाने के लिए कोई भी वैध डिग्री नहीं है। यहां के स्टाफ की तो बात ही निराली है। यहां पर नर्सिंग स्टाफ की डिग्री क्या होगी जब मालिकों का यह हाल है। सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर हम आपको उजाला नर्सिंग होम के बारे में आगे बताएंगे कि इस नर्सिंग होम के कौन-कौन से मालिक हैं। उनकी क्या क्या डिग्री है। हम आपको आगे यह भी बताएंगे कि वहां के स्टाफ, नर्सिंग होम और वहां की कैसी फैसिलिटी है। हम आपको ऑपरेशन थिएटर आदि का स्थित के बारे में भी बताएंगे। बायो वेस्ट मटेरियल, कितने बेड की मान्यता मिली है और किन-किन डाक्टरों के नाम पर यहां मरीजों का इलाज किया जा रहा है। उन डाक्टरों के नाम भी आगे बताएंगे जो दूर दूर तक उजाला नर्सिंग होम में नजर नहीं आते हैं।
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