राष्ट्रीय एकता प्रदर्शनी अपने मिशन में सफल

राष्ट्रीय एकता प्रदर्शनी अपने मिशन में सफल

दीपक कुमार
मुगलसराय, चन्दौली। मुगलसराय चंदौली सफलता की किमत जिन्दगी से ज्यादा नही जो हार से निराश है उनको इस बात का अन्दाजा नही। यह बात सटीक बैठती है उम्र के उस पढ़ाव पर खड़े, जहां से लोग रिटायर हो जाते है और यह शख्स 77 साल के उस उम्र को भी ठेंगा दिखा कर लगभग 300 लोगों के कुनबे को, सम्हालते हुए राष्ट्रीय एकता प्रदर्शनी को सफलता पूर्वक मुगलसराय मे प्रदर्शन कर रहा जी हां मै बात कर रहा हूं प्रयागराज निवासी सरदार हरवंश सिंह का जो अपने सहयोगी आन्नद शुक्ला के साथ मिलकर एक स्वस्थ्य मनोरंजन नगर वासियों को दे रहे है। बातचीत के दौरान उन्होने बताया बचपन में इलहाबाद मे उनके ही जमीन पर इस तरह का मेला लगा करता था उसी से प्रेरित होकर आज ईस नुमाईस के व्यवसाय मे आ गए और लगभग 54 साल से इसी व्यवसाय से जुडे है। साथ ही उन्होने इस बात पर बल दिया कि आज का मानव दिमागी तौर पर मजबूत हो गया चॉद व सूरज पर पहुचने की तैयारी करने मे लग गया पर हकिकत यही है कि आज घर में रह कर मोबाइल व कम्प्यूटर पर मनोरंजन को तलासने वाले युवा को एक बढ़िया मनोरंजन पुरे परिवार के साथ घर के बाहर ही आता है उन्होने एक बहुत बड़े राज से भी पर्दा उठाया कि जब वाराणसी जिला था जहां के जिलाधिकारी के हाथो उद्घघाटित दारा सिंह व रंधावा कि कुस्ती जो कि रेलवे इन्डियन ईन्स्टिट्युट मे 8 मई दिन सन् 1980 को उनके द्वारा ही आयोजित किया गया था। वही प्रदर्शनी मे मौत का कुआं में मोटर बाईक व कार पर स्टंट करने वाले मोहम्मद अली, मौरिस व़ अली मे बताया कि इस खेल में जरा सा भी चुक जिन्दगी को पल भर मे मौत मे तब्दील कर सकती है। पेशे से मैकेनिक मौरिस ने बताया कि लगभग 30 साल हो गये इस तरह का स्टंट करते हुए पर डर को दरकिनार करते हुए। एकाग्र चित होकर यह जोखिम भरा कार्य करना पड़ता है, फिल्म भारत मे सलमान खान के बॉडी डबल के रूप मे कार्य कर चुके अली ने कहा कि सलमान खान ने स्टंट देखकर एक घड़ी और 10 हजार रूपये देकर सम्मानित किया था, जो कि मेरे जीवन मे कभी न भूलने वाला पल है पर चुनोैतिया बहुत है, इस फिल्ड मे बहुत ही मेहनत का कार्य है और धिरे धिरे यह जोखिम भरे कार्य के कलाकार लुप्त होते जा रहे है, वही नाम न छापने कि शर्त पर एक सहयोगी ने बहुत कुरेदने पर बताया कि सरकार हम पर विशेष ध्यान नही देती है शासन प्रशासन से अगर सहयोग मिलता रहे तभी इस तरह का नुमाईस चलता रहेगा, नही तो यहॉ आने वाला हर शख्स टिकट नही लेना चाहता और खर्चे इतने है कि खर्च का दाम निकालना मुश्किल है पर चलता है। आज मनोरंजन के लिए एक ही बात कहता हूँ बिकल्प मिलेगे बहुत मनोरंजन के लिए संकल्प एक ही काफी है मंजिल तक पहुचने के लिए पर स्वस्थ मनोरंजन गलियारे में नही मीलते।

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