राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक रूप से करुणा एवं मैत्री की कड़ी है मोदी सरकार: डा. इन्द्रेश कुमार

राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक रूप से करुणा एवं मैत्री की कड़ी है मोदी सरकार: डा. इन्द्रेश कुमार

जितेन्द्र सिंह चौधरी
वाराणसी। सम्राट अशोक करुणा मैत्री की सरकार चलाये। अंबेडकर ने भी सहजता दिखाई परंतु प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान बुद्ध की करुणा मैत्री को साथ लेकर भारत को विश्व गुरु की तरफ ले जा रहे हैं। बाबा साहब ने धर्म के आधार पर आरक्षण को नकार दिया था, इसलिए कांग्रेस ने उन्हें चुनाव हरवाया सांसद में नही जाने दिया जहां करुणा मैत्री हो, छुआ छूट मुक्त समाज हो यही धर्म है। विश्व को युद्ध से रोकना है गरीबी भुखमरी अपराध छूआछूत मुक्त करना है तो विरोधियों के बीच खड़े होकर विरोध करना होगा। सभी धर्म जो भारत में जन्मे हैं, उनमें अहिंसा परमो धर्म का भाव है। जो धर्म विदेशी है, उनमें दंगे और अपराध है।

हम कामजो असहाय को गले लगाकर ममता दया के साथ चलेंगे जो मोदी सरकार कर रही है। जहां ममता होगी, वहा दंगा अपराध छुआछूत नहीं होगा। हम मिलकर चलेंगे तो दुनिया को रास्ता दिखाएंगे और लड़ेंगे तो अपना भी रास्ता भूल जायेंगे। हमने नहीं तो हमारे बुजुर्गों ने बुद्ध का भारत देखा होगा, अनुभव किया होगा। अंबेडकर को यहसास किया। मोदी की सरकार जो सबसे निचले पायदान पर आखिरी व्यक्ति खड़ा है, उसके लिए काम कर रही है। बाबा साहब जहां जन्मे, जहां दीक्षा ली, जहां निधन हुआ, उन सभी स्थलों को भारत सरकार ने 5 तीर्थ के रूप में विकसित किया। 70 वर्षों की पिछली सरकार ने सिर्फ उनके नाम का दुरुपयोग किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत निरंतर भारत की अध्यात्मिक शक्ति की न केवल राष्ट्रीय लक्ष्य की प्राप्ति के लिए केंदीयता पर जोर दिया है, वरन वैश्विक समस्याओं के समाधान में भी इस शक्ति की महत्ता को निरंतर रेखांकित किया है। प्रधानमंत्री मोदी हमेशा ऐसी अध्यात्मिक एवं दैविक विभूतियों के प्रशंसक रहे हैं जिन्होंने अध्यात्म को कर्मकाण्डों से मुक्त करके देश सेवा और जन कल्याण का एक सशक्त जरिया बनाया। स्वाभाविक है कि प्रधानमंत्री मोदी भगवान बुद्ध के गहरे प्रशंसक एवं अनुयायी रहे। आजादी के 70 वर्षों बाद पहले नरेंद्र मोदी पहले प्रधामंत्री है जिन्होंने बुद्ध जयंती को विश्व स्तर पर मनाया। सभी बौद्ध धम्म मानने वालों के लिए बौद्ध आयोग का गठन किया। प्रधानमंत्री मोदी इकलौते ऐसे प्रधामंत्री है जिन्होंने भगवान बुद्ध को मानने वाले देशों का निरंतर दौरा किया रहा, उनसे संवाद कायम किया।
उक्त बातें धर्म संस्कृति संगम के संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डा. इन्द्रेश कुमार ने संत अतुलानंद स्कूल में आयोजित “बुद्ध का भारत, सम्राट अशोक का भारत, अंबेडकर का भारत और मोदी का भारत ” विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता कही। साथ ही आगे कहा कि जो महापुरुष हमारे बारे में सोचता है, बुद्ध के माध्यम से भारत को विश्व गुरु बना चाहता है, उसे हमे पूरे तन मन धन से स्वीकार करना चाहिए, कोई तो है जो हमे समझता है। यूक्रेन रसिया युद्ध चल रहा है और पता नहीं है कि कब तक चलेगा लेकिन विश्व की निगाह और उम्मीद भारत से ही है कि वसुधैव कुटुंबकम् की नीति पर चलने वाला भारत ही विश्व शांति की पहल कर सकता है। भारत ने हमेशा अहिंसा परमो धर्म की बात कही है, क्योंकि भारत ने विश्व को युद्ध नहीं बुद्ध दिया यानी अहिंसा दया करुणा मैत्री दिया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने हमेशा भारत की अध्यात्मिक शक्ति को देश का भाग्य विधाता और गुलामी के वर्षों में आशा की संजीवनी के रूप में देखा है। वह हमेशा बहुत स्पष्ट रूप से कहते हैं। भारत की गौरव पूर्ण स्वतंत्रता आंदोलन की पीठिका भारत की अध्यात्मिक शक्ति पर आधारित है। प्रधानमंत्री का बहुजन हिताय की सक्रिय, पुनः सर्जनकारी और पाठ प्रदर्शक धारणा में दृढ़ विश्वास है। ये ऐसे गुण हैं जो भगवान बुद्ध के संदेश में स्वाभाविक रूप से प्रतिध्वनित है जिसमें हमें सर्वाधिक सहज और शांत तरीके से स्विम एवं मानवता की जिम्मेदारी लेने के लिए कहते हैं। प्रधानमंत्री अक्सर “भगवान बुद्ध के सूक्त वाक्य “अप्प दीपो भवः” अपना पथ स्वयम प्रदर्शित करो। वैसे तो हर अध्यात्मिक व्यक्ति इस अवधारणा से खुद को जोड़ेगा परंतु प्रधानमंत्री जैसे वैश्विक व्यक्ति के लिए ये सूत्र बहुत व्यापक रूप ले लेते है। एक दीप के तौर पर व्यक्ति महज स्वयं को ही नही वरन समस्त सृष्टि को प्रकाशमय बनाता है।
उन्होंने आगे कहा कि हम धर्मांतरण और धर्मांध दोनों नहीं है। हम करुणा मैत्री ममता के पुजारी है। हम अहिंसा परमो धर्म पर चलने वाले हैं। इसी सरकार ने पूरे भारत में संविधान दिवस मनाया, क्योंकि हम एक देश एक निशान एक प्रधान के साथ है। इसी संविधान को कूट नीति chhl द्वारा दो देश दो विधान इन्ही कांग्रेसियों ने कर दिया था जिसे इस सरकार ने एक करने में महती भूमिका निभाई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान के कुलपति प्रो. वांगचुंग नेगी जी ने भी संबोधित किया। विशिष्ट अतिथि प्रो. रमेश चंद्र नेगी, धर्म संस्कृति संगम के राष्ट्रीय महासचिव राजेश लांबा ने भी अपनी बात रखी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो कमल झा ने अधिक से अधिक मतदान करुणा मैत्री धार्मिक सरकार के पक्ष में करने के लिए अपील की। भंते नवदीप घोष ने थेरवाद पर अपने विचार रखे। अंत में धर्म संस्कृति संगम के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अरुण सिंह बौद्ध ने सभी अग्नतुको अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आप सभी अतिथियों एवम सभी बौद्ध भिक्षुओं का मैं बहुत बहुत आभारी हूं जो इस तेज गर्मी में भी इस कार्यक्रम में आकर गरिमा बढ़ाई।
कार्यक्रम में डा. माधवी तिवारी, धर्मेंद्र सिंह अवध प्रांत के सद्भाव प्रमुख राजेंद्र जी, राजेंद्र बौद्ध, डा. काजल, निमिष संजय, बाराबंकी में अध्यापक हिमांशु इत्यादि लोगो ने प्रमुखता से भग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और फिर वैदिक मंगलाचरण और फिर पॉली में बौद्ध मंगलाचरण से आरंभ हुआ। अतिथि परिचय के बाद सभी अतिथियों का सम्मान अंगवस्त्रम तथा फूल—माला देकर किया गया। समापन राष्ट्रगान से किया गया।

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