टीपी लाइन में महिला अपराध सम्बन्धित बैठक सम्पन्न
टीपी लाइन में महिला अपराध सम्बन्धित बैठक सम्पन्न
अतुल राय/जितेन्द्र सिंह चौधरी
वाराणसी। यातायात पुलिस लाइन सभागार में वाद-संवाद गोष्ठी कर कमिश्नरेट वाराणसी के समस्त थानों/पुलिस कार्यालय में नियुक्त महिला आरक्षियो का उत्साहवर्धन/जागरूक किया गया। पुलिस आयुक्त के अनुमोदनोपरान्त अपर पुलिस उपायुक्त महिला अपराध की अध्यक्षता में महिलाओं के विरुद्ध घटित अपराध तथा कार्यस्थल पर महिलाओ का लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध व परितोष) अधिनियम 2013 आदि विभिन्न विषयों पर वाद-संवाद गोष्ठी कर कमिश्नरेट वाराणसी के समस्त थानों, रिजर्व पुलिस लाइन व पुलिस कार्यालय से गोष्ठी में प्रतिभाग करने वाली महिला आरक्षियो से परिचय प्राप्त कर उपरोक्त विषयों के साथ पूरे प्रदेश में महिला आरक्षियों/पुरूष आरक्षी द्वारा किये जा रहे आत्महत्या जैसे संकट को देखते हुए महिलाओं को लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम 2013 की जानकारी देते हुए उन्हे परिस्थितियों से लड़ने हेतु उत्साहवर्धन/जागरूक किया गया।
इस दौरान ममता रानी अपर पुलिस उपायुक्त महिला अपराध, प्रज्ञा पाठक सहायक पुलिस आयुक्त महिला अपराध, रेनू मिश्रा कार्यकारी निदेशक आली (AALI) संस्थान लखनऊ उ0प्र0, रिजवाना परवीन मंडलीय सलाहकार यूनीसेफ उ0प्र0, निरूपमा सिंह संरक्षण अधिकारी जिला बाल कल्याण इकाई वाराणसी व आरक्षी विराट सिंह साइबर सेल कमि0 वाराणसी एवं लगभग 200 की संख्या में महिला आरक्षी मौजूद रहे।
रिजवाना परवीन मंडलीय सलाहकार यूनीसेफ उ0प्र0 द्वारा भारत में महिलाओ का अधिकार-एक परिचय देते हुए बताया गया कि लैंगिक उत्पीड़न के परिणामस्वरूप भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 15 के अधीन समता तथा संविधान के अनुच्छेद 21 के अधीन प्राण और गरिमा से जीवन व्यतीत करने के किसी महिला के मूल अधिकारों और किसी वृत्ति का व्यवसाय करने या कोई उपजीविका,व्यापार या कारबार करने के अधिकार का, जिसके अंतर्गत लैंगिक उत्पीड़न से मुक्त सुरक्षित वातावरण का अधिकार है, उल्लघंन होता है। महिला शक्ति राष्ट्र शक्ति है। महिला समाज की मार्ग दर्शक के साथ ही प्रेरणा का स्त्रोत भी है। आन्दोलन के दौरान भी हमारी सैकड़ो माताओ बहनों द्वारा बढ़-चढ़कर आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। हमारे समाज की कडवी सच्चाई रही है कि महिलाओं को जीवन में कदम-कदम पर लैंगिंक भेदभाव का सामना करना पडता है लेकिन अब समय बदल चुका है किसी भी कीमत पर महिलाओ के साथ कार्यस्थल सहित अन्य प्राइवेट जगहों भेदभाव तथा उत्पीड़न नही होना चाहिए,उपरोक्त भेदभाव तथा उत्पीड़न को रोकने हेतु आज भारतीय दण्ड संहिता, घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 ढेर कानून बन चुके है।यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो सामान्य रूप से कर्मचारियों की भलाई, उत्पादकता और कैरियर प्रभावित करता है।
कार्यस्थल में लैंगिक समानता हासिल करना न केवल सामाजिक न्याय का मामला है, बल्कि नवाचार को अधिकतम करने के लिए भी आवश्यक है।ममता रानी अपर पुलिस उपायुक्त महिला अपराध द्वारा महिलाओं के प्रति हिंसा व अपराध के सम्बन्ध में जानकारी हुए बताया गया कि महिलाओं के विरुद्ध हिंसा जैसे चरित्र हनन, बाहर जाने पर पाबंदी, शिक्षा से वंचित रखना, लैंगिक छेड़छाड़, बाल विवाह, औरतों का मीडिया में गलत चित्रणभूर्ण हत्या, कार्यस्थल पर लैंगिक हिंसा, विधवा उत्पीड़न, जबरन शादी जैसी समस्याएं आज हमारे समाज में बहुतायत से व्याप्त हैं। इन समस्याओं पर हमें आवाज उठाने के लिए महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना होगा। साइबर अपराध से जुड़ी बहुत सारी बाते बतायी गयी और घर–घर जाकर खास जो नई युवतियां हैं, उन्हें जागरूक करने की आवश्यकता है कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल कैसे करना है। तब हम अपने समाज मे हो रहे जितने अपराध है, उन्हें कम कर पायेंगे।
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