ब्राह्मण रूपी हनुमान को प्रभु पहचान ही गये: राजन जी

ब्राह्मण रूपी हनुमान को प्रभु पहचान ही गये: राजन जी

जितेन्द्र सिंह चौधरी/अतुल राय
वाराणसी। चोलापुर क्षेके त्र चंदापुर अंतर्गत महावीर मन्दिर के पास कथा के नवेंदिन दिन कथा वाचक राजन महाराज ने प्रभु शिव देवाधिदेव के पुनीत नगरी में अपने भक्तों को बताया कि प्रभु शिव माता पार्वती जी को प्रभु राम की मानस कथा के आगे की कथा बताते हुये कहा कि जब सुग्रीव पहाड़ से देखा कि दो बालक मेरे क्षेत्र दिख रहे। हनुमान जाकर पता करो।हनुमान जी ब्राह्मण रूप धर कर बीच रास्ते मे लेट गए। प्रभु राम लेटे हुये ब्राह्मण रूपी हनुमान को जानते थे कि प्रभु राम स्वयं उठाने जाते है। हनुमान जी ने कहा मानव रूपी हनुमान का आप परिचय पूछते है। आप स्वयं प्रभु है सब जानते हैं। प्रभु रामजी ने हनुमान जी को गले लगाने के दौरान हनुमान जी बहुत रोये कि लक्षण जी के आगे प्रभु हमको भूल गए। प्रभु राम ने कहा आप हनुमान मेरे हृदय में बसते हैं जिनकी मैं हमेशा पूजा करता हूं।क्योकि प्रभु राम जी हनुमान को शिव स्वरूप देखते हैं। आगे हनुमान जी डालने राजा सुग्रीव से मिलने को कहते है। इस पर लक्ष्मण जी कहते हैं कि हनुमान अपने राजा को यहीं बुला लाये। हम लोग बहुत पैदल चल चुके है। हनुमान जी लक्ष्मण जी से कहा कि आपको पैदल नहीं चलना है। मैं अपने पीठ पर बैठा कर चलूंगा। यह मेरा अहो भाग्य है। वहाँ पहुंचकर प्रभु रामजी सुग्रीव की कथा पूरा सुने। सुग्रीव ने कहा मेरा भाई हमेशा मुझे मारता है। मैं उससे बचने के लिये इस पर्वत पर रहता हूं, क्योंकि इस पर्वत पर उसे श्राप मिला है जब वह इस पर्वत पर आएगा स्वयं भष्म हो जाएगा। एक बार माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न सभी लोगों ने निर्यण किया कि हनुमान महेशा प्रभु के पास रह कर सेवा करते है। हम लोगों को मौका नहीं मिलता। शिकायत स्वरूप सब लोग प्रभु के पास पहुच कहते हैं कि हम लोगों को आपका सेवा को अवसर ही नहीं मिलता। हमेशा हनुमान ही प्रभु की सेवा करते हैं। तब प्रभु राम ने सबको कहा कि आप लोग सेवा बांट ले। तब हनुमान जी सोचे कि यह लोग प्रभु के घर के है यह लोग बांट ले। उसके बाद हम करेंगे। तभी प्रभु रामजी को उहाई आने लगा तभी हनुमान अपनी चुटकी बजा तुरन्त प्रभु को जगा दिया। यह कार्य देख प्रभु मुसकराये। कथा की आगे जामवंत द्वारा हनुमान को लंका भेजने का कार्य किया गया। रास्ते हनुमान का सर्पो की माता सुरसा से संवाद हुआ। सुरसा से बल व बुध्दि दोनों में जितना इसके बाद लंका पहुंच माता से भेंट किया। वह पहुंच रावण व उसके अनुचर से वाद विवाद उपरांत लंका की नगरी को तहस नहस कर आग लगाया। इस अवसर पर श्रवण मिश्र, अर्चना मिश्रा, प्रेम यादव, प्रियंका यादव, एडवोकेट प्रिंस चौबे सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।

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